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बहुविवाह, हलाला के खिलाफ SC पहुंची महिला, रोक लगाने की गुहार

याचिका में कहा गया है कि ‘ट्रिपल तलाक आईपीसी की धारा 498A के तहत एक क्रूरता है. निकाह-हलाला आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार है और बहुविवाह एक अपराध है'

Updated On: Mar 10, 2018 11:42 AM IST

FP Staff

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बहुविवाह, हलाला के खिलाफ SC पहुंची महिला, रोक लगाने की गुहार

एक मुस्लिम महिला ने बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है. तीन बच्चों की यह मां दो बार तीन तलाक का शिकार हो चुकी है.

शमीना बेगम की यह याचिका तीन तलाक कानून के बाद आई है जिसमें इस प्रथा को अवैध करार दिया गया है. बेगम ने अब निकाह हलाला को गैरकानूनी घोषित के लिए अदालत से गुहार लगाई है. समीना बेगम का पहला निकाह 1999 में हुआ. इससे उनके दो बेटे हुए. पति से लगातार झगड़े और मारपीट से तंग आकर जब उन्होंने पुलिस में शिकायत की, तो पति ने उन्हें तलाक दे दिया. इसके बाद शादीशुदा एक शख्स से उन्हें दोबारा शादी करने के लिए मजबूर किया गया. शादी के बाद वह फिर से गर्भवती हो गईं. बाद में दूसरे पति ने भी मामूली कहासुनी पर समीना को फोन पर ही फिर से तलाक दे दिया.

अवैध घोषित हो निकाह हलाला

अब शमीना अपने तीन बच्चों के साथ अकेले रहती हैं. उन्होंने कहा कि मैंने सिर्फ खुद के लिए जनहित याचिका (पीआईएल) दायर नहीं की है. बल्कि उनकी भी आवाज सुनी जानी चाहिए जो ऐसी दिक्कतों का सामना कर रही हैं. उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 की धारा 2 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए, क्योंकि यह बहु विवाह और निकाह हलाला को मान्यता देता है.

उन्होंने अदालत से यह भी गुजारिश की है कि भारतीय दंड संहिता, 1860 के प्रावधान सभी भारतीय नागरिकों पर बराबरी से लागू हों. याचिका में यह भी कहा गया है कि ‘ट्रिपल तलाक आईपीसी की धारा 498A के तहत एक क्रूरता है. निकाह-हलाला आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार है और बहुविवाह आईपीसी की धारा 494 के तहत एक अपराध है.’

बहुविवाह का ‘लाइसेंस’ नहीं मिला

याचिका में कहा गया है कि ‘कुरान में बहुविवाह की इजाजत इसलिए दी गई है ताकि उन महिलाओं और बच्चों की स्थिति सुधारी जा सके, जो उस समय लगातार होने वाले युद्ध के बाद बच गए थे और उनका कोई सहारा नहीं था. पर इसका मतलब यह नहीं है कि इसकी वजह से आज के मुसलमानों को एक से अधिक महिलाओं से विवाह का लाइसेंस मिल गया है.

याचिका में उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों और उन देशों का भी जिक्र किया गया है, जहां बहुविवाह पर रोक है. यह भी कहा गया कि ट्यूनीशिया और तुर्की में बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक है. इंडोनेशिया, इराक, सोमालिया, सीरिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी यह तभी संभव है, जब इसके लिए नियुक्त अधिकारी इसकी इजाजत दें. समीना ने कहा, सभी तरह के पर्सनल लॉ का आधार समानता होनी चाहिए, क्योंकि संविधान महिलाओं के लिए समानता, न्याय और गरिमा की बात करता है.

पहले भी दी जा चुकी है याचिका

इससे पहले बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने भी बहुविवाह और निकाह हलाला पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी. उनका कहना था कि इससे महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन होता है.

इसके अलावा शायरा बानो का मामला भी इसी तरह का था, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि तीन तलाक को लिंग न्याय का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए. 5 जजों के एक बेंच ने तीन तलाक को गैर-इस्लामिक घोषित करके इसे रद्द कर दिया था.

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