उत्तर प्रदेश में दादरी के बिसाहड़ा गांव के रहने वाले अखलाक की आज तीसरी बरसी है. 28 सितंबर साल 2015 को भीड़ ने अखलाक के घर पर हमला कर उसे जान से मार दिया था. इस भीड़ को शक था कि अखलाक के घर में बीफ रखा हेै. इस घटना में अखलाक के बेटे दानिश भी बुरी तरह घायल हो गए थे.
अब, अखलाक की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराए गए 18 लोगों में से एक, हरिओम सिसोदिया साल 2019 में गौतम बुद्ध निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. बुधवार को मेरठ की उत्तरप्रदेश नवनिर्माण सेना ने इसकी आधिकारिक घोषणा की.
उत्तरप्रदेश नवनिर्माण सेना साल 2019 लोकसभा चुनावों में यूपी की 5 सीटों से अपने प्रत्याशी खड़े करेगी. हरिओम सिसोदिया को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2017 में जमानत दी थी.
सिसोदिया ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में कहा कि, मैं अपने 17 भाइयों के लिए संघर्ष कर रहा हूं और करता रहूंगा. मेरा पहला और सबसे अहम मुद्दा यही है. इसके अलावा हमारे यूपी में जो ये सब चल रहा है, लड़कियों को छेड़ना और गायों का काटना, इन पर रोक लगा सकूं. राजस्थान की करणी सेना का हमको सपोर्ट है. जो हिंदुत्व के लिए जीता है, उन सबका सपोर्ट है हमें.'
अखलाक के साथ जो हुआ उसके बारे में बात करते हुए सिसोदिया ने कहा कि हमने अखलाक को नहीं मारा लेकिन हमारे लिए दुखद ये है कि गऊ माता कटी. रही बात गलत की तो गलत हमारे साथ हुआ. हम 17 के 17 लड़के किसान परिवार से आते हैं. हमारी जमीन जायदाद चली गई इस केस के चक्कर में. मैं बीए फ़र्स्ट इयर में था, जब ये केस हुआ. मेरा करियर ही खत्म कर दिया. हम जेल से निकल कर आए. ना हमारे घर मिलने कोई नेता आया ना हमें कोई आर्थिक मदद मिली. मान लीजिए हम में से कोई एक मर जाता तो अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए ये नेता हमारे घरों पर जरूर आते. हम जिंदा हैं तो हमें कोई नहीं पूछ रहा.
मेरा एक भाई रवि पुलिस कस्टडी में मारा गया. कोई कुछ भी कहे पर हमें पता है, उसकी मौत कैसे हुई. हमारी आंखों के सामने जेलर ने पीट-पीट कर उसकी हत्या कर दी. रवि के घर वाले इतने सक्षम नहीं हैं कि वो केस लड़ सकें. हमें तो पुलिस ने सोते हुए उठा लिया था. पैसे वाले ऐसे मामलों में नहीं फंसते. हमसे वादा किया गया था कि केस वापस लिया जाएगा, हमें नौकरी दी जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
इसलिए अब हम जनता की आवाज को साथ लेना चाहते हैं ताकि हमे इंसाफ मिले. अपनी-अपनी राजनीति चमकाने के लिए अखलाक के मुद्दे का सब राजनीतिक दलों ने इस्तेमाल किया और आगे भी करेंगे पर हमें पूछने वाला कोई नहीं है.आरोप तो हम पर भी सिद्ध नहीं हुए अब तक. आरोप तो किसी पर भी लग सकते है. जब सिद्ध हो जाए तब बात हो. हम कुछ लोगों की गलत राजनीति का शिकार हुए. बिसाहड़ा हमारा पैतृक गांव है. हमें यकीन है हमें पूरा सपोर्ट मिलेगा.
देश में बढ़ते मॉब लिंचिंग के मुद्दों पर सिसोदिया का कहना है कि अगर किसी के धर्म के खिलाफ जाना सही है तो फिर ये भी सही है. गाया हमारी माता है और कोई नालायक बेटा ही होगा जो मां पर अत्याचार बर्दाशत करेगा. अगर किसी को भीड़ में मारना जायज नहीं है तो गाय को काटना भी जायज नहीं है. मुसलमान तो मुगलों-महाराणा प्रताप के जमाने से मारे जा रहे हैं. जब हम मंदिर मस्जिद सबको पूजते हुए चलते हैं, तो क्या कुअरान में लिखा है हिंदू धर्म के खिलाफ जाना?
लव जिहाद पर अपना पक्ष रखते हुए सिसोदिया ने कहा कि हमारी महिलाओं की सुरक्षा बेहद अहम मुद्दा है और हम बेशक लव जिहाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे. गैर राजनीतिक रूप से उत्तरप्रदेश नवनिर्माण सेना की स्थापना साल 2010 में हुई थी. और अब इसे राजनीतिक पार्टी बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
उत्तरप्रदेश नवनिर्माण सेना के संस्थापक अमित जानी ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान कहा कि, हरिओम एक अच्छा प्रत्याशी है. वो बेचारा अभियुक्त नहीं बल्कि पीड़ित और शिकार है. ये 17 बच्चे फंसा दिए गए, जिसने गाय काटी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अखलाक गाय का हत्यारा था और उसके साथ जो हुआ वो स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी. इन 17 लोगों पर अब तक कोई आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं लेकिन अखलाक के घर से मिलने वाला मांस बीफ था ये तो साबित हुआ है. मैं मानता हूं मॉब लिंचिंग किसी भी सभ्य सामाज का परिचायक नहीं है लेकिन भीड़ पर किसी का नियंत्रण नहीं होता. हिंदु हो या मुसलमान ऐसा कहीं नहीं करना चाहिए कि भीड़ कानून को अपने हाथ में ले.
जांच के दौरान पुलिस ने अख़लाक के घर के फ्रिज से मांस को अपने कब्ज़े में लिया था. शुरुआती जांच में पता चला कि वो मांस मटन है, लेकिन मथुरा फॉरेसिंक लैब में हुई एक और जांच में पता चला कि वो मांस गाय या गोवंश प्रजाति का है.
दूसरी रिपोर्ट के आधार पर अखलाक के परिवार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था. गांव वालों ने आरोप लगाया है कि अख़लाक़ और उनके भाई को गांववालों ने बछड़े को काटते हुए देखा था.
हरिओम के अलावा उत्तरप्रदेश नवनिर्माण सेना ने जिसे टिकट दिया है, वो है शम्भू लाल रैगर. दिसंबर 2017 में राजस्थान के राजसमंद से एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें शम्भूलाल एक मुस्लिम मजदूर को बेरहमी से मार रहा था. उत्तरप्रदेश नवनिर्माण सेना की ओर से शम्भू लाल रैगर आगरा से प्रत्याशी होंगे. अमित जानी से फ़र्स्टपोस्ट ने पूछा कि आगरा क्यों? जानी कहते है, जब मोदी बनारस से चुनाव लड़ सकते है, हेमा मालिनी मथुरा से तो शम्भू आगरा से क्यों नहीं लड़ सकता.
पार्टी के एजेंडे पर बात करते हुए जानी ने कहा कि हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी ने लोगों को बरगलाया है. लोगों में नाराजगी है और वो बीजेपी को वोट देना नहीं चाहते. कांग्रेस पहले से नापसंद थी इसलिए बीजेपी को चुना था लेकिन अब वो कहां जाए? उनके पास विकल्प नहीं है. हम 20-25 प्रतिशत नोटा वालों को विकल्प दे रहें हैं.
इसके अलावा हमारी पार्टी गौ रक्षा के लिए काम करेंगे. हम यकीन दिलाते हैं कि जिस-जिस जगह से हमारी पार्टी चुनाव जीतेगी वहां कोई भी गाय पॉलीथिन खाते हुए नहीं दिखेगी. हम तो अभी से लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि एक परिवार एक गाय की जिम्मेदारी ले. हमें तो समझ नहीं आता जो गो माता हमारे लिए मम्मी है, वो नार्थ ईस्ट में यम्मी कैसे है?
सिसोदिया की उम्मदीवारी पर फ़र्स्टपोस्ट ने अखलाक के भाई जान मोहम्मद से बात की. जान ने कहा, इस देश में जो चल रहा है उसे रोक पाना ना हमारे बस की बात है, ना हम रोक पाएंगे. प्रजातंत्र है कोई भी चुनाव लड़ सकता है, हमें बस इंतजार है न्याय का. जनता, मीडिया सब समझदार है, फैसला करेंगे.
28 सितंबर 2015 को हुए इस हादसे के बाद अखलाक के परिवार ने बिसाहड़ा में अपना घर छोड़ दिया है. जान कहते है, ऐसा लगता है जहां से चले थे, अभी भी वहीं खड़े है. हमें कोर्ट से कोई शिकायत नहीं पर अब तक चार्ज फाइल नहीं हो पाई है. 8 अक्टूबर 2015 को घर छोड़ने के बाद हम कभी वहां नहीं लौटे.
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