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राहुल गांधी के इस तेवर की वजह नरेंद्र मोदी तो नहीं!

राहुल गांधी के किस्सों और वादों की हकीकत का पता अभी तो नहीं लगाया जा सकता लेकिन इतना तो नजर आ रहा है कि कई झटकों के बाद अब वह संभलने की कोशिश जरूर कर रहे हैं

Updated On: Mar 19, 2018 09:04 AM IST

Pratima Sharma Pratima Sharma
सीनियर न्यूज एडिटर, फ़र्स्टपोस्ट हिंदी

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राहुल गांधी के इस तेवर की वजह नरेंद्र मोदी तो नहीं!

वक्त कभी एक जैसा नहीं रहता. बदलता रहता है. कांग्रेस के 84वें महाधिवेशन में राहुल गांधी का भाषण सुनकर ऐसा ही लगा मानो कांग्रेस का वक्त अब बदलने वाला है. करीब 45 मिनट के भाषण में राहुल गांधी पूरी तरह अपनी पुरानी छवि से अलग नजर आए.

भारतीयों की एक दिलचस्प आदत है. इन्हें वही नेता पसंद आता है जो लच्छेदार भाषण दे सके. लुभावनी बातों, वादों, कटाक्ष...तेवर...इन सबकी वजह से ही देसी मतदाता खुद को किसी भी नेता से जोड़ पाते हैं.

18 मार्च 2018 का राहुल गांधी का भाषण न सिर्फ कांग्रेसी नेताओं बल्कि उनके समर्थकों के लिए बेहद यादगार रहेगी. अभी तक अपने तमाम बयानों के लिए आलोचनाओं का शिकार हुए राहुल गांधी के लिए भी यह अनुभव भी अलग होगा. राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिस तरह से केंद्र को आड़े हाथों लिया वह पहले से अलग था.

आखिर ऐसा क्या कह डाला राहुल ने?

यह कहना गलत नहीं होगा कि राहुल गांधी के भाषण में नरेंद्र मोदी का अंदाज नजर आया. नरेंद्र मोदी जिस तरह से आम लोगों के सामने अपनी बात रखते हैं, वह लाजवाब होता है. बात चाहे नोटबंदी की हो या जीएसटी की, नरेंद्र मोदी जब बोलते हैं तो जनता को उनकी हर बात सही लगती है. देसी टच, मजाकिया लहजा और कटाक्ष...नरेंद्र मोदी के इसी अंदाज को कुछ हद तक राहुल गांधी ने भी खुद में उतारने का प्रयास किया है.

ऐसा नहीं है कि वो इसमें पूरी तरह कामयाब हो गए हैं. लेकिन इस भाषण में शुरुआत तो हो गई है. राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत करते ही यह साफ कह दिया कि वह अंग्रेजी और हिंदी में बोलेंगे. अंग्रेजी इसलिए ताकि दक्षिण भारतीय नेता उनकी बात समझ पाएं, जिन्हें हिंदी नहीं आती. और हिंदी इसलिए ताकि आम जनता तक उनकी बात पहुंच सके.

अपने भाषण की शुरुआत ही राहुल गांधी ने बीजेपी की तुलना कौरव और कांग्रेस की तुलना पांडव से करते हुए की. उन्होंने कहा कि हर हाल में कांग्रेस सच्चाई के लिए लड़ती रहेगी.

यूपीए सरकार जब शासन में थी तब कोलगेट, 2जी जैसे कई घोटाले हुए. घोटालों की वजह कांग्रेस को बार-बार आलोचनाओं का भी शिकार होना पड़ा है. नरेंद्र मोदी ने भी कई बार अपने भाषणों में कहा है कि 'मैं ना खाऊंगा ना खाने दूंगा.' भ्रष्टाचार कांग्रेस की कमजोर कड़ी रही है लेकिन राहुल गांधी ने अब इस मामले में भी झुकते हुए नजर नहीं आए.

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नीरव मोदी, ललित मोदी का जिक्र करते हुए उन्होंने बीजेपी को भी कटघरे में खड़ा कर दिया. राहुल राहुल गांधी ने जिस दृढ़ता के साथ यह भरोसा दिलाया कि वह सच्चाई के लिए लड़ेंगे, वो अंदाज पहले से अलग था.

एक खास बात राहुल गांधी के भाषण में नजर आई जो आमतौर पर किसी नेता के भाषण में नहीं होता. उन्होंने कहा, 'हम अपनी गलतियों से सीखते हैं जबकि, बीजेपी नहीं.' यह कहकर राहुल गांधी ने पूरी बहस को एक नई दिशा दे दी है.  छह महीने पहले तक भी कांग्रेस के बारे में यह कहा जाता था कि कांग्रेस कहीं टक्कर में नहीं है. अभी तक के नतीजे तो कांग्रेस के लिए निराशाजनक ही हैं. आगे क्या होगा यह भी किसी को पता नहीं है. लेकिन राहुल गांधी ने ताल ठोंककर 2019 में जीत का दावा जरूर कर दिया है.

यूपी के गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में दोनों कांग्रेस उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. कांग्रेस की कल जैसी हालत थी, वैसी ही आज भी है. बदले हैं तो सिर्फ राहुल गांधी. अब ये बदलाव कांग्रेस को आने वाला कल कैसा दिखाता है यह अभी भविष्य की परतों में छिपा है.

मजाकिया लहजा और कटाक्ष के तेवर 

नरेंद्र मोदी जब भी अपना भाषण देते हैं और राहुल गांधी का जिक्र वो तो 'शहजादा' कहकर ही संबोधित करते हैं. आज बारी राहुल गांधी की थी. उन्होंने किसानों की मुश्किलों का जिक्र करते हुए कहा कि भूख से परेशान किसानों को पीएम मोदी कहते हैं 'चलो इंडिया गेट पर योग करते हैं.' किसानों की दिक्कतों को योग से जोड़कर राहुल गांधी ने यह साबित कर दिया है कि अब ना तो वो पहले की तरह हैं और ना उनके भाषण का अंदाज.

कहानी-किस्सों का दौर भी खूब चला

नरेंद्र मोदी के भाषण में एक खासियत होती है कि वह अपने जीवन की कहानियां और अनुभव सुनाते रहते हैं. इस बार राहुल गांधी ने भी कुछ यही किया. हो सकता है कि पहले भी किसी मौके पर उन्होंने कहानी सुनाई हो लेकिन आज उनमें आत्मविश्वास था. और वो विश्वास उनकी कहानियों में भी नजर आया.

उन्होंने कहा कि  गुजरात चुनाव के दौरान जब वह एक मंदिर गए थे तो पंडित ने कहा था कि 'आप प्रधानमंत्री बनेंगे. लेकिन ये जो छत है इसे सोने का बनवा दीजिएगा.' एक और किस्सा. किस्सों और वादों की हकीकत का पता तो अभी नहीं लगाया जा सकता लेकिन इतना तो नजर आ रहा है कि कई झटकों के बाद राहुल गांधी अब संभलने की कोशिश जरूर कर रहे हैं.

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