बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सांसदों और विधायकों की लॉ प्रेक्टिस की एपलिकेशन पर विचार के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है. इस चिट्ठी में कहा गया था कि वकालत और राजनीति साथ करना भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 और 15 के खिलाफ है.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने न्यूज़18 से कहा कि वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दी गई चिट्ठी पर एक्सपर्ट कमेटी विचार करेगी.
मिश्रा ने कहा 'हमने तीन मेंबर की कमेटी का गठन कर दिया है, यह मेरे सामने एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी. जबसे कमेटी इस पर काम कर रही है, इस पर कोई फैसला नहीं आया है.'
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने 19 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को चिट्ठी लिखकर सांसदों और विधायकों के वकील के तौर पर अदालतों में प्रैक्टिस करने से रोक लगाने की गुहार लगाई थी.
उपाध्याय ने कहा था कि सांसदों और विधायकों को सरकारी निधि से वेतन का भुगतान किया जाता है, वह इसके बदले वह राज्य का काम करें.
अरुण जेटली और राम जेठमलानी ने मंत्रालय संभालने के बाद अपनी लॉ की प्रैक्टिस छोड़ दी थी, लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम ने 2014 का चुनाव हारने के बाद अपनी लॉ प्रैक्टिस फिर से शुरू कर दी.
राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल हाल ही में तीन तलाक के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से कोर्ट में सवाल किए थे.
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