4 फरवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में 1,145 उम्मीदवारों में महिलाओं का आंकड़ा केवल सात फीसदी है. ये आंकड़े सभी राजनीतिक दलों के पुरुष-प्रधान रवैये और विधायी निकायों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के वादे का माखौल उड़ाने के लिए काफी है.
चुनाव के मैदान में किस्मत आजमाने वाले सभी 1,145 उम्मीदवारों में केवल 81 महिलाएं हैं. इसके अलावा एक ट्रांसजेंडर भी चुनाव मैदान में है. इन 81 महिला उम्मीदवारों में से भी 32 महिलाएं 304 निर्दलीय उम्मीदवारों में से हैं.
कांग्रेस ने पंजाब में सभी 117 विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. उम्मीदवारों की लिस्ट में केवल 11 महिलाएं हैं.
बीजेपी की बात करें तो यहां भी कोई खास अंतर नहीं दिखता. बीजेपी शिरोमणि अकाली दल का दामन थामकर चुनाव मैदान में उतरी है. गठबंधन के तहत वह केवल 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. उसने केवल 2 महिलाओं को अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि उसकी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल 94 सीटों पर लड़ रही है जिसमें महिलाओं की संख्या केवल पांच है.
पंजाब की राजनीति में दाखिल होने वाली आम आदमी पार्टी के 112 उम्मीदवारों में भी केवल नौ महिलाएं हैं.
इन आकंड़ों से यह साबित होता है कि देश की चार मुख्य राजनीतिक पार्टियों ने केवल लगभग 8 फीसदी महिलाओं को ही अपना उम्मीदवार चुना है.
महिला उम्मीदवारों ने आईएएनएस के साथ बातचीत में इस पर सहमति जताई कि पंजाब के 1.98 करोड़ मतदाताओं में से 47 फीसदी महिलाएं हैं. पुरुष-प्रधान समाज में अपने वर्चस्व की लड़ाई में अभी भी महिलाएं काफी पीछे हैं.
शुत्राना से विधायक वरिंदर कौर लूंबा ने कहा, 'पुरुष प्रधानता अभी भी हमारे राज्य में मौजूद है इसके बावजूद कई महिलाएं आगे आ रही हैं. लेकिन उन्हें बहुत कम सराहना ही मिलती है'.
सत्तारूढ़ अकाली-बीजेपी के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरी वरिंदर ने कहा, 'मुझे महिलाओं को आगे लाने के लिए पंजाब में बहुत काम करना होगा'.
वहीं, आप उम्मीदवार सरबजीत कौर ने बताया, 'महिलाओं को मुश्किल से मुख्यधारा में जगह मिलती है. पंजाब में प्रमुख राजनीतिक दल महिलाओं को तरजीह नहीं देते हैं लेकिन महिलाएं भी पीछे रहना पसंद करती हैं. राजनीतिक दलों के कई कार्यकर्ता महिलाएं हैं. उनमें अधिकतर महिलाएं सक्रिय राजनीति में शामिल होने से दूर भागती हैं'.
उन्होंने कहा, 'इसलिए इस स्थिति को बुनियादी स्तर पर बदलना होगा'.
केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की बात की जाए तो बीजेपी की सीमा कुमारी ने बताया कि पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं पर ध्यान दिया जाना अभी बाकी है.
उन्होंने कहा, 'सीमावर्ती क्षेत्रों में ज्यादातर महिलाएं बहुत पढ़ी-लिखी नहीं हैं. वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं और वह सार्वजनिक रूप से बात नहीं करती. इसके बावजूद कई महिलाएं अब पंचायत चुनाव में हिस्सा ले रही हैं. हालांकि हमें महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत काम करने की जरूरत है'.
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