सीबीआई का कहना है कि उसके पास ऐसे पुख़्ता सबूत हैं जिससे यह साबित हो जाएगा कि बीजेपी एमएलए कुलदीप सिंह सेंगर ने उस नाबालिग लड़की के पिता को आपराधिक षडयंत्रों में फंसाया है, जिसने उनपर बेटी के साथ रेप करने का आरोप लगाया था.
कुलदीप सेंगर उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के बांगरमऊ सीट से विधानसभा के लिए चुने गए थे. लेकिन इस समय वे जेल में बलात्कार के आरोप में कैद हैं. पिछले साल जून में, उनके विधानसभा क्षेत्र की ही एक नाबालिग लड़की ने सेंगर और उनके भाई पर उसके साथ बार-बार बलात्कार करने आरोप लगाया था. पीड़ित लड़की ने अदालत के सामने शिकायत की थी कि इलाके की पुलिस उसके साथ सहयोग नहीं कर रही है.
इतना ही नहीं वे लोग पीड़ित लड़की पर अपनी शिकायत में कुलदीप सेंगर का नाम न लेने या या न बताने का दबाव भी डाल रहे हैं. इस सबसे और पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर पीड़ित लड़की के परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करने के एक महीने बाद ही गांव छोड़ दिया था. इस साल अप्रैल में पीड़ित लड़की का परिवार इंसाफ की गुहार लगाने और अपने केस की सुनवाई के लिए उन्नाव के कोर्ट में आई हुई थी. उसी समय बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुंल सिंह सेंगर ने कथित तौर पर पीड़ित लड़की पिता पर जानलेवा हमला भी किया था.
उस घटना के बाद पीड़ित लड़की के पिता को पुलिस के हवाले कर दिया गया. वहां पुलिस ने उनपर अवैध तरीके से हथियार रखने का आरोप लगाया. इसके ठीक पांच दिनों के बाद पीड़ित लड़की ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास के सामने आत्महत्या करने की कोशिश भी की थी. वहां वो आरोपी विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रही थी. अगले दिन पीड़ित लड़की के पिता की मौत हो गई. पीड़ित लड़की के पिता को कुछ ही घंटे पहले ज़िले के सरकारी अस्पताल भेजा गया था जहां मारपीट के कारण उनके शरीर में आयी चोटों का इलाज होना था.
सीबीआई को मिली जांच की जिम्मेदारी
सीबीआई को बाद में इस केस की छानबीन की ज़िम्मेदारी दे दी गई थी. छानबीन करते हुए सीबीआई ने आरोपी विधायक, उसकी पत्नी और उन्नाव के माखी पुलिस स्टेशन के कुछ पुलिस वालों के फोन कॉल रिकॉर्ड छान मारे. अपनी पहचान छिपाए रखने की गुजारिश करते हुए एक सीनियर सीबीआई अफसर ने इस रिपोर्टर को बताया कि जांच के दौरान जो सबूत सामने आए हैं उससे साफ पता चलता है कि सेंगर और पुलिस वालों के बीच इस बात को लेकर सांठगांठ हुई थी कि वे इस लड़के के पिता को झूठे केस में फंसाएंगे.
सीबीआई के इस अफसर के मुताबिक माखी पुलिस स्टेशन पर तैनात दो पुलिस वाले अशोक सिंह भदौरिया और सब-इंस्पेक्टर कामता प्रसाद सिंह ने पीड़ित लड़की के पिता को गिरफ्तार करने के बाद चार दिनों में कम से कम 15 बार फोन किया था. इन दोनों पुलिस वालों को पिछले बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया.
ये बताते हुए कि जांच अभी भी चल रही है, इस अफसर ने बताया कि उनके पास पीड़ित लड़की के पिता की पुलिस हिरासत में हुई मौत से जुड़े मामले के पक्के सबूत हैं. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने लड़की के पिता की गिरफ्तारी से जुड़े कागज़ात की भी जांच की है, जिसे देखकर ये पता चला है कि वे जाली हैं.
लड़की के पिता पर लगे थे झूठे आरोप!
उसने बताया कि लड़की के पिता के खिलाफ़ दर्ज एफआईआर में ये बताया गया है कि वो बीच गांव में खुलेआम एक देसी कट्टा भांजते हुए पकड़ा गया था. वो उस कट्टे से हवाई फायर कर रहा था. गांव वालों को गालियां दे रहा था और गांव में उत्पात मचा रहा था. लेकिन जांच के दौरान लड़की के पिता के पास से किसी भी तरह का हथियार बरामद नहीं किया गया. वो ईट बनाने के एक भट्टे में मुंशी का काम करता था.
इसके अलावा पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया कि लड़की के पिता को गांव से गिरफ्तार किया गया था, जबकि थाने में शिकायकर्ता ने जो तहरीर दी थी, उसमें कहा गया था कि उसे गांव वाले थाने लेकर आए थे. सीबीआई अब दोषी पुलिसवालों से पूछताछ की तैयार कर रही है ताकि वो इस रिपोर्ट की सत्यता को जांच सके.
सीबीआई का कहना है कि वो हिरासत में हुई इस मौत को लेकर सेंगर से दोबारा पूछताछ करने वाली है. उनका कहना है कि वे इस मामले में आरोपी का क्रॉस एक्जामिनेशन भी करेंगे. जरूरत पड़ने पर वे आरोपी विधायक और पुलिसवालों को आमने-सामने बिठाकर भी जिरह कर सकते हैं.
इसके अलावा सीबीआई ने माखी गांव के 14 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किया है. इन सभी 14 लोगों को समन भेजकर सोमवार को लखनऊ बुलाया है. इन सबसे इस केस के बारे में और पीड़ित लड़की के पिता की गिरफ्तारी के संबंध में पूछताछ की जाएगी.
पीड़ित परिवार खुश
पीड़ित लड़की के चाचा ने सीबीआई की अब तक की जांच पर संतोष जाहिर किया है. उनका कहना है कि जांच से जो बातें सामने आई हैं, उससे उनके दावों की पुष्टि होती है. वे शुरू से ही ये बात कह रहे थे कि उनके भाई की हत्या पुलिस वालों ने विधायक सेंगर के कहने पर की थी. उनका कहना है कि शुरू में कोई भी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं था लेकिन अब उनकी कही बातें दुनिया के सामने सच बनकर सामने आ रही है. उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की है सीबीआई जल्द ही इस बात का पता लगा लेगी कि पुलिस वालों ने उनके भाई को किस तरह से इस झूठे केस में फंसाया, जबकि उनका भाई सिर्फ अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ रहा था.
उन्होंने ये भी कहा कि उनके भाई को अवैध हथियार रखने और उसे खुलेआम भांजने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था लेकिन पुलिस ऐसी किसी हथियार को सबूत के तौर पर पेश नहीं कर पाई. इससे ये साबित होता है कि ये पुलिस वाले अपने मालिकों को खुश करने के लिए कितना नीचे गिर सकते हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि उनका परिवार अब सीबीआई की जांच पूरी होने का इंतज़ार कर रहा है. जिसके बाद वे इस बात के लिए कानूनी मदद लेंगे ताकि आरोपियों को ज्यादा से ज्यादा सज़ा मिले ये सुनिश्चित किया जा सके.
क्या कहना है सेंगर के परिवार का?
इस बीच एमएलए के भतीजे प्रखर सिंह ने फ़र्स्टपोस्ट से कहा कि उसके चाचा को लड़की और उसके घरवालों ने झूठे केस में फंसाया है. उसने दावा किया कि विधायक पर लगे सभी आरोप न सिर्फ फर्ज़ी और राजनीति से प्रेरित हैं बल्कि उनकी छवि को खराब करने के उद्देश्य से लगाए गए हैं.
उसने जोर देकर कहा कि अगर उसके चाचा दोषी होते तो वे बड़ी आसानी से उन्नाव छोड़कर चले जाते या भाग जाते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और खुद सरेंडर किया. इसके अलावा वे पुलिस की जांच में सहयोग भी कर रहे हैं.
इस पूरी कार्रवाई पर जब बीजेपी से प्रतिक्रिया मांगी गई, तब बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि इस समय जांच कार्य चल रहा है ऐसे में कुछ भी कहना या दावा करना गलत होगा. उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ भी कहने से पहले लोगों को अंतिम रिपोर्ट आने का इंतज़ार करना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि अगर बलात्कार का आरोप गलत साबित हो जाता है तब क्या होगा. उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी किसी तरह से अपने एमएलए का बचाव नहीं कर रही है, अगर ऐसा होता तो राज्य सरकार आरोपी विधायक के खिलाफ़ सीबीआई जांच का आदेश नहीं देती. उन्होंने ये भी कहा कि अब ये पार्टी प्रमुख और राज्य बीजेपी के वरिष्ठ नेता ये तय करेंगे कि कुलदीप सेंगर को पार्टी में आगे भी रखा जाना चाहिए या नहीं.
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