समूचे प्रदेश में महिलाओं को परेशान करने वाले नौजवानों और पुरुषों की धर-पकड़ के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड बनने के बाद यूपी पुलिस के गुमराह होने का खतरा बढ़ गया है. यह खतरा बीजेपी की छत्रछाया वाले कुछ स्वयंभू और दक्षिणपंथ से संबद्ध युवा संगठनों के अलग-अलग समूहों के हाथों गुमराह होने का है.
वयस्क जोड़ियों को भी परेशान करने की घटनाएं तब से (स्क्वॉड बनने के बाद से) पूरे राज्य में आम हो गई हैं, खासकर हिंदू युवा वाहिनी के लोगों के द्वारा, जिसका गठन वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2002 में किया था. मीडिया इनमें से कुछेक घटनाओं को ही सामने लेकर आया है.
विश्व हिंदू महासंघ, जिसके इंडिया चैप्टर के चेयरपर्सन आदित्यनाथ हैं और हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों की जागरूकता के बाद जब मेरठ में कथित रूप से एक मुस्लिम युवक को एक हिंदू लड़की से नजदीकी की वजह से पीटा गया, तब मुख्यमंत्री ने इन संगठनों के सदस्यों से अपील जारी की कि वे ऐसी घटनाओं पर कानून को खुद हाथों में लेने के बजाए सक्षम अधिकारियों को इससे अवगत कराएं.
मेरठ में हिंदू युवा वाहिनी के सदस्य जयंत सिंह ने कहा, 'हमने केवल स्थानीय (मेरठ के शास्त्रीनगर) लोगों की शिकायत के आधार पर कार्रवाई इसलिए की कि एक हिंदू लड़की को तंग किया जा रहा है. हम ऐसे अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की मदद करना चाहते हैं.'
पुलिस अब दक्षिणपंथी संगठनों के हाथ में ही कानून दे रही है
अगर सरकारी सूत्रों की मानें, तो सिंह जैसे लोगों की इच्छा जल्द पूरी होने वाली है. पश्चिम उत्तर प्रदेश से बीजेपी के एक नेता ने अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर बताया, 'हम सिविल सोसायटी के संगठनों के लोगों को ‘पुलिस सहायक’ के तौर पर भूमिका देने का प्रस्ताव लाने जा रहे हैं जिससे कि वे खुद कानून को हाथों में लेने के बजाए पुलिस की मदद करें और पुलिस उनकी शिकायतों पर कार्रवाई करेगी.'
संक्षेप में सूरत-ए-हाल हरियाणा के खौफनाक गौ सेवकों जैसा है जिन्हें बड़ी संख्या में पहचान पत्र के साथ लाइसेंस दिए गए हैं. जो उनके गैरकानूनी काम को आधिकारिक बनाते हैं.
जैसे ये लोग मीट-सप्लायर्स पर जारी लगातार हमलों में शामिल रहे हैं, राज्य में विभिन्न दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों के पास बहुत जल्द लाइसेंस या पहचानपत्र होने वाले हैं जो उन्हें राज्यभर में युवा जोड़ियों के दैनिक जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार देंगे.
पुलिस को वास्तव में बैठा दिया गया है ताकि अभियान से जुड़े लोगों को आधिकारिक मान्यता प्राप्त पहचान पत्र दिए जा सकें और जो उन्हें हकीकत में कानून की शक्तियों से संपन्न बनाए.
जिस तरह का बढ़ावा हिंदू युवा वाहिनी के युवा जागरूकर्ताओं और दूसरे छोटे दक्षिण पंथी संगठनों जैसे हिंदू रक्षा दल के लोगों को दिया जा रहा है, उसे अभी तक मान्यता नहीं मिली है और न ही यह कागज पर है. इससे राज्यभर में आगजनी और हिंसा भड़क सकती है.
नोएडा में हिंदू युवा वाहिनी ने हिंदू संस्कृति की ‘शिक्षा’ देने के लिए अलग-अलग कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थाओं में कई रैलियां की हैं. उन लोगों के साथ इन्होंने खराब व्यवहार किया है जिन पर कथित रूप से छेड़खानी के आरोप हैं. हालांकि किसी महिला ने ऐसी शिकायत उनके खिलाफ नहीं कराई.
हिंदू रक्षा दल भी शहर के कई इलाकों में पथराव में शामिल रहा है जहां इनका आरोप है कि कई बार और रेस्टोरेन्ट में शराब और मांस बेचे जा रहे थे और ‘भारतीय संस्कृति’ का अपमान किया जा रहा था.
नोएडा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हम उन पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं और शांति भंग करने की उनकी सभी कोशिशों को नाकाम कर दिया है, लेकिन यहां केवल कुछ पुलिसकर्मी हैं.'
उन्होंने बताया, 'हम बिना खास शिकायत या प्रमाण के उन्हें गिरफ्तार भी नहीं कर सकते क्योंकि संदेह के आधार पर गिरफ्तारी से वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में केवल जवाबी हिंसा ही बढ़ेगी.'
जो लोग इस दक्षिणपंथी जागरूकता समूह से जुड़े हैं उनमें से ज्यादातर ने 2012-2014 के दौरान बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में प्रशिक्षण हासिल कर रखा है. तब पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले और लोकसभा चुनाव के बाद ‘लव जेहाद’ और 'गोवध' का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया था.
इन लोगों को मुस्लिम युवकों के लिए रणनीति पर ‘शिक्षित’ किया गया था, जो हिंदू लड़कियों को लुभाते हैं और उन्हें इस्लाम में धर्म परिवर्तन कराते हैं.
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सिर्फ आशंका होने पर भी मुस्लिम लड़कों पर हमला किया
मेरठ में हापुड़ शहर से मोहित शर्मा का कहना है, 'हमारे यहां कई मुस्लिम लड़के ऐसे थे जो केवल देश में अपनी जनसंख्या बढ़ाने के लिए हिन्दू लड़कियों का अपहरण करते थे या उन्हें इस्लाम में धर्म परिवर्तन के लिए मूर्ख बनाते थे. निगरानी में कमी की वजह से हिप्पी कल्चर बढ़ा है जो हिन्दुत्व के मूल्यों को खत्म कर रहा है. हम ये सब खत्म करना चाहते हैं.'
शर्मा स्वीकार करते हैं कि मेरठ और गाजियाबाद में कई सालों तक वो उन मुस्लिम लड़कों/युवकों पर हमला करते रहे हैं (और कई मामलों में दलितों पर भी) जिसमें उन्हें आशंका होती थी कि वे लोग हिन्दू लड़कियों के नजदीक हैं.
मोहित शर्मा एक प्रशिक्षित सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और 2014 के चुनावों में स्थानीय सोशल मीडिया टीम का नेतृत्व करने और बीजेपी के निगरानी समूह का नेतृत्व करने से पहले तक वह दिल्ली के एक आईटी फर्म में काम करते थे. 2013 में हापुड़ में मुस्लिम युवकों पर हमला करने के कई मामलों में वह व्यक्तिगत रूप से शामिल रहे थे.
तब स्थानीय मदरसा पर एक हिंदू लड़की को इस्लाम में धर्म परिवर्तन कराने के आरोप लगे थे. बाद में लड़की ने कहा कि उसे जबरन धर्म परिवर्तन नहीं कराया गया, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था.
इन समूहों के लोगों के अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी कुछ युवाओं को तैनात कर रखा है जो पहले पुलिस टीम का हिस्सा थे. ये युवक हिंदू लड़कियों के अपहरण और पश्चिमी यूपी के मदरसों में कथित धर्मांतरण की शिकायतें निपटाते थे.
एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी जो एक साल पहले तक इस विशाल पश्चिम उत्तर प्रदेश जोन के प्रभारी थे, ने बताया, 'ये युवा (पुलिस) तकरीबन सभी हिन्दू हैं और दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा प्रचारित उग्र हिन्दुत्व की ओर इनका झुकाव है.
उन्होंने कहा, 'इन्हीं लोगों को अब ऐसी ड्यूटी (एंटी रोमियो स्क्वॉड) में लगाया गया है और यही लोग सड़कों पर आतंक फैला रहे हैं जो सत्ता में आने के बाद सरकार के पहले महीने में अब तक दिखा है. ऐसे में एक खतरनाक उदाहरण पेश किया जा रहा है.'
उत्तर प्रदेश पुलिस के सूत्रों का भी कहना है कि ऐसे लोग और वरिष्ठ पुलिसकर्मी जो बीजेपी के प्रति रुझान रखते हैं उन्हें राज्यभर में प्रोन्नति और महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती के लिए चुना गया है.
कई तबादले किए जा चुके हैं, कई आने वाले कुछेक हफ्तों में किए जाने हैं जिसके बाद हिन्दू युवा वाहिनी जैसे युवा संगठनों को नियंत्रित करने की अपील की जाएगी.
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वोटर बेस के लिए दक्षिणपंथी संगठनों को एकजुट रखना जरूरी
हालांकि बड़ी संख्या में पार्टी के नेताओं ने ये साफ कर दिया है कि यह जरूरी है कि वे कानून अपने हाथों में ना लें, फिर भी उनका व्यस्त रहना महत्वपूर्ण है. क्योंकि यही लोग वोटर बेस तैयार करने के साथ-साथ जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता तैयार करते हैं जो वक्त पड़ने पर चीजों को संगठित करता है.
वरिष्ठ बीजेपी नेता, जिन्हें ऊपर भी उद्धृत किया गया है, बताते हैं, 'उनमें से कुछ नौजवान हैं और इसलिए उन्हें दूर ले जा सकते हैं लेकिन सच ये है कि वे स्थानीय शांति और सुरक्षा का वातावरण बनाए रखने में सड़कों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ज्यादातर नेता इस अपील के साथ हैं कि इनमें से वरिष्ठ लोगों को खास रूप से मान्यता दी जाए और उन्हें सशक्त बनाया जाए ताकि वे पुलिस के आने तक अपराध करने वालों पर कार्रवाई कर सकें.'
पार्टी के सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने अभी तक प्रस्ताव पर हामी नहीं भरी है लेकिन पार्टी के वरिष्ठ सदस्य और ज्यादातर मंत्री ने इस पर सहमति जता दी है और सिद्धांत रूप में इसे मान्यता दे दी गयी है. वरिष्ठ पार्टी नेता ने आगे कहा, 'योगी को अब बस आखिरी फैसला करना है.'
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