लगभग पांच घंटे चली बहस के बाद लोकसभा से सामान्य तबके के गरीब लोगों को आरक्षण का फायदा दिलाने वाला बिल पास हो गया. बिल के पक्ष में 323 वोट पड़े, जबकि, विरोध में महज 3 वोट पड़े. इस तरह से जरूरी दो तिहाई से ज्यादा वोट से इस बिल को सरकार ने लोकसभा से पारित करा लिया.
मौजूदा सत्र के आखिरी दिन लोकसभा से बिल पास होने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. लेकिन, अब सरकार की असली परीक्षा राज्यसभा के भीतर होनी है. इस बिल को पास कराने के लिए ही राज्यसभा की कार्यवाही को एक दिन के लिए और बढ़ाया गया है.
राज्यसभा के भीतर सरकार के पास बहुमत नहीं है. लेकिन, सरकार को उम्मीद है कि कांग्रेस समेत दूसरे विरोधी दल भी इस मुद्दे पर सरकार का साथ देंगे और इस बिल का विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाएंगे.चुनावी साल में पीएम मोदी ने जो पासा फेंका है, उसका नतीजा है कि इस बिल को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करने के बावजूद विरोधी दल इस बिल का विरोध नहीं कर पा रहे हैं.
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से के वी थॉमस ने जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति में ) में इस बिल को भेजने की मांग की, फिर भी कांग्रेस इस बिल के विरोध में वोटिंग करने का साहस नहीं जुटा पाई. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सदन में बोलते हुए इसे एक ऐतिहासिक दिन बताया. गहलोत ने इस बिल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अच्छी नीति और नीयत का परिचायक बताया.
जेटली ने कहा- पहले से मौजूदा कोटे में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होगी
इस बिल पर विपक्ष के हर सवालों और हर शंकाओं का जवाब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिया. जेटली ने उन सभी सवालों पर विरोधियों को जवाब दिया जिसके चलते इस बिल के लागू होने और इसके भविष्य पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. सबसे पहले वित्त मंत्री ने साफ कर दिया कि पहले से मौजूदा कोटे में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.
जेटली ने कहा, ‘वह मौजूदा कोटा सिस्टम के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे. यानी पहले की तरह एससी-एसटी और ओबीसी को आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा.’ जेटली ने कहा, ‘यह बिल आर्थिक समानता के लिए है.’ उन्होंने कहा कि इस बिल से गरीब सवर्णों की स्थिति बेहतर होगी.
आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ाए जाने और कोर्ट में इसको चुनौती देने का सवाल बार-बार सामने आ रहा था. इस पर जेटली ने कहा, ‘पहले कई राज्यों की तरफ से या तो नोटिफिकेशन के आधार पर या सिर्फ साधारण कानून के जरिए ही आरक्षण दिया गया था जिसके चलते कोर्ट के सामने मामला आने पर इस तरह की कोशिशें सफल नहीं हो पाई थीं.’
उन्होंने कहा कि ‘पहले से आरक्षण का आधार सामाजिक तौर पर या फिर शैक्षणिक तौर पर पिछड़े तबके को ही देने का रहा है, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी की सीमा तय कर दी है. यही वजह है कि पहले राज्य सरकारों की तरफ से लाया जा रहा बिल और आरक्षण देने की कोशिश को कोर्ट ने खारिज कर दिया था. लेकिन, केंद्र सरकार की तरफ से लाए जा रहे बिल का आधार आर्थिक आधार है और संविधान संशोधन के जरिए यह प्रावधान किया जा रहा है लिहाजा इस बिल को खारिज नहीं किया जा सकता.’
जेटली ने यह भी साफ कर दिया कि इस बिल को राज्यों की विधानसभाओं से भी पारित कराने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी. जेटली ने कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों से उनके चुनावी घोषणा पत्र की याद दिलाते हुए कहा कि ‘लगभग सभी दलों ने आर्थिक तौर पर आरक्षण की वकालत की थी, लेकिन, अब उनकी परीक्षा है.’ जेटली ने कहा कि अब सभी दल इस बिल का समर्थन करें तो खुले दिल से करें.
लेफ्ट पार्टी पर तंज कसते हुए जेटली ने कहा कि अगर आप इस बिल का विरोध करते हैं तो यह दुनिया में पहली बार होगा जब गरीबों के हित के बिल का विरोध कम्यूनिस्टों ने भारत में किया. बीजेपी की तरफ से यूपी बीजेपी अध्यक्ष और सांसद महेंद्र नाथ पांडे और निशिकांत दूबे ने भी चर्चा में हिस्सा लेते हुए इस बिल का समर्थन किया. महेंद्र नाथ पांडे ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 56 इंच के सीने की ताकत बताया तो दूसरी तरफ, निशिकांत दुबे ने इसे ऐतिहासिक दिन बताते हुए होली-दीपावली मनाने वाला दिन बताया.
प्राइवेट सेक्टर और न्यायपालिका में भी इसी बिल के मुताबिक 60 फीसदी आरक्षण हो: पासवान
बीजेपी की तरफ से पुराने समाजवादी नेता रहे हुकुमदेवनारायण यादव ने सबसे जोरदार वकालत की. यादव ने समाजवादी पार्टी की तरफ से इस बिल पर की गई टिप्पणी और उनके सांसद धर्मेंद यादव की तरफ से सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करने पर अपना ऐतराज जताया.
हुकुमदेवनारायण यादव ने कहा कि ‘मोदी जी ने जो उदारवाद की धारा बहाई है, उस धारा को लेकर आगे बढने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि ‘जनेश्वर मिश्रा, राजनारायण और मोहन सिंह जैसे सवर्ण नेताओं के त्याग और परिश्रम के चलते मुलायम सिंह-अखिलेश यादव यहां तक पहुंचे. आज गरीब सवर्णों के बेटों के आंसू पोंछने की जरूरत है.’
सरकार की सहयोगी एलजेपी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी इस बिल का समर्थन किया लेकिन, उन्होंने प्राइवेट सेक्टर और न्यायपालिका में भी इसी बिल के मुताबिक, 60 फीसदी आरक्षण की मांग की. बीजेपी की दूसरी सहयोगी अपना दल (एस) की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि ‘जानना चाहती हूं कि 2021 में आबादी के हिसाब से क्या पिछड़ों को आरक्षण मिलेगा कि नहीं, कई राज्यों मे 27 फीसदी भी नहीं मिलता.’
अनुप्रिया पटेल ने भी पासवान की तरह प्राइवेट सेक्टर और न्यायपालिका में भी आरक्षण की मांग की. बीजेपी की एक और सहयोगी शिवसेना ने भी आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण से संबंधित इस बिल का लोकसभा में समर्थन किया, लेकिन सरकार को इस मुद्दे पर भी घेरने की कोशिश की.
शिवसेना ने सरकार से सवाल पूछा कि साढ़े चार साल की देरी क्यों हुई? हालांकि इस बिल के मौजूदा स्वरुप का विरोध आरजेडी की तरफ से किया जा रहा था, तेजस्वी यादव ने सदन के बाहर इस पर सवाल खड़ा किया था, जबकि सदन के भीतर उनके सांसद जय प्रकाश नारायण यादव ने सवाल खड़ा किया.
लेकिन, बाकी दूसरे दल कुछ आनाकानी करने के बावजूद इस बिल के विरोध में नहीं दिखे. सबकी तरफ से बार-बार प्राइवेट सेक्टर और न्यायपालिका में आरक्षण लागू करने की ही मांग को दोहराया गया. अब इस बिल को बुधवार को राज्यसभा में लाया जाएगा. इस बिल के राज्यसभा से पास होने के बाद ‘आर्थिक रूप से कमजोर’ तबकों के लिए अलग से दस फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा. राज्यसभा से पारित होकर कानून बनने के बाद आरक्षण का आंकड़ा बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगा.
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