उत्तर प्रदेश की योगी अादित्यनाथ सरकार ने सूबे के सभी जिलों में गौशालाएं खोलने की घोषणा की है. छुट्टा पशुअों की बढ़ती समस्या से निपटने की दिशा में इसे अच्छी पहल माना जा सकता है पर इसमें एक पेंच है. यह कि इन गौशालाअों को सरकार नहीं चलाएगी.
बकौल मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ इनका संचालन जनता के सहयोग से होगा. इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी. चूंकि इसी अाम जनता द्वारा अपने घरों में पाले गए पशुअों की जरूरत पूरी हो जाने के बाद इन्हें सड़क पर छोड़ देने से ही ही छुट्टा जानवरों की समस्या बढ़ी है, लिहाजा यह देखना दिलचस्प होगा कि अब यही जनता गौशालाअों के संचालन में कितनी दिलचस्पी लेगी.
कार्रवाई के डर ने किया गायों के प्रति लापरवाह
दरअसल, उत्तर प्रदेश में इस साल मार्च में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकारी काम-काज का एजेंडा भी बदला है. योगी सरकार ने बूचड़खानों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया. कई अवैध वधशालाएं बंद करवाई गईं. बीते कुछ महीनों में यूपी के सभी जिलों में छुट्टा पशुअों की समस्या में काफी इजाफा हुअा है. गांव या शहरों में जो घरों में दुधारू पशु पालते हैं उनमें यह प्रवृति बढ़ी है कि उनकी जरूरत पूरी हो जाने पर सड़कों पर उन्हें छोड़ दें. पहले अामतौर पर होता यह था कि इन्हें बेच दिया जाता था.
अब खरीदने अौर बेचने वाले- दोनों ही किसी संभावित कार्रवाई के भय से इससे परहेज करते हैं या फिर यह चोरी-छिपे होता है. गाय और भैंस के दूध देना बंद कर देने पर उनको छोड़ दिए जाने से ऐसे पशुअों की तादाद सड़कों पर बढ़ी है. चाहे गांव हो या शहर. शहरों में समस्या बढ़ती है अौर ट्रैफिक प्रभावित होने लगता है तो नगर निगम के दस्ते इन्हें पकड़कर दूर किसी हाई-वे पर छोड़ अाते हैं. वहां से ये छुट्टा पशु अास-पास के गांवों में फैल जाते हैं.
इसी वजह से पिछले कुछ महीनों में किसानों की खेतों में खड़ी फसल का नुकसान होने की घटनाअों में भी काफी इजाफा हुअा है. ऐसे अावारा पशुअों से फसल बचाने के लिए यूपी के कई जिलों में किसान खेतों को कांटे के तार से घेर रहे हैं.
योगी का कहना है- अब जनता आगे आए
लखनऊ में बीते दिनों विश्व हिंदू परिषद के सम्मेलन में यह मुद्दा जोर-शोर से उठा. इसमें मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि गौ रक्षा व गौ संवर्धन के कई प्रयास हो रहे लेकिन गाय की हालत किसी से छुपी नहीं. सड़कों पर उनकी क्या स्थिति है सब जानते हैं. सरकार ने तो कई कदम उठाए हैं तो पर अब जनता को गौ माता की देखभाल के लिए अागे अाना चाहिए. गाय का दूध निकालकर उसे सड़क पर छोड़ दिया जाता है.
बकौल योगी, हर चीज सरकार पर छोड़ देने से कोई अांदोलन सफल नहीं होता. गौ संवर्धन की मुहिम भी तभी सफल होगी जब जनता साथ दे. यह देखना समाज का काम है कि गाएं जगह-जगह सड़कों पर प्लास्टिक न खाएं. गायों को सड़क पर छोड़ देना बड़ी समस्या है. गायों की जगह गौशाला ही होनी चाहिए लेकिन कोई भी सरकार गौशाला का संचालन नहीं कर सकती. यह काम जनता की मदद से ही होगा. सरकार हर जिले में गौशाला खोलेगी जिनका संचालन स्थानीय स्तर पर कमेटी बना कर इलाके की जनता करे.
जनता का संचालन कितना कामयाब होगा?
मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद गौशालाओं के लिए प्रदेश सरकार ने जिलों में सर्वेक्षण और संबंधित जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. छुट्टा पशुओं की समस्या से जूझ रहे बुंदेलखंड में सबसे पहले गौशाला खोले जाने की योजना है. माना जा रहा है कि बुंदेलखंड में गौशाला खुलने से ‘अन्ना प्रथा’ बंद होगी. गर्मी के मौसम में पानी की कमी से इस इलाके में ग्रामीणों द्वारा मवेशियों को खुला छोड़ देने की प्रवृति रही है.
गौशालाअों के लिए जमीन उपलब्ध कराने अौर बुनियादी ढांचा खड़ा करने का काम राज्य सरकार करेगी लेकिन चूंकि संचालन जनता के भरोसे होगा इसलिए यूपी की सरकारी मशीनरी में सवाल उठने लगे हैं कि यह प्रयोग कितना कामयाब होगा? सूबे में पहले से जो गौशालाएं चल रही हैं उनमें अधिकांश की हालत बेहद खराब है. यहां जिन पशुअों को रखा गया है उनके बेहद कमजोर हो जाने या पर्याप्त अाहार न मिलने से मौत की खबरें अाती रहीं हैं.
ऐसे में हर जिले में गौशाला खोलना समस्या का कितना समाधान करेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. इसलिए भी क्योंकि जानवरों को छुट्टा छोड़ देने में जनता की ही बड़ी भूमिका होती है. क्या वही जनता अब गौशालाअों के संचालन में अपनी भूमिका निभाएगी? यह देखना दिलचस्प होगा कि गौ-माता के प्रति प्रेम दिखाने की योगी सरकार की अपील पर यूपी की पब्लिक कितनी खरी उतरती है.
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