यह एक डराने वाला तथ्य है कि दुनिया भर में हर साल 80 लाख से ज्यादा लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं. इनमें से 40 लाख लोग समय से पहले मर जाते हैं. ये 40 लाख लोग वो हैं जो 30 से 69 साल की उम्र में ही अपनी जान गंवा देते हैं. वक्त का तकाजा है कि इस बीमारी के खिलाफ चौतरफा जंग छेड़ी जाए वर्ना 2025 तक, इसकी वजह से समय से पहले होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 60 लाख तक होने की आशंका है.
आज यानी 4 फरवरी को दुनिया भर में वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जा रहा है. ये एक वैश्विक कार्यक्रम है, जो दुनिया के हर व्यक्ति को इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ एकजुट करने का आह्वान करता है. इसका उद्देश्य जागरूकता फैलाना, कैंसर के बारे में शिक्षा बढ़ाना और विश्व में सरकारों और व्यक्तियों को कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील बनाना है. वर्ल्ड कैंसर डे मनान की शुरुआत 4 फरवरी 2000 से की गई थी ताकि कैंसर के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक किया जा सके.
भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारी केंसर
कैंसर भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बन गया है. पिछले ढाई दशक में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या में दोगुना से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है. यही नहीं, देश में होने वाली कुल मौतों में कैंसर की हिस्सेदारी बढ़कर 8.3 फीसदी हो चुकी है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की एक अध्ययन रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि साल 1990 में देश में कैंसर के चलते 3.82 लाख मौतें हुईं थीं. 2016 में यह संख्या बढ़कर 8.13 लाख हो गई. यहां चिंता का विषय यह है कि आम तौर पर जागरूकता की कमी से कैंसर होने की बात कही जाती है, लेकिन कैंसर के सबसे अधिक मामले केरल में सामने आए हैं, जहां साक्षरता दर देश में सबसे ज्यादा है.
वर्ष 2016 में केरल में कैंसर के मामलों की दर प्रति लाख आबादी पर 135.3 थी. केरल के बाद मिजोरम (121.7), हरियाणा (103.3), दिल्ली (102.9) दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं. प्रति लाख 53.9 की दर के साथ बिहार में कैंसर का प्रकोप सबसे कम है. वहीं, झारखंड-मिजोरम (64.3) संयुक्त रूप से कम कैंसर के मामले में दूसरे स्थान पर और राजस्थान-तेलंगाना (72.6) संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर दरअसल गलत लाइफस्टाइल के कारण बढ़ने वाली बीमारी है और शुरुआती निदान और बेहतर समझ से इससे बचना और उबरना संभव है. शायद इसलिए इस बार वर्ल्ड कैंसर डे की थीम भी ' I am and i will' रखी गई है यानी मरीज प्रबल इच्छाशक्ति से इस जानलेवा रोग को मात दे सकता है.
आज के दौर में क्यों फैल रहा है कैंसर?
धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर सर्जिकल ऑन्कोलॉजी कंसलटेंट, डॉ अतुल कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि जागरूकता न होने की वजह से और अपर्याप्त डायग्नोसिस होने के कारण कैंसर के 50 प्रतिशत मरीज तीसरे या चौथे चरण में पहुंच जाते हैं, जिस वजह से मरीज के बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है. जहां पुरुषों में प्रोस्टेट, मुंह, फेफड़ा, पेट, बड़ी आंत का कैंसर आम है तो वही महिलाओं में ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर के ज्यादातर मामले देखने को मिलते है. इनका सबसे बड़ा कारण बदलता लाइफस्टाइल, प्रदूषण, खानपान में मिलावट और तंबाकू या धूम्रपान के सेवन का बढ़ता चलन है.
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