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SC/ST एक्ट: इस शख्स की वजह से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है मामला

जानिए इस शख्स के बारे में जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट को लेकर अपना फैसला सुनाया है

Updated On: Apr 03, 2018 04:41 PM IST

FP Staff

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SC/ST एक्ट: इस शख्स की वजह से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों एससी/एसटी एक्ट पर जो फैसला दिया, उसके बारे में दलित संगठनों का कहना है कि इस फैसले ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 को शिथिल कर दिया है. इसके खिलाफ दो अप्रैल को भारत बंद हुआ. जिसमें व्यापक तौर पर हिंसा हुई. बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ और 13 लोगों की जान गई.

कौन हैं वो शख्स

उनका नाम भास्कर गायकवाड़ है. वो पुणे के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में स्टोर मैनेजर हैं. लंबे समय से सरकारी नौकरी कर रहे हैं. उनकी उम्र 52 साल है. उन्होंने एससी/एसटी एक्ट के तहत अपने उच्चाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि कॉलेज के दो अधिकारी उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं.

इस एफआईआर का क्या हुआ

भास्कर का कहना है कि 2009 में वो महाराष्ट्र के महाराष्ट्र के कराड में गर्वनमेंट फार्मेसी कालेज में स्टोरकीपर के रूप में पोस्टेड थे. उनका आरोप है कि तब कालेज के प्रिंसिपल ने कुछ फ्राड किया. वो चाहते थे कि मैं स्टोर के रिकार्ड्स को बदल दूं. ऐसा करने से मना करने पर उनकी सालाना चरित्र रिपोर्ट (एसीआर) खराब कर दी गई.

एसीआर के बिना पर महाराष्ट्र के डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन के पुणे क्षेत्रीय आफिस ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी की. उनके जवाब के बाद उनके खिलाफ एसीआर हटा दी गई. जिसके बाद भास्कर ने कॉलेज के दो अधिकारियों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज करा दी.

भास्कर गायकवाड़

भास्कर गायकवाड़ (तस्वीर: न्यूज18 हिंदी)

क्या इस पर कोई कार्रवाई हुई

एफआईआर दर्ज कराने के बाद डिप्टी एसपी ने इसकी जांच की. जांच के बाद डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन से संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मामला चलाने की अनुमति मांगी गई. डायरेक्टर टेक्निकल एजुकेशन ने ऐसा करने से मना कर दिया. पुलिस ने वर्ष 2011 में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी.

फिर क्या हुआ

भास्कर गायकवाड़ को इसका पता वर्ष 2016 में चला. तब उन्होंने वर्ष 2016 में दूसरी शिकायत डायरेक्ट टेक्निकल एजुकेशन के साथ दो अधिकारियों के खिलाफ कराई. मामला कराड के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास पहुंचा. जिन लोगों का नाम एफआईआर में था, वो मुंबई के हाईकोर्ट में चले गए. हाइकोर्ट ने एफआईआर खारिज करने से इनकार कर दिया.

मामला सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा

डीटीई ने अपनी याचिका को सुप्रीम कोर्ट में मूव किया. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना वो फैसला दिया, जिसने सभी दलितों को नाराज कर दिया. दलित संगठनों और नेताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एससी/एसटी कानून को शिथिल कर दिया गया है.

अब भास्कर क्या करेंगे

केंद्र सरकार के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भास्कर ने रिव्यू पिटीशन दाखिल किया. वैसे सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है और सभी संबंधित पक्षों को 2 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट 10 दिन बाद इस मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई करेगी.

क्या है भास्कर का कहना

उनका कहना है कि उनकी एफआईआर मराठी में थी, लेकिन जब मामला प्रतिवादियों द्वारा हाईकोर्ट के फैसले के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो ट्रांसलेशन में इसके कुछ अंश हटा दिए गए तो कुछ बातें जोड़ दी गईं, जिससे ये पूरा मामला ही बदल गया. केस ने अब अलग घुमाव ले लिया.

भास्कर के अनुसार मूल एफआईआर के तीन पैराग्राफ इसमें से हटाए गए, जिसमें ये बताया गया था कि ये एफआईआर क्यों दर्ज कराई गई थी. फिर इसमें ट्रांसलेशन के दौरान एक ऐसी लाइन जोड़ी गई, जो मिसलीडिंग है, इससे राज्य टैक्निकल एजुकेशन के तत्कालीन डायरेक्टर को राहत मिल गई, जो सुप्रीम कोर्ट गए थे.

(साभार: न्यूज18 हिंदी)

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