साल 1998 में रेड रोज की घटना में नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी पाया गया है. उस घटना में जिस व्यक्ति की हत्या हुई थी, उसके परिजनों का कहना है कि सिद्धू को फांसी के कुछ भी कम सजा नहीं मिलनी चाहिए.
टाइम्स नाउ में छपी खबर के मुताबिक मृतक के पोते ने बताया कि जब से यह केस चल रहा है किसी ने उसके परिवार को धमकी नहीं दी. न ही किसी ने आज तक संपर्क किया है. उसने कहा कि पूरे 30 साल बाद उसे न्याय मिलता दिख रहा है. उसे कोर्ट से पूरी उम्मीद है कि आरोपी (नवजोत सिद्धू) को फांसी की सजा सुनाएगी. अब उसे फांसी की सजा से कुछ भी कम मंजूर नहीं है.
उसने कहा कि जिस वक्त घटना हुई उस वक्त सिद्धू वहीं मौजूद थे. भले ही कोर्ट में वह इस बात को इनकार कर सकते हैं, लेकिन इंडिया टीवी के दिए इंटरव्यू में इस बात को वह खुद ही स्वीकार कर चुके हैं.
पंजाब सरकार भी सजा का कर चुकी है समर्थन
वर्ष 1998 के रोड रेज के एक मामले में साल 2006 में हाईकोर्ट से सिद्धू को तीन साल की सजा मिली थी. इसके खिलाफ सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. इसी मामले में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ रोड रेज एवं गैर इरादतन हत्या के मामले में तीन साल की सजा बरकरार रखने का समर्थन किया है.
इस मामले में सिद्धू के मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी. सरकार ने कोर्ट को बताया है कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष गलत था कि सिंह की मौत ब्रेन हैमरेज से नहीं बल्कि हृदय गति रुकने से हुई थी.
1988 के इस रोड रेज मामले में ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया था जबकि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने फैसले को पलटते हुए सिद्धू को आईपीसी की धारा 304 पार्ट-2 के तहत दोषी पाया था.
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