नए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने हाल के दिनों में जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने आने वाले मामलों को निपटाया है, उस पर खेद व्यक्त किया है. उनके अनुसार कोई भी कोर्ट में आ जा रहा है और एक आदेश लेकर चला जा रहा है.
गुरुवार को कोर्ट की कार्रवाही के दौरान सीजेआई गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद को उन मामलों के तले दबा लिया है, जिनके तथ्यों के आधार पर अन्य फैसलों में भी वही निष्कर्ष निकला है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने वकीलों से फिर कहा कि ऐसे मामलों की तत्काल सुनवाई का अनुरोध नहीं किया जाए जो बहुत अत्यावश्यक न हों. उन्होंने कहा कि वरना इस तरह के मामलों का उल्लेख करने के वकीलों के विशेषाधिकार का औचित्य खत्म हो जाएगा.
3 अक्टूबर को 46वें सीजेआई के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस गोगोई कह चुके हैं कि वह मानदंड तय किए जाने तक तत्काल सुनवाई के लिए मामलों का उल्लेख करने की अनुमति नहीं देंगे और मौत की सजा के अमल और बेदखली जैसे वास्तविक अत्यावश्यक मामलों को ही इस उद्देश्य से जरूरी माना जाएगा.
सीजेआई और जस्टिस एसके कौल की पीठ ने फिर से पंक्ति में लगे वकीलों से कहा कि केवल उन मामलों का तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया जाए ‘जो इंतजार नहीं कर सकते.’
सीजेआई ने कहा, मामलों का उल्लेख करना वकीलों को दिया गया विशेषाधिकार है. गैर-अत्यावश्यक मामलों का उल्लेख करके वकील एक दिन इस विशेषाधिकार को खो देंगे.
जस्टिस गोगोई ने कहा कि मेरे भाई एक ही बात कह रहे हैं कि हमें उन्हीं मामलों पर सुनवाई करनी चाहिए जिनका संवैधानिक महत्व है या उन मामलों को जो जन अधिकार या जो असाधारण प्रकृति के हों. यह बातें सीजेआई ने बेंच के अन्य जजों जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ से बात कर के कही.
(इनपुट भाषा से)
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