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वह स्कूटर जिसके दो मालिक अभी मंत्री हैं- एक बंगाल में दूसरे झारखंड में

इस भाग्यशाली स्कूटर के मालिक दो लोग वर्तमान समय में अलग-अलग राज्यों में मंत्री हैं

Updated On: Nov 16, 2017 09:38 AM IST

Kanhaiya Bhelari Kanhaiya Bhelari
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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वह स्कूटर जिसके दो मालिक अभी मंत्री हैं- एक बंगाल में दूसरे झारखंड में

महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की तरह यह बजाज चेतक स्कूटर भी अपने मालिक के लिए काफी वफादार और लकी साबित हुआ है. तभी तो इसके दोनों मालिक अभी कद्दावर मंत्री हैं. और साथ ही साथ महराणा प्रताप की तरह 'लड़ाके' भी. स्कूटर का रजिस्ट्रेशन नम्बर हैः डी इ एस-1490.

पहले स्वामी अमित मित्रा पश्चिम बंगाल के ममता बनर्जी सरकार में फाइनेंस, एक्साइज, कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्टर हैं तो वहीं दूसरे ओनर सरयू राय झारखंड के रघुबर दास सरकार में पार्लियामेंट अफेयर्स तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. बातचीत में सरयू राय फख़्र के साथ कहते हैं 'वाकई हम दोनों के लिए यह स्कूटर काफी लकी रहा है'.

हकीकत ये है कि भाग्यशाली होने की बात केवल दोनों तक ही सीमित नहीं है. सरयू राय के अनुसार जितने लोगों ने इस स्कूटर की सवारी की वो आज राजनीति और पत्रकारिता के क्षेत्र में परचम लहरा रहे हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार से लेकर डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, अश्विनी कुमार चौबे या फिर आरजेडी के स्टालवार्ट लालू प्रसाद, जगदानंद सिंह, शिवानंद तिवारी और अब्दुल बारी सिद्दीकी तक सबने किसी न किसी कारण से अस्सी के दशक में इस लकी स्कूटर की सवारी की है.

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सरयू राय बताते हैं, 'एकबार तो जगदानंद सिंह जैसा भारी भरकम आदमी उस समय मेरे इस स्कूटर पर पीछे बैठ गया जब मैंने इसका इंजन बंधवाया था. इंजन सीज होने के डर से अपने चेतक को बहुत धीरे धीरे चलाना पड़ रहा था'. सबसे दिलचस्प बात ये है कि रहन-सहन में हाई-फाई रहने वाले बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने तो दर्जनों बार अपने पटना प्रवास के क्रम में सरयू राय के तब के इस बसंती की सेवा ली है.

1980 के दशक में बजाज चेतक स्कूटर का बहुत क्रेज था. बुकिंग के बाद डिलीवरी के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ता था. अमित मित्रा ने 1970 में बुकिंग कराई थी और 1980 में उनका नंबर आया था. दो साल तक दिल्ली में इसकी सवारी करने के बाद 1982 में मित्रा ने इसको अपने मित्र सरयू राय को बेच दिया था. 15 वर्षों तक सवारी करने बाद सरयू राय इसे अपने भतीजे संतोष राय को सुपुर्द कर झांरखंड की राजनीति करने उड़ गए. बजाज चेतक अभी भी पटना के रघुवंश अपार्टमेंट में चालू हालत में है. कभी-कभार मैं यह सोचकर इसकी सवारी कर लेता हूं कि मेरी भी राजनीति में लॉटरी लग जाए.

बात 1979-80 की है. अमित मित्रा अमेरीका की ड्यूक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद दिल्ली आए तो राजनीति की तरफ अचानक आकर्षित हुए. आरएसएस की आइडियोलॉजी से प्रभावित होकर भगवा ध्वज उठाने का मन बनाया. पटना आए और संघ के हेडक्वार्टर में रुकना हुआ. यहीं इनकी मुलाकात खांटी संघी सरयू राय से हुई. 1980 के लोकसभा चुनाव लड़ने के उद्देश्य से रांची गए थे. संघ और बीजेपी की लोकल यूनिट किसी बाहरी को उम्मीदवार बनाने के सख्त खिलाफ थी.

अमित मित्रा लौटकर पाटलीपुत्र आए. जनता पार्टी की युवा विंग के राष्ट्रीय महासचिव भी बनकर बिहार आते रहे. सरयू राय कहते हैं, 'मैं अपनी राजदूत मोटर साइकिल पर उनको पीछे बिठाकर नालंदा यूनिवर्सिटी का खंडहर दिखाने ले गया था. मेरी वो मोटर साइकिल चोरी हो गई तो अमित मित्रा अपनी बजाज चेतक स्कूटर 1982 में मुझे बेचकर विदेश पढ़ाने चले गए क्योंकि उनके मन में राजनीति के प्रति दुराव पैदा हो गया था'. पटना जिला के धनरुआ ब्लाक में अमित मित्रा ने एक स्कूल भी गोद लिया था. कई सालों तक 15 अगस्त और 26 जनवरी को होने वाले सालाना जलसे में भाग लेने आते थे. पता नहीं अब क्यों नहीं आते हैं?

रिश्ते में सुभाष चन्द्र बोस के नाती अमित मित्रा 1990 में भारत लौट आए और विभिन्न फ्रंट पर सक्रिय होकर फाइनेंस के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने लगे. कई वर्षों तक फिक्की के जनरल सेक्रेटरी रहे. भारत सरकार ने 2008 में मित्रा को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा. इसी दौर में वे ममता बनर्जी के संपर्क में आए. बतौर तृणमूल कांग्रेस नॉमिनी 2011 का चुनाव लड़े और 5 चुनाव तक अजेय रहे ताकतवर वाम सरकार में वित मंत्री रहे असीम दास गुप्ता को पटककर जायंट किलर बने.

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यही वह स्कूटर है जिसपर बैठकर सरयू राय ने नब्बे के दशक में लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाले की लड़ाई लड़ी. जिस प्रकार महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक दुश्मन की आहट को भांप जाता था उसी प्रकार राय जी के बजाज चेतक ने निर्जीव होते हुए भी कभी दगा नहीं दिया है. वो कहते हैं, 'सीबीआई का एक बड़े अफसर ने एक बार कहा कि मेरे ऊपर खतरा है. चार पहिये में सिक्योरिटी के साथ विचरण कीजिए. लेकिन पता नहीं मुझे क्यों ऐसा लगता रहा कि मैं अपने स्कूटर पर ही महफूज हूं'.

amit mitra

अमित मित्रा

जमाना गवाह है कि महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि बक्सर निवासी सरयू राय ने कभी भी गिड़गिड़ा कर राजनीति नहीं की. वो अपने चाहने वालों से कहते भी हैं, 'हमारे शरीर में राणा का लहू है. घास की रोटी खाकर रहना मंजूर है लेकिन किसी का टीटीएम बनना पसन्द नहीं. न चाहते हुए भी झारखंड के सीएम रघुबर दास को उन्हे मंत्री बनाकर उनके इच्छा अनुसार विभाग देना पड़ा.

वैसे गाहे-बगाहे लोगों के बीच चर्चा होती रहती है कि एक दिन सरयू राय सीएम की कुर्सी पर जरूर बैठेंगे. अगर ऐसा होता है तो इस बजाज चेतक स्कूटर का नाम चेतक घोड़े की तरह इतिहास में दर्ज हो जाएगा.

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