छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अजित जोगी गंभीर रूप से बीमार हैं. अजित जोगी को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां उनका इलाज चल रहा है. डॉक्टरों ने एहतियात के लिए वेंटिलेटर पर रखा है. अजित जोगी 2004 से दुर्घटना की वजह से व्हील चेयर पर हैं. लेकिन अजित जोगी हमेशा हंसते मुस्कराते हुए मिलते रहे हैं. पिछले महीने ही जोगी दिल्ली के नार्थ एवन्यू से सामान समेट कर रायपुर चले गए थे. ये भी कहा कि दिल्ली में कुछ नहीं रखा है. राजनीति करने के लिए रायपुर में रहेंगे.
अजित जोगी से पहली मुलाकात रायपुर में हुई थी. जब वो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे. बीजेपी का राष्ट्रीय अधिवेशन रायपुर में चल रहा था. कुछ लोगों को अजित जोगी ने आंमत्रित किया था. पहली मुलाकात ही थी लेकिन जोगी का अंदाज अच्छा रहा. काफी मिलनसार और बेबाक अंदाज था. दिल्ली में नार्थ एेवन्यू में मुलाकात का सिलसिला चलता रहा.
कांग्रेस में 2003 का चुनाव हारने के बाद से ही अजित जोगी हाशिए पर चले गए थे. यूपीए की दो सरकारें बनीं लेकिन अजित जोगी को कोई सरकारी पद नहीं मिला. जिसकी टीस अजित जोगी के अंदर है. हालांकि कांग्रेस में एसटी सेल की जिम्मेदारी जरूर उनके पास थी. पार्टी के भीतर कई साल की कश्मकश के बाद अजित जोगी ने नई पार्टी बना ली है. छत्तीसगढ़ का किंग बनने के सपने की जगह अब वो किंग मेकर की भूमिका देख रहे हैं.
2018 विधानसभा चुनाव में भूमिका
इस साल के आखिर में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जिसमें कांग्रेस बीजेपी से अलग अजित जोगी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. अजित जोगी का इस तरह बीमार होना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. पार्टी में उनके अलावा किसी के पास मास अपील नहीं हैं. इस चुनाव में अजित जोगी खुद को किंग मेकर की भूमिका में देख रहे हैं.
जोगी को लग रहा है कि कांग्रेस बीजेपी दोनों अगर बहुमत से वंचित रह गए तो उनकी पार्टी की भूमिका बढ़ जाएगी. हालांकि 2003 से तीनों चुनाव बीजेपी ने अजित जोगी के खिलाफ लड़ा था. जो सरकार जोगी ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर चलाई. बीजेपी उसका बोनस खा रही है. लेकिन उनके समर्थक कहते है कि जोगी बेबाक हैं. इसलिए उनके खिलाफ दुष्प्रचार ज्यादा किया जाता है.
कांग्रेस में हाशिए पर जोगी
2003 में अजित जोगी को विधानसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिला था. लेकिन जोगी हर हाल में सरकार बनाना चाह रहे थे. अजित जोगी ने कई विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी. लेकिन इस खरीद फरोख्त की बातचीत टेप हो गयी. जिसमें अजित जोगी ने सोनिया गांधी का नाम ले लिया था. बताया जाता है कि सोनिया गांधी इससे सख्त नाराज हो गयीं.
चुनाव हारने के कुछ दिन बाद ही अजित जोगी सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए थे. जिससे कमर के नीचे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था. काफी इलाज के बाद भी ये समस्या खत्म नहीं हुई है. हालांकि इस वजह से जोगी के राजनीतिक इरादे कभी कमजोर नहीं हुए. कांग्रेस के भीतर आलाकमान से दूरी बढ़ते ही विरोधी हावी हो गए. पार्टी में मोतीलाल वोरा से अजित जोगी को अदावत भारी पड़ी. जिसकी वजह से जोगी को अलग रास्ता अख्तियार करना पड़ा है.
जोगी की परछाई से पीछा नहीं छुड़ा पाई कांग्रेस
अजित जोगी की जगह कांग्रेस ने कई नेताओं को आजमाया लेकिन जोगी की परछाई से पार्टी का पीछा नहीं छोड़ा है. महेन्द्र कर्मा झीरम घाटी में नक्सलियों के हमले में शहीद हो गए थे. उससे पहले अजित जोगी की जगह लेने की कोशिश करते रहे लेकिन नाकाम रहे. इस तरह 2013 के विधानसभा चुनाव में चरणदास मंहत को आगे किया लेकिन चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. अजित जोगी कांग्रेस से अलग होकर नयी पार्टी बना चुके हैं. लेकिन कांग्रेस में उनके समर्थकों की कमी नहीं है. जो ये मानते है कि बीजेपी को हटाने के लिए जोगी का साथ जरूरी है.
अजित जोगी ऐसे शख्स हैं, जो किसी और की दखल बर्दाश्त नहीं करते हैं. कांग्रेस में भी उनके ऊपर मनमानी का आरोप लगता रहा है. अपने हिसाब से काम करने की वजह से पार्टी में उनके दोस्त कम दुश्मन ज्यादा बन गए थे. हालांकि कांग्रेस में उनके शुभ चिंतक भी कम नहीं हैं. जो दोबारा उनको कांग्रेस में लाने की कोशिश कर रहे हैं. अजित जोगी की इस साल की शुरुआत में कांग्रेस के नेताओं से बातचीत हुई थी. लेकिन कांग्रेस जोगी को बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने के लिए तैयार नहीं हुई. जिसकी वजह से बातचीत अंजाम तक नहीं पहुंच पाई है.
विवाद और जोगी
साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना. अजित जोगी इसके पहले मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन तीन साल के कार्यकाल में अजित जोगी पर सरकार में रहते हुए मनमानी करने का आरोप लगता रहा. पहले उनका कांग्रेस के ही नेता विद्याचरण शुक्ल से तनातनी शुरू हुई. विद्या बाबू ने एनसीपी का दामन थाम लिया. 2003 में एनसीपी के कोषाध्यक्ष राम अवतार जग्गी की हत्या हो गयी. हत्या का आरोप अजित जोगी और उनके पुत्र पर लगा जिसमें 2007 में दोनों की गिरफ्तारी भी हुई थी. 2003 में ही अजित जोगी बीजेपी विधायकों के खरीदने की कोशिश में स्टिंग ऑपरेशन का शिकार हो गए थे. उनके आदिवासी होने पर भी सवाल उठता रहा है.
राजनीतिक जीवन
1946 में साधारण परिवार में जन्मे अजित जोगी असाधारण प्रतिभा के धनी हैं. 22 साल की उम्र में ही वो इंजीनियर बने फिर लेक्चरर और आईएएस बने. 1981 से 1985 तक इंदौर के कलेक्टर के तौर पर काम किया है. 1986 से 2016 तक कांग्रेस पार्टी में रहे. दो बार राज्यसभा के सदस्य भी बने पार्टी के प्रवक्ता भी रहे हैं. 2004 में लोकसभा के सदस्य भी निर्वाचित हुए हैं. 2008 से छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य हैं.
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