पिछले कुछ महीनों से भारतीय रेल में लूटपाट की घटनाओं में कुछ ज्यादा ही तेजी आ गई है. खास बात यह है कि देश की राजधानी दिल्ली में भी अब इस तरह की वारदात होने लगी हैं. दिल्ली पिछले कुछ महीनो से लुटेरों के लिए सबसे मुफीद जगह बन गई है. बीते गुरुवार को ही दिल्ली के समयपुर बादली रेलवे स्टेशन के पास जम्मू-दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस और होलंवीकलां के पास टाटा मूरी-जम्मू तवी एक्सप्रेस में लुटेरों ने जमकर उत्पात मचाया.
दुरंतो एक्सप्रेस की दो एसी बोगियों में चाकू की नोंक पर सात-आठ लुटेरों ने यात्रियों के गहने-जेबरात, नकदी, एटीएम कार्ड्स, महंगे चश्मे और मोबाइल फोन लूट लिए. 15 मिनट तक यात्रियों के साथ लूटपाट होती रही और जीआरपी, आरपीएफ और दिल्ली पुलिस को सूंध तक नहीं आई.
एक यात्री की शिकायत पुस्तिका में दर्ज शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने जांच तो शुरू कर दी है, लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी लुटेरे अब भी दिल्ली पुलिस की पकड़ से कोसों दूर हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि दिल्ली सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में रेल यात्रियों के साथ लूटपाट की घटना को रेल प्रशासन और स्थानीय प्रशासन कितनी गंभीरता से लेता है?
हाल के दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों से यात्रियों के साथ लूटपाट की घटना पहले की तुलना में काफी बढ़ी हैं. 9 जनवरी को नई दिल्ली से भागलपुर जा रही एक साप्ताहिक ट्रेन में भी डकैतों ने तांडव मचाया था. डकैतों ने यात्रियों के मोबाइल, कैश, जूलरी वगैरह सहित करीब 30 लाख रुपए लूट लिए थे. लुटेरों ने इस दौरान कई राउंड गोलियां भी चलाईं थी और कुछ यात्रियों को चाकू से घायल भी कर दिया था.
आरपीएफ के जवानों की लापरवाही से होती हैं ऐसी घटनाएं
रेल में यात्रा करने वाले लोगों की अक्सर शिकायत रहती है कि आरपीएफ की तैनाती होने के बावजूद वे लोग लापरवाही बरतते हैं. कई ट्रेनों में आरपीएफ की तैनाती नहीं होने से और रेल स्टाफ के सोते रहने से भी लुटेरों की चांदी हो जाती है. समयपुर बादली में जो घटना हुई है वह ट्रेन रुकने पर हुई है. ट्रेन के सिग्नल को खराब कर ट्रेन को रोका गया और फिर ट्रेन के बंद गेट को खोला गया.
17 जनवरी को दुरंतों एक्सप्रेस में डकैतों द्वारा जमकर लूटपाट के बाद रेल प्रशासन एक्शन में दिख रहा है. इस घटना के बाद बादली इलाके के उन रूट्स पर रेलवे के अधिकारी लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने भी कुछ जवान उन इलाकों में तैनात किए हैं. लेकिन, यह तैनाती और पेट्रोलिंग कितने दिनों तक रहेगी यह कहा नहीं जा सकता है.
सबसे बड़ी बात यह है कि साढ़े तीन बजे सुबह लुटेरों ने सिग्नल फेल कर ट्रेन रोक ली और यात्रियों से पर्स, मोबाइल, कैश,जूलरी वगैरह लूट ली. लुटेरे एसी कोच में घुस कर 15 मिनट तक लगातार लूटपाट करते रहे क्योंकि ट्रेन में आरपीएफ के जवान मौजूद नहीं थे.
ऐसे में भारतीय रेलवे पर बड़ा सवाल यह उठता है कि दुरंतो जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों में अब तक आरपीएफ की तैनाती क्यों नहीं की गई है? दुरंतो एक्सप्रेस को वीआईपी ट्रेन भी माना जाता है. इस तरह की ट्रेनों में आरपीएफ की तैनाती न करने के पीछे भारतीय रेलवे की क्या वजह है? सवाल यह भी उठता है कि दुरंतो जैसी और कितनी ऐसी ट्रेनें हैं जिनमें आरपीएफ या जीआरपी की तैनाती नहीं की गई है?
दिल्ली पुलिस को संदेह अंतरराज्यीय गैंग पर
देश की राजधानी में 26 जनवरी से ठीक पहले हथियारबंद नकाबपोश बदमाशों के द्वारा यात्रियों के साथ लूटपाट की घटना कोई सधारण घटना नहीं है. दिल्ली पुलिस का कहना है कि इसमें अंतरराज्यीय गैंग का हाथ हो सकता है. समयपुर बादली का इलाका हरियाणा बॉर्डर से लगता है और इस इलाके में ऐसे कुछ गैंग काफी सक्रिय हैं.
दिल्ली-सोनीपत रेल सेक्शन में सात किलोमीटर के अंतराल पर दो ट्रेनों में लूटपाट की घटना से दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस की रवैए पर भी सवाल उठ रहे हैं. दिल्ली पुलिस के रेल डीसीपी दिनेश कुमार गुप्ता कहते हैं, ‘दिल्ली पुलिस इस घटना को गंभीरता से ले रही है. दिल्ली-हरियाणा के कुछ गैंग को ट्रेस कर लिया गया है. दिल्ली पुलिस की पांच टीमें इस काम में लगाई गई हैं. बॉर्डर से सटे कुछ अंतरराज्यीय गिरोह के पुराने रिकॉर्ड्स खंगाले जा रहे हैं. बहुत जल्द ही अपराधी पकड़ में आ जाएंगे.’
फर्स्टपोस्ट हिंदी ने दिल्ली के सरायरोहिल्ला रेलवे स्टेशन पर कुछ यात्रियों से बात की तो पता चला कि रात के समय जीआरपी और आरपीएफ ट्रेन की बोगियों में आते तो जरूर हैं, पर वह पेसेंजरों को सुरक्षा देने नहीं बल्कि उनसे उगाही करने आते हैं.
करोलबाग के देवनगर इलाके में सब्जी बेचने वाली मंजू कहती हैं, ‘मैं पिछले 9 साल से रोज सोनीपत से करोलबाग आती-जाती रही हूं. पहले मेरे पति सब्जी बेचने आया करते थे, लेकिन वह अब लकवाग्रस्त हो गए हैं. सब्जी बेचने के साथ हम दूध और घी भी बेचते हैं. रेल पुलिस पहले रोज तंग किया करती थी इससे तंग आकर हम अब रोज खुद ही जा कर पैसे दे आते हैं. जो लोग नहीं करते हैं उनको ट्रेन में पुलिसवाले गाली-गलौज के साथ जलील भी करते हैं. घंटों वह एक ही बोगी में बैठ कर सिर्फ पैसा वसूलते हैं और फिर आपस में बांटने का काम करते हैं.’
पहले भी आती रही हैं ऐसी घटनाओं की खबरें
बता दें कि ट्रेन में लूटपाट की घटनाओं की खबर पहले भी बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों से आती रही हैं. इन रूट्स पर चलने वाली ट्रेनों में नशाखुरानी गिरोह काफी सक्रिय रहता है. आए दिन नशाखुरानी गिरोह की चपेट में आए यात्रियों की खबर मिलती रहती हैं. कई यात्रियों की इस चक्कर में मौत भी हो चुकी है, लेकिन इतने सालों के बाद भी रेल प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने में अब तक कामयाबी हासिल नहीं कर सका है.
पटना के रेल डीएसपी भगवान प्रसाद गुप्ता ने कहा, ‘देखिए इस बात में सच्चाई है कि यात्री इस तरह की घटनाओं से लगातार ग्रसित हो रहे हैं. पहली बात यह है कि जीआरपी और आरपीएफ इस समय जवानों की भारी कमी से जूझ रही है. जो लोग हैं भी वह ठीक से अपनी ड्यूटी नहीं निभा रहे हैं. ज्यादातर ट्रेनों में आरपीएफ या जीआरपी के जवानों को खासकर रात के वक्त में गश्त करनी होती हैं, लेकिन वे लोग किसी बोगी में जा कर सो जाते हैं. नियम यह कहता है कि जो जवान बोगियों में गश्त कर रहे होते हैं उनसे सीनियर अधिकारी को भी लगातार संपर्क में रहना चाहिए. सीनियर अधिकारी गश्ती दल के सदस्य को किसी भी समय फोन लगा कर पूछ सकता है कि तुम लोग अभी कहां पर हो और किस बोगी में हो? ट्रेन इस वक्त कहां पहुंची है?'
उन्होंने आगे कहा, 'सीनियर अधिकारी जवान से बोल सकता है कि इस समय तुम जिस बोगी में हो उस बोगी के किसी पैंसेजर से मेरी बात कराओ. अधिकारी पैसेंजर से बात कर जवान की गतिविधि के बारे में पूछताछ कर सकता है. अधिकारी यह पूछता है कि जवान वाकई में उस बोगी में है या फिर वह झूठ बोल रहा है. अगर जवान झूठ बोलता है तो उस पर विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है. लेकिन, इस तरह की बात आजकल देखने को नहीं मिलती है.’
दुरंतो एक्सप्रेस में लूटपाट की घटना पर आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा है कि इस तरह की घटना कभी-कभार हो जाती है. दुरंतो एक्सप्रेस में आरपीएफ की गश्ती दल नहीं था. लुटेरों ने सिग्ननल में छेड़छाड़ कर इसे रोका था. हम कोशिश करेंगे कि भविष्य में इस तरह घटना दोबारा न हो.
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