प्रसिद्ध मरीना बीच DMK अध्यक्ष एम करुणानिधि की जीवनयात्रा का अंतिम स्थान होगा. मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को उन्हें बीच पर दफनाने का रास्ता साफ कर दिया.
मरीना बीच पर करुणानिधि को दफनाने के लिए स्थान देने की DMK की याचिका पर विशेष सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि इसमें कानूनी अड़चनें हैं.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एच जी रमेश और न्यायमूर्ति एस एस सुंदर की पीठ ने कहा, 'स्थान आवंटित ना करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है. याचिकाकर्ता द्वारा दी गई रूपरेखा के अनुसार सम्मानजनक रूप से दफनाने के लिए फौरन एक स्थान मुहैया कराएं.'
कोर्ट ने कहा कि सरकार यह बताने में विफल रही कि मरीना बीच पर नेता को दफनाने की अनुमति देने के रास्ते में कौन सी कानूनी अड़चनें हैं. इससे पहले पारिस्थितिकी और अन्य चिंताओं को लेकर बीच पर दफनाने के खिलाफ पांच याचिकाएं वापस ले ली गई.
पीठ ने कहा, 'स्थान आवंटित करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है. पहले ही सभी द्रविड नेताओं के लिए मरीना में स्थान आवंटित किया हुआ है. मौजूदा मामले में अलग रुख अपनाने की कोई जरुरत नहीं है.'
कोर्ट का आदेश आते ही वहां से करीब आठ किलोमीटर दूर राजाजी हॉल में DMK के हजारों समर्थकों ने ‘कलैगनार पुगाझ ओनगुगा’ के नारे लगाए.
मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ ट्रैफिक रामस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मरीना बीच पर करुणानिधि के अंतिम संस्कार के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. रामस्वामी की इस अपील को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया.
Supreme Court refuses to entertain the plea filed by Traffic Ramaswamy seeking stay on the last rites of #Karunanidhi at #MarinaBeach. Ramaswamy had moved SC against the Madras High Court order which allowed to perform the last rites of #Karunanidhi at the Marina beach. pic.twitter.com/II9OwEgUWE
— ANI (@ANI) August 8, 2018
करुणानिधि के ताबूत के पास खड़े उनके बेटे और DMK के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन फूट फूटकर रो रहे थे लेकिन जब उन्हें फैसले की खबर लगी तो उनके मुरझाए चेहरे पर संतोष के भाव दिखे.
इससे पहले मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी आधुनिक समय के सबसे बड़े DMK नेता को श्रद्धांजलि देने राजाजी हॉल पहुंचे तो उन्हें 'वेंडम वेंडम, मरीना वेंडम' के नारे सुनने पड़े.
कोर्ट का आदेश AIADMK के लिए बड़ा झटका है जिसने करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाने का स्थान ना देने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
सरकार ने यह हवाला देते हुए करुणानिधि को वहां दफनाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया कि AIADMK संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन और उनकी शिष्या जे जयललिता को बीच पर इसलिए दफनाया गया क्योंकि पद पर रहते हुए उनका निधन हुआ था लेकिन करुणानिधि को ऐसी मंजूरी नहीं दी जा सकती क्योंकि वह मौजूदा मुख्यमंत्री नहीं थे.
DMK संस्थापक और करुणानिधि के मार्गदर्शक सी एन अन्नादुरई भी 1969 में अपने निधन के समय मुख्यमंत्री थे. हालांकि, कोर्ट ने सरकार की यह दलील खारिज कर दी.
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