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चेहरे की जन्मजात विकृति से निपटने में मददगार हो सकता है इंडिक्लेफ्ट टूल

मां के गर्भ में भ्रूण के चहरे के विकृत विकास के कारण शिशुओं में होने वाली कटे-फटे होंठ और तालु संबंधी बीमारी एक जन्मजात समस्या है.

Updated On: Feb 15, 2019 12:01 AM IST

Umashankar Mishra

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चेहरे की जन्मजात विकृति से निपटने में मददगार हो सकता है इंडिक्लेफ्ट टूल

मां के गर्भ में भ्रूण के चहरे के विकृत विकास के कारण शिशुओं में होने वाली कटे-फटे होंठ और तालु संबंधी बीमारी एक जन्मजात समस्या है. भारतीय शोधकर्ताओं ने इससे निपटने के लिए ' इंडिक्लेफ्ट टूल ' नाम वेब आधारित प्रणाली विकसित की है.

इसका उद्देश्य कटे-फटे होंठों एवं तालु के मरीजों की हिस्ट्री, परीक्षणों, दंत विसंगतियों, श्रवण दोषों के अलावा उनकी उच्चारण संबंधी समस्याओं को दर्ज करने के लिए एक व्यापक प्रोटोकॉल विकसित करना है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रणाली कटे-फटे होंठों के मरीजों की ऑनलाइन रजिस्ट्री के रूप में बीमारी के इलाज और देखभाल से जुड़ी खामियों को दूर करने में मददगार हो सकती है.

इस अध्ययन में अखिल आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् ( आईसीएमआर ), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स ) और राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र ( एनआईसी) के शोधकर्ता शामिल थे. इसके अंतर्गत दिल्ली-एनसीआर के तीन क्लेफ्ट केंद्रों से 164 मामलों से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए गए हैं. परियोजना का अगला चरण नई दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ और गुवाहाटी में चल रहा है.

परियोजना के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. ओ.पी. खरबंदा के अनुसार, ' इस अध्ययन के अंतर्गत बीमारी के लिए जिम्मेदार कारकों का मूल्यांकन किया गया है, जिसमें गर्भधारण करने वाली महिलाओं के धूम्रपान, खराब के सेवन, गर्भावस्था की पहली तिमाही के दवाओं के सेवन की हिस्ट्री और चूल्हा या अन्य स्रोतों से निकलने वाले धुएं से संपर्क शामिल है. इन तथ्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकला है कि ये कारक बच्चों में कटे-फटे होठों के मामलों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.'

तस्वीर स्रोत: आईसीएमआर

तस्वीर स्रोत: आईसीएमआर

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस विकृति से पीड़ित रोगियों को गुणवत्तपूर्ण देखभाल की आवश्यकता है, जिसके लिए त्वरित रणनीति बनाने की जरूरत है. कटे-फटे होंठ या तालु ऐसी स्थिति होती है, अब अजन्मे बच्चे में विकसित होते होठों के दोनों किनारे जुड़ नहीं पाते हैं. इसके कारण बच्चों की बोलने और चबाने की क्षमता प्रभावित होती है और उन्हें भरपूर पोषण नहीं मिल पाता है. इसके कारण दांतों की बनावट प्रभावित होती है और जबड़े और चेहरे की सुंदरता बिगड़ जाती है.

दुनियाभर में चेहरे से जुड़ी जन्मजात विकृतियों में से एक-तिहाई कटे-फटे होंठों या तालु से संबंधित होती हैं. एशियाई देशों में इस बीमारी की दर प्रति एक हजार बच्चों के जन्म पर 1.7 आंकी गई है. भआरत में इस बीमारी से संबंधित राष्ट्रव्यापी आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि देश के विभिन्न हिस्सों में किए गए अध्ययनों में इस बीमारी से संबंधित अलग-अलग तथ्य उभरकर सामने आए हैं, जिसके आधार पर माना जाता है कि इस बीमारी से ग्रस्त करीब 35 हजार बच्चे हर साल जन्म लेते हैं.

( ये स्टोरी इंडिया साइंस वायर के लिए की गई है.)

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