देश-दुनिया में शहनाई को नई पहचान देने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह खां किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. आज यानी 21 मार्च को उनके जन्मदिन पर पूरा देश उनको याद कर रहा है(फोटो: रॉयटर्स)
बिस्मिल्लाह खां का जन्म यूं तो बिहार के पारंपरिक मुस्लिम परिवार में हुआ था मगर उनकी आत्मा हमेशा बनारस में ही बसती थी (फोटो: रॉयटर्स)
6 साल की उम्र में अपने मामू के पास बनारस आने के बाद बिस्मिल्लाह खां ने उनसे शहनाई सिखना शुरू किया, और एक वक्त ऐसा आया जब लोग उन्हें शहनाई का पर्याय कहने लगे. (फोटो: रॉयटर्स)
भारतरत्न से सम्मानित हो चुके बिस्मिल्लाह खां का बनारस से लगाव कितना गहरा इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अमेरीका में जाने का प्रस्ताव ये कहकर ठुकरा दिया था कि क्या मेरी गंगा को अमेरीका में ला पाओगे.
बिस्मिल्लाह खां ने अपनी अंतिम सासें भी 2006 में बनारस में ही ली थी. (फोटो: रॉयटर्स)
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