सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे सीबीआई में चल रहे विवाद पर कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करने के बाद सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एसके पॉल और जस्टिस केएम जोसफ की बेंच ने फैसला दिया कि आलोक वर्मा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच सीवीसी आज से दो सप्ताह के भीतर पूरी करे. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक मामले की जांच करेंगे.
कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान सीबीआई के अंतरिम चीफ बनाए गए नागेश्वर राव कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे. सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जबतक इस मामले में दोबारा सुनवाई नहीं कर लेता तबतक सीबीआई के नए डायरेक्टर एम नागेश्वर राव एक भी नीतिगत फैसला नहीं लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी, केंद्र सरकार और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को नोटिस जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.
सीवीसी को इस मामले की जांच दो हफ्तों में पूरी करनी होगी. इस जांच को एके पटनायक सुपरवाइज करेंगे.
कौन हैं एके पटनायक?
69 साल के अनंग कुमार पटनायक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं. वो 2009 से लेकर 2014 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं. वो छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं. उन्हें 2012 में 2जी स्पेक्ट्रम मामले में आने वाले केसों की सुनवाई करने के लिए बनाई गई दो जजों की बेंच में शामिल किया गया था. इस बेंच में उनके अलावा खुद तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस एच कपाड़िया थे.
2012 में वो भारत सरकार के महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स प्रोजेक्ट को मंजूरी देने वाले जजों की बेंच में शामिल थे. उनका सबसे ज्यादा चर्चित केस जस्टिस सौमित्र सेन का है. पटनायक उस 'इन-हाउस कमिटी' के सदस्य थे, जिसने कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन के खिलाफ लगे फंड के गलत इस्तेमाल के आरोपों की जांच की थी. इस जांच के बाद भारत में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी जज के खिलाफ महाभियोग चलाया गया हो.
सौमित्र सेन के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, जिसे स्वीकार कर लिया गया. लोकसभा में भी इसके पास हो जाने के बाद सौमित्र सेन को इस्तीफा देना पड़ा था.
17 नवंबर, 2009 से 2 जून, 2014 तक सुप्रीम कोर्ट के जज बने रहने के बाद एके पटनायक के रिटायर होने के बाद उन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमिटी के चेयरमैन पद के लिए नॉमिनेट किया गया था.
जस्टिस एके पटनायक का नाम एक बार तब सुर्खियों में आया था, जब उन्होंने कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए थे. 2016 में उन्होंने कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम की वजह से जजों की गुणवत्ता खतरे में आ जाती है. उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम के काम करने के तरीके को 'Give And Take Policy' का नाम दिया था.
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