कुंभ मेले के सबसे महत्वपूर्ण स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर सोमवार को शाम 5 बजे तक लगभग 5 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई. सोमवारी मौनी अमावस्या दशकों बाद पड़ता है, इसलिए इस पर्व की भारतीय संस्कृति में महत्ता और भी बढ़ जाती है.
गंगा, यमुना और संगम तट के दोनों तरफ आठ किलोमीटर क्षेत्र में बनाए गए 40 घाटों पर लोगों ने स्नान किया.
हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ भोर से ही अखाड़ों के नागा साधु संन्यासियों का शाही स्नान जारी रहा जो अपराह्न 3 बजकर 40 मिनट तक चला. सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री पंचायती अटल अखाड़ा के साधु संतों ने सुबह सवा पांच बजे संगम घाट पर शाही स्नान किया.
श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा के साधु संतों ने भी शाही स्नान किया. इसके बाद तीसरे नंबर पर पंच दशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा और श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा के साधु संतों ने सुबह आठ बजे शाही स्नान किया
जूना अखाड़ा में नागा साधुओं की संख्या लगभग 8,000-10,000 थी और उनके जुलूस को देखकर ऐसा लग रहा था कि देशभर के नागा साधु संन्यासी सोमवती अमावस्या का शाही स्नान करने को प्रयागराज की धरती पर उतर आए हैं.
कुंभ मेले के दूसरे शाही स्नान पर भी हेलीकॉप्टर से नागा साधु संन्यासियों से पुष्प वर्षा की गई. इससे पहले मकर संक्रांति को हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए थे.
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