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सवर्णों के 10 फीसदी कोटे पर इस पिछड़े नेता के भाषण ने दिल जीत लिया

लोकसभा में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ने उन सवर्ण नेताओं का जिक्र किया जिन्होंने पिछड़ी जाति के नेताओं के उत्थान में मदद की थी

Updated On: Jan 09, 2019 05:39 PM IST

Abhishek Tiwari Abhishek Tiwari

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सवर्णों के 10 फीसदी कोटे पर इस पिछड़े नेता के भाषण ने दिल जीत लिया

'आई एम सॉरी... आप जैसे सीनियर को मैं केवल दो-तीन मिनट ही दे पा रही हूं, मगर आप सक्षम हैं, इतने में अपनी बात रखने के लिए.'

ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के थे. मौका था आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए लाए गए संविधान संशोधन (124वां ) विधेयक पर चर्चा का. मंगलवार को यह विधेयक लोकसभा से पारित हो गया. इस विधेयक पर जब चर्चा करने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ सांसद और समाजवादी नेता हुकुमदेव नारायण यादव बोलने के लिए उठे तो लोकसभा स्पीकर ने बड़ी सौम्यता से ये बातें कहीं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हुकुमदेव नारायण यादव का कद क्या है.

लोकसभा स्पीकर से 2-3 मिनट का समय मिलने के बाद जब हुकुमदेव नारायण यादव बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने लगभग 9 मिनट का भाषण दिया और इस दौरान न किसी संसद के सदस्य ने शोर-शराबा किया और न ही स्पीकर ने उन्हें चुप कराने की कोशिश की.

हुकुमदेव नारायण यादव ने अपने भाषण में जिन मुख्य मुद्दों का जिक्र किया उसमें ये था कि कैसे सवर्ण या अगड़ी जाति के नेताओं ने पिछड़ा वर्ग के कई बड़े नेताओं को राजनीति में आगे बढ़ाया. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की कहानी बताकर ये समझाने की कोशिश की कि ऐसे कई मौके आए जब अगड़ों के नेताओं ने राजनीतिक स्वार्थ त्याग कर पिछड़े नेताओं को आगे करने में मदद की. उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और मुलायम सिंह यादव का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे पिछड़ा वर्ग के इन दो बड़े नेताओं को आगे बढ़ाने में उनके वक्त के कई अगड़े नेताओं ने मदद की. उन्होंने बैकवर्ड कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने में अगड़ी जाति के नेताओं की मदद की बात भी कही. राजनीति के जिस उदारवादी विचारधारा की बात वो कर रहे थे, उसने पूरी संसद को खामोश कर दिया. लोकसभा में उनका ये भाषण शायद आने वाले वक्त में भी याद रखा जाएगा.

अपने साथ के सवर्ण नेताओं का किया जिक्र

अपनी भाषण के शुरुआत में उन्होंने जिक्र किया कि किस कदर डॉ वैधनाथ झा, डॉ शिवचंद्र झा, दिगंबर ठाकुर और भागीरथ झा ने उनकी मदद की. उन्होंने कहा कि जब इन समाजवादी नेताओं के घर मैं जाता था तो वो कहते थे कि हुकुमदेव जब पिछड़ों का राज आएगा तो गरीब ब्राह्मण के घर के बच्चों के बारे में भी आप सोचिएगा. संपूर्ण समाज के समग्र विकास के लिए सोचिएगा. आज वो समय आ गया है जब उनके बारे में सोचा जा रहा है.

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उन्होंने बिहार की बात करते हुए कहा कि रामानंद तिवारी और कपिलदेव सिंह जैसे सवर्ण जातियों के लोग कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में लड़ते थे. उन्होंने उस दौर की बात करते हुए कहा कि सत्येंद्र नारायण सिंह ने कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में समाजवाद की लड़ाई लड़ी थी.

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi with Home Minister Rajnath Singh in Lok Sabha passes the bill to provide 10 per cent reservation in jobs and educational institutions to economically backward section in the general category, in Lok Sabha in New Delhi, Tuesday, Jan 8 2019. (PTI Photo)(LSTV grab via PTI) (PTI1_8_2019_000262B)

हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा कि उस समय जनता पार्टी में 33 राजपूत नेता थे लेकिन उनमें से 17 ने सत्येंद्र नारायण सिंह का समर्थन करने की बजाय कर्पूरी ठाकुर का समर्थन किया और वे बिहार के मुख्यमंत्री बने. यादव ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने भी 3 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए दिया था और यह अपने आप इस तरह का पहला मामला था.

बैकवर्ड कमीशन को संवैधानिक दर्जा मिला

इसके बाद हुकुमदेव नारायण यादव ने बैकवर्ड कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की बात का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि मुझसे लोग कहते थे कि बीजेपी में हो... बीजेपी अगड़ों की पार्टी है. वे लोग बैकवर्ड कमीशन को संवैधानिक दर्जा नहीं देंगे लेकिन राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, लाल कृष्ण आडवाणी और कलराज मिश्र जैसे नेताओं ने इसका समर्थन किया. उन्होंने पूछा कि क्या ये इन नेताओं की पिछड़े वर्ग के लिए कुर्बानी नहीं है क्या, इनके इस कुर्बानी को भूल जाएंगें?

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हुकुमदेव नारायण यादव ने समाजवादी पार्टी के एक सांसद पर भी निशाना साधते हुए उनके पार्टी के लिए खून पसीना बहाने वाले सवर्ण नेताओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को बनाने में जनेश्वर मिश्र, ब्रजभूषण तिवारी, मोहन सिंह और राजनारायण जैसे नेताओं का योगदान कम हैं क्या?

हुकुमदेव नारायण यादव अपने भाषण में समजावाद और उदारवाद का जिक्र कर रहे थे. उन्होंने कहा कि देश में हमेशा से दो विचारधारा के बीच द्वंद रहा है. वो दो विचारधाराएं हैं... एक कट्टरपंथी और दूसरी उदारवादी. आज हिंदुस्तान में उदारवादी विचारधारा को बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने इसका जिक्र करते हुए वाल्मीकि से लेकर कई बीजेपी नेताओं का जिक्र किया. मैं हमेशा से ही कट्टरपंथी विचारधारा का विरोधी रहा हूं. चाहे वह धार्मिक कट्टरता हो, राजनीतिक कट्टरता हो या सांप्रदायिक कट्टरता हो. यादव ने कहा कि जबतक जिंदा रहूंगा तबतक उदारवाद की लड़ाई लड़ते रहूंगा.

कौन हैं हुकुमदेव नारायण यादव?

हुकुमदेव नारायण यादव फिलहाल बिहार के मधुबनी से बीजेपी सांसद हैं. उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत ग्राम प्रधान से हुई थी. बाद में वे बिहार विधानसभा पहुंचे. यादव पहली बार जनता पार्टी की टिकट पर 1977 में मधुबनी से सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद वे कई बार राज्यसभा और लोकसभा सांसद रहे. डॉ राममनोहर लोहिया को अपना आदर्श मानने वाले हुकुमदेव समाजवादी विचारधारा के नेता हैं.

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