उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को नोटिस भेजा है. इसमें विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के फीस बढ़ाने पर सवाल उठाया गया है. ये नोटिस केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य स्वास्थ्य विभाग को भी भेजा गया है.
मरीजों के विरोध के बाद एम्स, ऋषिकेश एम्स ने पिछले महीने इस वृद्धि को वापस ले लिया था.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति वी. के. बिष्ट की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए उनसे चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा.
वाराणसी निवासी प्रवीण कुमार सिंह ने जनहित याचिका में आरोप लगाया कि एम्स, ऋषिकेश ने तीन अक्टूबर को विभिन्न उपचारों के लिए फीस बढ़ा दी. इससे गरीब मरीजों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा. इन मरीजों को या तो ज्यादा शुल्क देना था या अस्पताल छोड़ना था.
एम्स ने कहा है कि वह हाईकोर्ट के आदेश का पालन करेगा
सिंह ने एम्स की ओर से ‘मनमाने’ ढंग से और अचानक’ की गई फीस वृद्धि का विरोध किया. जिससे एम्स प्रशासन को ये आदेश वापस लेना पड़ा.
सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि जिन मरीजों को उस अवधि में ज्यादा शुल्क देना पड़ा, उन्हें अतिरिक्त शुल्क अभी तक लौटाया नहीं गया है.
एम्स के उप निदेशक (प्रशासन) अंशुमन गुप्ता से संपर्क करने पर उन्होंने अभी तक हाईकोर्ट से आदेश प्राप्त होने से इनकार किया. हालांकि उन्होंने कहा कि अदालत का जो भी आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा.
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