आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई सहमति को वापस ले लिया है. अब सीबीआई को किसी भी ऑफिशियल काम के लिए राज्य में प्रवेश करने से पहले आंध्र सरकार से इजाजत लेनी होगी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सीबीआई के विवाद और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस की वजह से जांच एजेंसी पर राज्य सरकार का भरोसा कम हुआ है. और इसी कारण राज्य सरकार ने अपनी सहमति को वापस ले लिया है. हालांकि, राज्य सरकार के इस कदम को केंद्र के साथ टकराव के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने गठबंधन बनाने के लिए गैर-बीजेपी दलों को साथ लाने की कोशिश में हैं.
दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत सीबीआई का गठन हुआ था. 3 अगस्त 2018 को अन्य राज्यों की तरह आंध्र सरकार ने सीबीआई को दी गई सहमति को रिन्यू कर दिया था. अब राज्य सरकार द्वारा समझौते को रद्द करने के बाद सीबीआई राज्य सरकार से सहमति के बगैर राज्य में किसी भी तरह की खोज, छापे या जांच नहीं कर सकती.
चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार पर सेंट्रल एजेंसियों का उपयोग करके उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया था. उन्होंने बीजेपी पर विपक्षी नेता वाई एस जगन मोहन रेड्डी के साथ मिलकर सीबीआई और आयकर विभाग के सहारे उनकी सरकार गिराने का आरोप लगाया था. इसके बाद ही चंद्रबाबू नायडू ने यह कदम उठाया है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी आंध्र सरकार के इस कदम का समर्थन कर दिया है.
Andhra Pradesh CM Chandrababu Naidu has done the right thing in saying that he won't allow Central Bureau of Investigation (CBI) in his state: West Bengal CM Mamata Banerjee pic.twitter.com/OZVATm6mP7
— ANI (@ANI) November 16, 2018
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