पूरी तरह से महिलाओं वाले भारत के प्रथम ‘स्वाट’ दस्ते ने बुधवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐतिहासिक लाल किले को सुरक्षा प्रदान की. खास बात यह है कि इस दस्ते में शामिल सभी महिलाएं पूर्वोत्तर के राज्यों से हैं.
36 सदस्यों वाले महिलाओं के इस स्पेशल वेपंस एंड टेक्टिक्स (स्वाट) दस्ते को आतंकवाद रोधी प्रशिक्षण ‘एनएसजी’ ने दिया है और यह दस्ता दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के तहत है.
दस्ते की सदस्य सुमता राब्ता ने कहा कि यह उनका सपना था कि वह देश की सुरक्षा करें. राब्ता ने कहा, 'मैं हमेशा इस दिन को याद रखूंगी जब देश में एक अहम मौके पर मुझे सुरक्षा प्रदान करने का अवसर मिला.'
एक अन्य सदस्य दीप्ति बर्मन ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा उनके दस्ते के बारे में बोलने से वह बेहद गौरवान्वित महसूस कर रही हैं.
बर्मन ने कहा, 'मैं जिम्मेदारी महसूस कर सकती हूं और हमें सौंपे गए हर कार्य को पूरा करने के लिये मेरा दस्ता पूरी मदद करेगा.'
उन्होंने उम्मीद जताई कि पूर्वोत्तर के नागरिकों के प्रति इससे लोगों की धारणा बदलेगी और उन्हें उनकी क्षमताओं का अहसास होगा. टीम की एक अन्य सदस्य मिन्हुंसा भी वर्दी पहनकर बेहद गर्व की अनुभूति कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे क्षेत्र के बारे में लोगों के विचार को बदल पाना हालांकि मुश्किल है, पर हम अपनी वर्दी के जरिये ऐसा करने की कोशिश कर सकते हैं.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में कहा कि सरकार ने दिल्ली को पूर्वोत्तर के पास ला दिया है और यह क्षेत्र सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया है. स्वाट दस्ते में 36 महिला कमांडो को 10 अगस्त को औपचारिक रूप से शामिल किया गया. इन्हें अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराए गए हैं.
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