तकरीबन 130 करोड़ की आबादी वाले देश भारत में दुनिया के टॉप 14 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी आंकड़े 2016 में पर्टिकुलेट मैटर (पीएम स्तर) 2.5 पर आधारित हैं. इसमें कहा गया है कि 10 में से 9 लोग सांस के जरिए बेहद प्रदूषित हवा लेते हैं.
प्रदूषित शहरों की इस लिस्ट में यूपी का कानपुर शहर टॉप पर है. इसके अलावा फरीदाबाद, वाराणसी, गया, पटना, दिल्ली, लखनऊ, आगरा, मुजफ्फरपुर, श्रीनगर, गुरुग्राम, जयपुर, पटियाला और जोधपुर के नाम भी इस सूची में शामिल हैे. वहीं टॉप 15 प्रदूषित शहरों में कुवैत का अली सुबाह अल-सलेम इकलौता विदेशी शहर है. यह इस लिस्ट में पंद्रहवें नंबर पर है.
#AirPollution threatens our health. Air pollution in cities is never caused by a single source, it’s always a complex mix. Here is a research on the different sources of air pollution in #China. https://t.co/P4ATDoKd7r pic.twitter.com/BVddCfSGuj
— WHO (@WHO) April 30, 2018
पीएम 10 स्तर की बात करें तो इसमें देश के 13 शहर आते हैं. डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण-पूर्व एशिया के अपने सदस्य देशों से अपील की है कि वो बिना देर किए घरेलू और बाहरी प्रदूषण की समस्या की तरफ ध्यान दें. डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया में वायु प्रदूषण से हर साल होने वाली 70 लाख मौतों में 24 लाख मौतें घरेलू और वातावरण के प्रदूषण की वजह से होती हैं.
शहर PM2 (प्रदूषण का स्तर) 1- कानपुर 173 2- फरीदाबाद 172 3- वाराणसी 151 4- गया 149 5- पटना 144 6- दिल्ली 143 7- लखनऊ 138 8- आगरा 131 9- मुजफ्फरपुर 120 10- श्रीनगर 113 11- गुरुग्राम 113 12-जयपुर 105 13- पटियाला 101 14- जोधपुर 98
दुनिया में हर साल 70 लाख लोग वायु प्रदूषण से मारे जाते हैं: WHO
रिपोर्ट के अनुसार हर साल 70 लाख लोग प्रदूषित वातावरण में मौजूद महीन कणों के संपर्क में आने की वजह से मारे जाते हैं. यह कण उनके फेफड़ों और कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम में समा जाते हैं जिसके चलते दिल का दौरा, फेफड़े की बीमारियां और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं.
इसमें यह भी कहा गया है कि प्रदूषण की वजह से 90 प्रतिशत से ज्यादा मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों (जिनमें भारत भी शामिल है) में होते हैं. दुनिया की तकरीबन 3 अरब आबादी या 40 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के पास साफ-सुथरे कुकिंग फ्यूल और तकनीक इस्तेमाल की सुविधा नहीं है, जो घर के भीतर होने वाले प्रदूषण की प्रमुख वजह है.
Of the 3.8 million deaths caused by household #AirPollution globally, the Region accounts for 1.5 million or 40% deaths. Women and children are the most at risk.
We need clean #Air for all!More information: https://t.co/F8et44nKIv pic.twitter.com/eDNuqOOgxa
— WHO South-East Asia (@WHOSEARO) May 2, 2018
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण नॉन-कम्यूनिकेबल डिजिज (एनसीडी) का बड़ा कारण है. इसके कारण वयस्कों में 25 प्रतिशत दिल की बीमारी, 25 प्रतिशत दिल का दौरा, 43 प्रतिशत गंभीर सांस से संबंधित बीमारियां 29 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर के मामले सामने आते हैं.
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