आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों की आंशिक हड़ताल खत्म कराने की मांग पर राष्ट्रपति कार्यालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. साथ ही उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आंदोलन में अन्य राजनीतिक दलों से भी समर्थन मांगा है. आम आदमी पार्टी ने इस बात की भी पेशकश की है कि अगर अधिकारी अपनी हड़ताल खत्म करते हैं तो पार्टी केजरीवाल से आंदोलन खत्म करने का अनुरोध करेगी.
धरने पर बैठे हैं केजरीवाल और पार्टी के कार्यकर्ता
बुधवार को पार्टी से राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि अधिकारियों की चार महीने से जारी हड़ताल को खत्म कराने की मांग को लेकर केजरीवाल सहित दिल्ली सरकार के चार मंत्री राजनिवास में तीन दिन से धरना दे रहे हैं. उन्होंने कहा ‘उपराज्यपाल अनिल बैजल केजरीवाल की मांग सुनने के लिए तीन दिन में तीन मिनट का भी समय नहीं निकाल सके. दिल्ली में इसे आपात स्थिति मानते हुए मैंने राष्ट्रपति से दिल्ली और पंजाब के सभी विधायकों एवं सांसदों के साथ मिलने का समय मांगा है.’
अन्य पार्टियों से भी समर्थन की मांग
सिंह ने हड़ताल पर नहीं होने के अधिकारियों के दावे को गलत बताते हुए कहा कि अधिकारियों ने लिखित में यह बताया है कि वे मुख्यमंत्री और मंत्रियों की बैठकों में नहीं जाते हैं. उन्होंने कहा ‘यह सब अहंकार से लबरेज मोदी सरकार के इशारे पर उपराज्यपाल द्वारा कराया जा रहा है.’
सिंह ने कहा कि अगर अधिकारी हड़ताल वापस नहीं लेते हैं तो आप कार्यकर्ता सीएम आवास से राजनिवास तक शांति मार्च करने के साथ ही आंदोलन को तेज करेंगे. उन्होंने बताया कि इस मामले में एसपी, आरजेडी, आरएलडी, सीपीआई, और जेडीएस सहित अन्य दलों के नेताओं से केजरीवाल के आंदोलन को समर्थन देने के लिए बात बात चल रही है. सिंह ने कहा कि सभी दलों के नेताओं ने समर्थन का भरोसा दिया है.
उपराज्यपाल महज कठपुतली हैं, डोर किसी और के हाथ में है
इस बीच आरजेडी के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने मुख्यमंत्री आवास आकर केजरीवाल सरकार के आंदोलन को समर्थन दिया. झा ने उपराज्यपाल के रवैये को अलोकतांत्रिक भी बताया. उन्होंने केजरीवाल सरकार की पूर्ण राज्य की मांग को जायज बताते हुए कहा ‘दिल्ली के नागरिकों को पंगु सरकार नहीं चाहिए. जहां तक तीन दिन से जारी केजरीवाल के आंदोलन का सवाल है तो इस प्रकरण में उपराज्यपाल महज एक कठपुतली हैं, इसकी डोर किसी और के हाथ में है.’
आरएलडी के नेता जयंत चौधरी ने भी केजरीवाल के आंदोलन को जायज बताया. चौधरी ने ट्वीट कर कहा ‘सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी तीन दिन में पांच मिनट, जनता द्वारा निर्वाचित मुख्यमंत्री के लिए नहीं निकाल सकता? बिना केन्द्र सरकार के इशारे और शरण के ये संभव नहीं. ये शासन की विफलता है, यह केजरीवाल का नहीं जनादेश का अपमान है.’
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