शुक्रवार को एक बड़ी कार्रवाई के तहत चुनाव आयोग ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. इसे दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के लिए भारी झटका माना जा रहा है. आयोग ने विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी है. इसी के साथ दिल्ली की 20 सीटों पर उपचुनाव की नौबत आ गई है.
चुनाव आयोग का फैसला आते ही बीजेपी ने कहा है कि केजरीवाल सरकार को बर्खास्त कर देनी चाहिए. बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल से भी तत्काल इस्तीफा मांगा. इसी मामले में आम आदमी पार्टी 3 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली है.
We demanded copy of the letter but we have got nothing from the Election Commission. There has been no hearing. The matter is sub judice in the high court: Rajesh Gupta, Aam Aadmi Party MLA who has reportedly been disqualified in Office of Profit case pic.twitter.com/oTP0Jy1ieN
— ANI (@ANI) January 19, 2018
आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के लाभ का पद मामले में चुनाव आयोग पहले ही सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आप के 21 विधायक संसदीय सचिव हैं जो कि लाभ का पद है. इसलिए इनकी याचिका चुनाव आयोग खारिज कर दी थी.
क्या है मामला
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. इसके बाद 19 जून को प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया. इसके बाद जरनैल सिंह के पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राजौरी गार्डन के विधायक के रूप में इस्तीफा देने के साथ उनके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई थी.
आयोग का कहना है कि जब हाई कोर्ट ने विधायकों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताकर उन्हें दरकिनार कर दिया था, तब ये विधायक 13 मार्च 2015 से आठ सितंबर 2016 तक ‘अघोषित तौर पर’संसदीय सचिव के पद पर थे. अदालत ने आठ सितंबर 2016 को 21 आप विधायकों की संसदीय सचिवों के तौर पर नियुक्तियों को दरकिनार कर दिया था. अदालत ने पाया था कि इन विधायकों की नियुक्तियों का आदेश उप राज्यपाल की सहमति के बिना दिया गया था.
राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई. शिकायत में कहा गया था कि यह ‘लाभ का पद’ है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए. इससे पहले मई 2015 में चुनाव आयोग के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी.
क्या कहा था सीएम केजरीवाल ने
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई ‘आर्थिक लाभ’ नहीं मिल रहा है. इस मामले को रद्द करने के लिए आप विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका दायर की थी. वहीं राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था.
67 सीटें जीतकर आप ने रचा था इतिहास
अन्ना आंदोलन के बाद 2013 के आखिरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी पहली बार चुनाव में खड़ी हुई थी. चुनाव में पार्टी ने 28 सीटें हासिल की थीं जो बहुमत के लिए जरूरी 36 सीटों से 8 कम थीं. कांग्रेस के सहयोग से आप ने सरकार बनाई लेकिन 49 दिनों बाद ही अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था. इस तरह की खबरें भी आईं कि केजरीवाल के इस निर्णय से दिल्ली की जनता में नाराजगी है. 2015 में जब दोबारा चुनाव हुए तो केजरीवाल ने लोगों के बीच जाकर अपने इस्तीफे के लिए माफी भी मांगी. लोगों ने उनकी माफी स्वीकारी और 67 सीटें जिताकर दिल्ली विधानसभा के इतिहास में सबसे ज्यादा सीटें देने का कारनामा किया.
इन 20 विधायकों पर गिरी गाज
1. प्रवीण कुमार
2. शरद कुमार
3. आदर्श शास्त्री
4. मदन लाल
5. चरण गोयल
6. सरिता सिंह
7. नरेश यादव
8. जरनैल सिंह
9. राजेश गुप्ता
10. अलका लांबा
11. नितिन त्यागी
12. संजीव झा
13. कैलाश गहलोत
14. विजेंद्र गर्ग
15. राजेश ऋषि
16. अनिल कुमार वाजपेयी
17. सोमदत्त
18. सुलबीर सिंह डाला
19. मनोज कुमार
20. अवतार सिंह
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