आज यानी 13 फरवरी को पूरी दुनिया वर्ल्ड रेडियो डे मना रही है. लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह के ट्वीट्स और पोस्ट करके बधाई दे रहे. आज के समय में रेडियो लोगों का पसंदीदा बना हुआ है लकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इसके खत्म होने की चर्चा शुरू हो गई थी.
टीवी को लोगों के सामने आए कुछ समय ही हुआ था जब अचानक एक फुसफुसाहट शुरू हो गई. टेलीविजन के आते ही ये बात तेजी से फैलने लगी कि अब तो रेडियो के दिन गए. सुनने के साथ ही देखने की सुविधा वाली टेलीविजन के सामने सिर्फ सुनने का मजा कौन लेना चाहेगा. इसलिए कहा जाने लगा कि अब जल्द ही रेडियो का जमाना खत्म हो जाएगा क्योंकि उसकी जगह टीवी ले लेगी.
कई सारे लोगों को ये बात सही भी लग रही थी क्योंकि उनके पास सुनने के साथ-साथ देखने का साधन भी उपलब्ध हो गया था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. समय बदला लोग बदले और उसके साथ रेडियो ने भी खुद को बदल लिया और एफएम के रूप में सबके सामने आया. रेडियो का ये नया अवतार लोगों को खूब पसंद आया और यही वजह है कि रेडियो आज डिजिटल मीडिया और टीवी के बीच खुलकर सांसे ले रहा है. आज आलम ये है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रेडियो के सहारे ही मन की बात लोगों तक पहुंचा रहे हैं.
The radio brings us closer and I am continuously experiencing this through #MannKiBaat. Here is where you can hear all the episodes. https://t.co/FT9rjXtMni #WorldRadioDay
— Narendra Modi (@narendramodi) February 13, 2018
आज के समय में कार से लेकर मोबाइल तक रेडियो हर जगह फैल चुका है लेकिन एक वक्त ऐसा भी जब इसके शुरू होने पर भी पाबंदी लगाई जा रही थी. साल था 1918 जब ली द फोरेस्ट ने न्यूयॉर्क के हाईब्रिज इलाके में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन शुरू किया. लेकिन कुछ दिनों बाद ही पुलिस को इसकी भनक पड़ गई और रेडियो स्टेशन बंद कर दिया गया. इसके एक साल बाद सैन फैंसिस्को में ली द फोरेस्ट ने दोबारा नया रेडियो स्टेशन शुरू किया. इसके बाद 1920 में नौसेना के रेडियो विभाग में काम कर चुके फ्रैंक कॉनार्ड को दुनिया में पहली बार कानूनी तौर पर रेडियो स्टेशन शुरू करने की अनुमति मिली. धीरे धीरे दुनिया भर में सैकड़ों रेडियो स्टेशन काम करने लगे.
"TV gives everyone an image, but radio gives birth to a million images in a million brains" - With the theme of 'Radio and Sports', #WorldRadioDay being celebrated pic.twitter.com/X3l5BByvo4
— Doordarshan News (@DDNewsLive) February 13, 2018
भारत में रेडियो 1924 में आया. इसे लाने वाला था मद्रास प्रेसिडेंट क्लब. 3 साल तक इसमें काम किया गया फिर 1927 में आर्थिक मुश्किलों के चलते इसे बंद कर दिया गया. इसी साल बॉम्बे के व्यापारियों ने एक बार फिर बॉम्बे और कलकत्ता में रेडियो स्टेशन बनवाए. 1930 तक इसमें काम चला फिर 1932 में सरकार ने इसकी कमान अपने हाथों में ले ली. 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो रख दिया गया. 1947 में एआईआर के पास केवल 6 रेडियो स्टेशन थे जिनकी पहुंच केवल 11 प्रतिशत लोगों के पास थी लेकिन आज के वक्त में ये रेडियो स्टेशन बढ़कर 223 हो गए हैं जिनकी पहुंच बढ़कर 99.1 प्रतिशत हो गई है.
2006 के बाद रेडियो का विकास और तेजी से हुआ क्योंकि इसके बाद रेडियो कमान सरकारी हाथों तक सीमित नहीं रही थी. इसके बाद हर रूप में इसका विकास होने लगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसकी पहुंच बढ़ती गई. धीरे धीरे रेडियो अपनी एक अलग जगह बनाने में कामयाब हो गया जो टीवी और डिजिटल मीडिया से बिलकुल अलग थी.
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