देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में दो प्रतिशत कमी आई है. इन जलाशयों में 54.962 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया.
यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 35 फीसद है. यह पिछले साल की इसी समय के कुल संग्रहण का 132 प्रतिशत और पिछले 10 सालों के औसत जल संग्रहण का 101 फीसद है.
16 मार्च को समाप्त सप्ताह में यह 37 फीसदी आंका गया था. जारी बयान के अनुसार, इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 फीसदी है.
इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं, जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं.
जल आयोग रखता है नजर
बयान के अनुसार, उत्तरी क्षेत्र के तहत आने वाले हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 4.02 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 22 फीसदी है.
इसी तरह पूर्वी क्षेत्र के तहत आने वाले झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 10.53 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 56 फीसदी है.
बयान के अनुसार, पश्चिमी क्षेत्र के तहत आने वाले गुजरात और महाराष्ट्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 12.29 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 45 प्रतिशत है.
मध्य क्षेत्र के तहत आने वाले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 20.12 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 48 फीसदी है.
बयान के अनुसार, दक्षिणी क्षेत्र के आंध्र प्रदेश (एपी), तेलंगाना (टीजी), एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 8.00 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 16 प्रतिशत है.
पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है, उनमें पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, एपी औरटीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं) और तेलंगाना शामिल हैं.
पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण कमतर है, उनमें हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं.
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