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कुंभ में कैबिनेट मीटिंग और मंत्रियों के स्नान को लेकर योगी सरकार पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री समेत अनेक मंत्रियों का संगम स्थल पर फोटो खिंचवाना 'यूनाइटेड प्रोविंसेस मेला नियमावली-1940' का खुला उल्लंघन है

Updated On: Feb 06, 2019 04:48 PM IST

Bhasha

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कुंभ में कैबिनेट मीटिंग और मंत्रियों के स्नान को लेकर योगी सरकार पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्रिपरिषद की बैठक के आयोजन और संगम तट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई मंत्रियों के स्नान करने के दौरान की फोटो ब्रॉडकास्ट किए जाने को लेकर बुधवार को विधान परिषद में सत्तापक्ष और समाजवादी पार्टी के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई.

एसपी नेता शतरूद्र प्रकाश ने शून्यकाल के दौरान नियम 59(9) के तहत यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि पिछले 29 जनवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके अनेक मंत्रियों ने प्रयागराज में आयोजित अर्द्धकुंभ में संगम में स्नान करते हुए फोटो खिंचवाई थी जो सभी समाचारपत्रों में प्रकाशित होने के साथ-साथ की टीवी चैनलों पर प्रसारित भी की गई थीं.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री समेत अनेक मंत्रियों का संगम स्थल पर फोटो खिंचवाना 'यूनाइटेड प्रोविंसेस मेला नियमावली-1940' का खुला उल्लंघन है.

प्रकाश ने कहा कि इसके अलावा 29 जनवरी को ही कुंभ मेला परिसर के सेक्टर-2 में स्थित इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल कार्यालय में मंत्रिपरिषद की बैठक करना पूरी तरह गैर धार्मिक कार्य है जबकि उत्तर प्रदेश प्रयागराज मेला प्राधिकरण प्रयाग राज अधिनियम 2017 की धारा 18 में लिखा है कि मेला परिक्षेत्र में धार्मिक प्रयोजन के अलावा किसी अन्य प्रयोजन के लिए जन समूह का एकत्र होना प्रतिबंधित है.

उन्होंने कहा 'निश्चित तौर पर कुंभ प्रयागराज मेला परिसर में मंत्रिपरिषद की बैठक गैर धार्मिक प्रयोजन है. प्रदेश के पूरे मंत्रिपरिषद को इस तरह के अशोभनीय और गैर गंभीर आचरण से बचना चाहिए था.' नेता सदन, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस पर कहा कि यह कहीं भी नहीं लिखा है कि मंत्रिपरिषद की बैठक राजधानी लखनऊ के अलावा और कहीं नहीं हो सकती. जहां तक स्नान के दौरान फोटो खींचे जाने की बात है तो वे तस्वीरें 'सेल्फी प्वाइंट' पर खिंचवाई गई थीं. इसके अलावा जो फोटो सामने आई हैं, वे मीडिया ने खींची थीं और उसे ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता. नियम के अनुसार, मीडिया की ओर से प्रसारित सामग्री का इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति कर सकता है.

उन्होंने एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तंज करते हुए उनका नाम लिए बगैर कहा कि इनकी पार्टी के वरिष्ठ लोगों ने भी गंगा में डुबकी लगाते हुए फोटो खिंचवाई थी. क्या वह अशोभनीय नहीं था? एसपी सदस्य शतरूद्र प्रकाश ने अपने वक्तव्य में जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया उससे आस्था पर चोट लगी है और सदन अपमानित हुआ है. लिहाजा इसे सदन की कार्रवाई से हटा दिया जाए.

नेता सदन के इस बयान पर एसपी सदस्यों आनंद भदौरिया, सुनील सिंह साजन और कुछ अन्य पार्टी सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए उन पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया. सत्ता पक्ष के सदस्यों के एतराज जताने पर दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक हुई. इस बीच एसपी सदस्य सदन के बीचों-बीच आकर नारेबाजी करने लगे. उन्होंने सरकार पर धर्म और संस्कृति का मजाक बनाने का आरोप लगाया.

इसी दौरान मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह अपनी जगह पर खड़े होकर 'आस्था पर चोट करना बंद करो' के नारे लगाने लगे. नेता सदन ने भी एसपी सदस्यों की दलीलों का विरोध किया. हंगामे के बीच सभापति रमेश यादव ने सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित कर दी.

सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने फिर यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि नेता सदन का व्यवहार अशोभनीय है. बीजेपी सरकार के सिर पर सिर्फ चुनाव सवार है और वह हर आयोजन का भगवाकरण कर रही है. इस पर शर्मा ने आरोप लगाया कि एसपी सदस्यों ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, उन्हें खेद प्रकट करना चाहिए.

बहरहाल, बहस-मुबाहिसे के बीच सभापति रमेश यादव ने कहा कि सत्तापक्ष और विपक्ष के अशोभनीय शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाए.

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