दिग्गज मार्क्सवादी नेता और पश्चिम बंगाल की बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार में उद्योग मंत्री रहे निरुपम सेन का सोमवार सुबह कोलकाता में 72 साल की उम्र में निधन हो गया. सेन पूर्व में पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रहे. वह पिछले दो साल के किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे.
सेन को वर्ष 2003 में ब्रेन अटैक हुआ था, जिसके बाद वह मल्टी ऑर्गन फेलियर से गुजर रहे थे. उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और उनका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था. सेन ने वर्ष 2001 और 2006 में बर्दवान दक्षिण सीट से विधानसभा चुनाव जीता था लेकिन 2011 विधानसभा में उन्हें टीएमसी से हार का सामना करना पड़ा था.
निरुपम सेन को बुद्धदेव भट्टाचार्य शासन के दौरान बंगाल में औद्योगिक सुधार अभियान की जिम्मेदारी दी गई थी. सेन को बंगाल के औद्योगिक सुधारों का जनक भी माना जाता है. भट्टाचार्य सरकार में सेन को नंबर दो की हैसियत प्राप्त थी. सिंगुर और नंदीग्राम में औद्योगिक इकाई की स्थापना की शुरुआत उन्होंने ही की थी.
पिछली वाम सरकार की नीतियों से उलट सेन ने बंगाल में कई विनिवेश योजनाओं की शुरुआत की थी. उनके मंत्री रहते हुए राज्य में कई ऐसी योजनाओं की शुरुआत हुई जो बुद्धदेव भट्टाचार्य के पहले की सरकारों ने करने की हिम्मत नहीं दिखाई थी.
साल 2015 में बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ ही निरुपम सेन ने भी पोलित ब्यूरो की सदस्यता छोड़ दी थी. इसके साथ ही शारीरिक अक्षमता के कारण पार्टी के अन्य पदों से भी इस्तीफा दे दिया था.
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