पुराणों में रचित एक श्लोक के अनुसार तीर्थराज प्रयाग की महिमा का वर्णन कुछ इस तरह किया गया है-
सितासिते यत्र चामरे नद्यौ विभाते मुनि भानुकन्यके।
नीलात्पत्रं वट एव साक्षात स तीर्थराजो जयति प्रयागः॥
राजनैतिक पंडितों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी ने इस श्लोक के अंत के दो शब्द कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिए हैं. आने वाले कुम्भ को लेकर बीजेपी आलाकमान की गंभीरता का अंदाजा कुंभ के लिए निर्गत की जा रही भारी भरकम राशि के अलावा शीर्ष नेतृत्व के नेताओं की इलाहाबाद आवाजाही से साफ़ लगाया जा सकता है. अंदरखाने में चल रही चर्चाओं पर गौर करें तो भारतीय जनता पार्टी कुंभ और चुनाव की तैयारियों में एक सामंजस्य बनाकर रखने के क्रम में कोई चूक नहीं करना चाहती और यही वजह है कि न सिर्फ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुंभ को लेकर काफी संजीदा रुख अपना रहे हैं और समय समय पर निरीक्षण एवं मूल्यांकन कर रहे हैं बल्कि शीर्ष नेतृत्व भी कुंभ को लेकर खासा सक्रिय है.
अमित शाह की यात्रा के राजनीतिक मतलब
शुक्रवार (गुरुपूर्णिमा) को हुई बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की प्रयाग यात्रा के भी कई राजनैतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. अखिल भारतीय पंच दशनाम जूना अखाड़े के न्योते पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शुक्रवार को संगम नगरी इलाहाबाद दौरे पर पहुंचे थे. स्थानीय बीजेपी नेताओं के मुताबिक़ यह एक सामान्य धार्मिक यात्रा रही जहां अमित शाह ने अधिक से अधिक समय संतों के सानिध्य में बिताया. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पूजन अर्चन, शिलान्यास इत्यादि के अलावा संतों के साथ भोजन का भी कार्यक्रम आयोजित हुआ. अमित शाह ने बाघंबरी गद्दी मठ में साधु संतों के साथ दोपहर का भोजन किया. इस दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि जी महाराज और महामंत्री हरि गिरि जी महाराज के साथ १३ अन्य अखाड़ों के प्रतिनिधि मौजूद थे. .
इसके अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम के तहत अमित शाह ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के साथ बैठक भी की है. संत समाज की मानें तो मठ बाघंबरी गद्दी में हुई इस बैठक में संतों ने अमित शाह के समक्ष गोहत्या पर पाबंदी, गंगा व यमुना की निर्मलता, राम मंदिर निर्माण जैसे मुद्दे उठाये हैं और माना जा रहा कि एक सामूहिक राय लेने के बाद इन मुद्दों पर भविष्य का रोडमैप तैयार किया जाएगा.
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने आज संगमनगरी इलाहाबाद में करीब चार घंटे के अपने प्रवास को धर्म व आध्यात्म पर केंद्रित रखते हुए संत समाज की मंशा और मंतव्य को टटोलने का काम किया. एयरपोर्ट से निकलते ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सीधा मंदिरों की तरफ रुख करते हुए सिद्ध बाबा मौजगिरि मंदिर घाट का उद्घाटन करने के साथ श्री श्री पंच दशनाम अखाड़ा योग-ध्यान केंद्र का शिलान्यास किया. भृगु ऋषि द्वारा स्थापित शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद उन्होंने बांध पर बड़े हनुमान जी एवं देवी देवताओं की पूजा अर्चना की.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और साधु-संतों के साथ बैठक
इस अवसर पर उनके साथ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद की महापौर अभिलाषा नंदी के अलावा नन्द गोपाल नंदी के अलावा स्थानीय बीजेपी नेता उपस्थित रहे. हालांकि बारिश की वजह से उनके कार्यक्रम में बदलाव किए गए और पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करने का कार्यक्रम रद करना पड़ा लेकिन इस बात का खास ध्यान रखा गया कि कोई धार्मिक कार्यक्रम न रद्द हो. अमित शाह के इस धार्मिक प्रवास को देखते हुए बांध पर लेटे हनुमान जी का भव्य श्रृंगार किया गया था एवं अमित शाह के दर्शन पूजन को लेकर बड़े हनुमान मंदिर के पट भी बंद रहे.
हालांकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने मीडिया से बातचीत में इस बात पर ज़ोर दिया कि 'उज्जैन और नासिक कुंभ मेले की कुशलता के लिए भी उन्होंने (अमित शाह ने) काफी पहले आकर पूजन-अभिषेक किया था और उनका यह दौरा भी उसी कड़ी में है.' महंत नरेंद्र गिरि ने संवाददाताओं को यह भी बताया कि 'आगामी कुंभ मेला सकुशल संपन्न हो, इस उद्देश्य से अमित शाह यहां आए और पूजा अर्चना की है और बैठक में कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई है.'
संतों के साथ बैठक को लेकर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने भी इसे सामान्य करार देते हुए कहा कि, 'संतों के आशीर्वाद से ही 2014 और 2017 के चुनावों में पार्टी को बड़ी जीत मिली है. संतों और जनता के आशीर्वाद से ही 2014 से बड़ी जीत 2019 में होगी. कुंभ मेला दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मेला है. कुंभ की सफलता के लिए ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने पूजा-अर्चना की है और तैयारियों का जायजा लिया है.'
बीजेपी के लिए क्यों महत्वपूर्ण है कुंभ?
जनवरी 2019 के कुंभ में देश-विदेश से करोड़ों हिंदू धर्मावलंबी इलाहाबाद आएंगे और उसके ठीक बाद आम चुनाव का बिगुल बज जाएगा. ऐसे में अमित शाह की यह यात्रा एवं संतों के साथ किए गए संवाद को पार्टी के हिंदुत्व के एजेंडे को पुख्ता करने के क्रम में लिया गया एक सोचा-समझा कदम मानकर देखा जा रहा है. भले ही बीजेपी की स्थानीय इकाई इसे एक सामान्य धार्मिक दौरा कहकर पल्ला झाड़ने में लगी है लेकिन इस दौरे की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि दौरे को लेकर हो रही तैयारियों को परखने के लिए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बुधवार को ही इलाहाबाद पहुंच गए थे. एक सोचे-समझे मंतव्य के तहत दौरे के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन भी इसलिए चुना गया क्योंकि इस दिन के धार्मिक महत्व के अपने मायने हैं.
सोशल मीडिया पर भी दिखी मुस्तैदी
अमित शाह के इलाहाबाद प्रवास और धार्मिक आयोजनों में उपस्थित रहने की तस्वीरें भी नियत समय पर उनके ट्विटर हैंडल पर पोस्ट भी की गईं और उन्हें फ़ौरन वॉट्सऐप और संचार माध्यमों पर त्वरित रूप से पहुंचाया गया. दौरे के एक घंटे के भीतर तस्वीरें विभिन्न माध्यमों से मीडियाकर्मियों और बीजेपी के सोशल मीडिया इकाइयों तक पहुंच चुकी थी.
बीजेपी के लिए महाकुंभ एक महाआयोजन है, लिहाजा इसकी तैयारियों और इसके सफल आयोजन को लेकर पुलिस और प्रशासन भी कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है. शुक्रवार को अमित शाह के दौरे का विरोध कर रहे चार एसपी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इसके अलावा इस बात का ख़ास ध्यान रखा गया था कि आयोजन में किसी प्रकार का राजनैतिक व्यवधान न पड़ने पाए.
पार्टी के शीर्ष पदस्थ सूत्रों के अनुसार, भले ही महाकुंभ 2019 की चर्चा सोशल मीडिया पर अभी कम हो रही हो लेकिन बीजेपी अध्यक्ष को इस बात का बखूबी अंदाज़ा है कि वे इस आयोजन के ज़रिए देश में हिंदुत्व की हवा को और तेज कर सकते हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी देश के सभी गांवों को कुंभ में आने का निमंत्रण पत्र भेज रहे हैं. इसी क्रम में प्रदेश भर में कुंभ से संबंधित होर्डिंग इत्यादि भी लगने शुरू हो गए हैं. देश में होने वाले आम चुनावों से ठीक पहले इलाहाबाद में आयोजित होने वाला यह महाकुंभ बीजेपी के लिए एक सियासी 'कुंभ' बन चुका है जो 2019 चुनावों की दिशा तय करने में सहायक सिद्ध होगा. ऐसे में संतों द्वारा इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने और नगर के अल्लापुर मोहल्ले का नाम बदल कर भारद्वाज नगर रखे जाने की मांग को बीजेपी द्वारा समर्थन दिया जाना तय माना जा रहा है.
जानकारों की मानें तो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुंभ को लेकर संजीदा होना बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे पर ठीके रहने की ओर इशारा करता है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कुंभ से संबंधित कुछ बड़ी घोषणाएं करने के अलावा कुछ कार्यक्रमों में उपस्थित भी हो सकते हैं. ऐसे में विपक्ष को बीजेपी के कुंभ रूपी आयोजन के राजनैतिक इस्तेमाल का विरोध करने के लिए कुछ स्पष्ट रूपरेखा बनानी होगी. ताज़ा वाकए में एनजीटी द्वारा फटकार लगाए जाने और यह कहे जाने कि हरिद्वार के बाद से गंगा का जल नहाने योग्य नहीं है लिहाजा उन इलाकों में बोर्ड लगा कर जनता को आगाह किया जाना चाहिए. इस आदेश को विपक्ष संजीवनी के तौर पर देख रहा है, ऐसे में क्यूंकि बीजेपी की सधी हुए चालों के बीच विपक्ष को गंगा की सफाई और अविरल स्वरूप को बनाये रखने के सिवा कोई और मुद्दा फिलहाल नहीं दिख रहा. देखना होगा कि आने वाले महाकुंभ में देश की राजनीति कितने गोते लगाती है और कितने पुण्य पाती है.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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