अपडेट- सुप्रीम कोर्ट ने आज 6 मामलों में अपना फैसला सुनाया. इसमें से 4 केंद्र सरकार के पक्ष में है और दो दिल्ली सरकार के पक्ष में. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो, ग्रेड-1 और ग्रेड-2 अधिकारियों का ट्रांसफर और पोस्टिंग और जांच आयोग का गठन पर केंद्र सरकार का अधिकार होगा.
बिजली विभाग, राजस्व विभाग, ग्रेड-3 और ग्रेड-4 अधिकारियों का ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा. इन मामलों में भी अलग राय होने पर एलजी की बात को वरीयता दी जाएगी.
अपडेट- सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि जांच आयोग के गठन का फैसला पूर्णतः केंद्र सरकार के पास होगा.
अपडेट- इलेक्ट्रिसिटी और दिल्ली में जमीन की रेट दिल्ली सरकार तय करेगी. केंद्र सरकार और LG की राय किसी मुद्दे पर अलग हो तो LG की बात मानी जाएगी.
अपडेट- चार मुद्दों पर दोनों जजों की राय एक. सर्विसेज पर दोनों जजों की राय अलग है. लिहाजा सर्विसेज की ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार 3 जजों की बेंच के पास भेजा जाएगा.
अपडेट- जस्टिस सीकरी के फैसले के मुताबिक, सेक्रेटरी लेवल के अधिकारियों के ट्रांसफर का अधिकार LG के पास होगा. केजरीवाल सरकार की मांग थी कि सरकार को अपनी मर्जी से अधिकारी चुनने का अधिकार नहीं होगा तो वह काम कैसे करेंगे.
अपडेट- दिल्ली के पास एग्जिक्यूटिव पावर नहीं- जस्टिस अशोक भूषण
अपडेट- जस्टिस अशोक भूषण अब अपना फैसला पढ़ रहे हैं. दो जजो की बेंच अपना फैसला सुना रहे हैं. जस्टिस सीकरी ने अपना फैसला सुना दिया है. उनके फैसले में LG के हाथ मजबूत किए हैं.
अपडेट- ट्रांसफर जस्टिस सीकरी ने ट्रांसफर के मामले में दिल्ली सरकार के बजाय LG को सपोर्ट किया. जस्टिस सीकरी ने कहा एंटी करप्शन ब्यूरो LG के पास रहेगा और दिल्ली सरकार के पास कोई पुलिस पावर नहीं रहेगी.
अपडेट- जस्टिस सीकरी ने कहा- दिल्ली की चुनी हुई सरकार की कार्यकारी शक्तियां और केंद्र सरकार की शक्तियां अलग-अलग हैं. हम बार-बार एक ही बात पर बहस नहीं कर सकते हैं.
अपडेट- जस्टिस सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार बनाम उप राज्यपाल (LG) मामले में अधिकारों को लेकर आाज यानी 14 फरवरी को फैसला सुनाएगा. जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच फैसला सुनाएगी. दरअसल कुल दस याचिकाओं पर फैसला आएगा. डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि सेवाओं, ऑफिसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग और एंटी करप्शन ब्यूरो, जांच कमीशन के गठन पर किसका अधिकार है? बता दें कि 01 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार (Arvind Kejriwal) और केंद्र की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
एलजी, मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद से परामर्श नहीं ले सकते हैं
सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उप राज्यपाल (LG) के पास दिल्ली में सेवाओं को विनियमित करने की शक्ति है. राष्ट्रपति ने अपनी शक्तियों को दिल्ली के प्रशासक को सौंप दिया है और सेवाओं को उसके माध्यम से प्रशासित किया जा सकता है. केंद्र ने यह भी कहा था कि जब तक भारत के राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से निर्देश नहीं देते तब तक एलजी, जो दिल्ली के प्रशासक हैं, मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद से परामर्श नहीं ले सकते हैं.
एलजी के पास स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है
5 जजों की संविधान पीठ ने 4 जुलाई 2018 को राष्ट्रीय राजधानी के शासन के लिए व्यापक मापदंडों को निर्धारित किया था. ऐतिहासिक फैसले में इसने सर्वसम्मति से कहा था कि दिल्ली को एक राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. हालांकि उप राज्यपाल (LG) की शक्तियों को यह कहते हुए अलग कर दिया गया कि उनके पास स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है और उन्हें चुनी हुई सरकार की सहायता और सलाह पर कार्य करना होता है.
प्रशासन को दिल्ली सरकार के पास अकेला नहीं छोड़ा जा सकता
19 सितंबर 2018 को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि दिल्ली के प्रशासन को दिल्ली सरकार के पास अकेला नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि देश की राजधानी होने के नाते इसकी अहमियत बहुत ज्यादा है. केंद्र ने कहा था कि बुनियादी मुद्दों में से एक यह है कि क्या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली सरकार (GNCTD) के पास सेवाओं को लेकर विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं या नहीं हैं. बता दें कि दिल्ली सरकार ने पहले अदालत को बताया था कि उनके पास जांच का एक आयोग गठित करने की कार्यकारी शक्ति है.
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