दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को उस समय एक नई बहस छिड़ गई, जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने टीपू सुल्तान के पोर्ट्रेट (तस्वीर) का अनावरण किया. केजरीवाल ने गणतंत्र दिवस के मौके पर विधानसभा में 69 चित्रों का अनावरण किया. इनमें स्वतंत्रता सैनानियों और भारत निर्माण में अहम योगदान देने वाले क्रांतिकारी शामिल हैं. वहीं विधानसभा में टीपू सुल्तान की तस्वीर लगाए जाने को लेकर बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा. बिजेपी विधायक ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में टीपू सुल्तान की तस्वीर नहीं लगाई जानी चाहिए.
इसके जवाब में आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमने बीजेपी से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले उनकी पार्टी और आरएसएस के लोगों के नाम सुझाने को कहा था. लेकिन उनकी ओर से एक भी नाम सामने नहीं आया. आपको बता दें कि टीपू सुल्तान को लेकर कर्नाटक में 2015 में विवाद शुरू हुआ था. उस समय कांग्रेस सरकार ने मैसूर के 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान की सालगिरह मनाने का फैसला किया था.
वहीं बीजेपी ने 2017 में कर्नाटक भर में इस मुद्दे को उठाया और टीपू सुल्तान की सालगिरह मनाने के फैसले का कड़ा विरोध किया. देखते-देखते टीपू सुल्तान की सालगिरह का मसला बीजेपी और कांग्रेस के बीच की लड़ाई बन गया. जहां कांग्रेस का मानना है कि टीपू सुल्तान स्वतंत्रता सैनानी थे और उन्होंने अंग्रेजों को देश से खदेड़ भगाने में अहम योगदान दिया है. तो वहीं बीजेपी टीपू सुल्तान को 'हिंदू विरोधी' और 'हत्यारा' बताती है.
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