live
S M L

तीन तलाक बिल: मुस्लिम महिलाएं खुश, बोलीं- ईद से भी बड़ा दिन

केंद्र सरकार ने गुरुवार को तलाक-ए-विद्दत यानी एक साथ तीन तलाक देने की प्रथा पर रोकथाम के लिए बिल लोकसभा में पेश किया

Updated On: Dec 28, 2017 01:56 PM IST

FP Staff

0
तीन तलाक बिल: मुस्लिम महिलाएं खुश, बोलीं- ईद से भी बड़ा दिन

केंद्र सरकार ने गुरुवार को तलाक-ए-विद्दत यानी एक साथ तीन तलाक देने की प्रथा पर रोकथाम के लिए बिल लोकसभा में पेश किया. इस बिल में एक साथ तीन तलाक देने पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.

हालांकि इस बिल को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना विरोध जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है. वहीं विपक्ष भी बिल के समर्थन में नहीं है. इन सब के बीच तीन तलाक पीड़ित महिलाओं ने इस बिल को और आज के दिन को ऐतिहासिक बताया है. लखनऊ की रहने वाली तीन तलाक पीड़ित हुमा कायनात ने कहा, 'हमारी तरह की महिलाएं जिन्हें तलाक दे दिया गया और वे जिन्हें तीन तलाक के नाम पर डराया जाता है इस बिल से लाभान्वित होंगी. घरेलू हिंसा कानून की तरह अगर तीन तलाक विरोधी कोई कानून बनता है तो हमें थोड़ी राहत जरूर मिलेगी.'

huma-khaynat

तीन तलाक पीड़ित हुमा

वहीं आगरा की रहने वाली तीन तलाक पीड़ित फैज़ा खान कहती हैं, 'हम बहुत ही खुश हैं कि मोदीजी और योगीजी के द्वारा मुस्लिम महिलाओं के लिए यह कदम उठाया गया. आज का दिन हमारे लिए ईद और बकरीद से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.'

हालांकि इस मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के सेक्रेटरी जफरयाब जिलानी का कहना है, 'देश के मामले में लोग अपनी बात कहते हैं और सरकरा अपना काम कर रही हैं. हमें जो कहना था वह कह दिया. अब सरकार जो कर रही है करने दो. हम बिल को पेश होने के बाद देखेंगे क्या करना है. हम आखिरी दिन तक बिल का विरोध करेंगे. बिल का पेश होना या पास होना आखिरी रास्ता नहीं है. इस देश में जम्हूरियत नाम की चीज भी है. सरकार की अपनी पुलिस है. प्रधानमंत्री का अपना एजेंडा है. उनके सामने 2019 का इलेक्शन है.'

faiza-khan

तीन तलाक पीड़ित आगरा की रहने वाली फैज़ा खान

इस बीच खबर है कि यूपी के रामपुर में देर से सोकर उठने पर एक महिला को शौहर ने तलाक दे दिया. इस सवाल के जवाब में जिलानी ने कहा, 'ये सही है. लेकिन क्या और मजहबों में ऐसा नहीं है. हिंदू महिलाओं को भी दहेज़ के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है. उसके लिए सरकार क्या कर रही है. इस्लाम में दखलंदाजी क्यों किया जा रहा है.'

सामाजिक कार्यकर्ता शबनम पांडेय ने कहा, 'इस मुद्दे पर बहस इस बात पर नहीं होनी चाहिए कि अन्य धर्मों में भी ऐसी कुरीतियां हैं. अगर अन्य धर्मों में भी कुरीतियां है तो यह बहाना नहीं बनना चाहिए कि कानून न बने. अगर कानून बनता है तो इसमें ऐतराज क्या है.'

(न्यूज 18 के लिए अमित तिवारी की रिपोर्ट)

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi