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परिवहन विभाग की माथापच्ची: 40 लाख पुरानी गाड़ियों को कहां ठिकाने लगाए?

दिल्ली सरकार का परिवहन मंत्रालय इस बात को लेकर विचार विमर्श कर रहा है कि 40 लाख पुरानी गाड़ियों को, जो कोर्ट के आदेश के मुताबिक बैन की जा चुकी हैं, दिल्ली से बाहर किस तरीके से किया जाए.

Updated On: Nov 08, 2018 05:46 PM IST

Pankaj Kumar Pankaj Kumar

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परिवहन विभाग की माथापच्ची: 40 लाख पुरानी गाड़ियों को कहां ठिकाने लगाए?

दिल्ली सरकार का परिवहन मंत्रालय इस बात को लेकर विचार विमर्श कर रहा है कि 40 लाख पुरानी गाड़ियों को, जो कोर्ट के आदेश के मुताबिक बैन की जा चुकी हैं, दिल्ली से बाहर किस तरीके से किया जाए. सरकारी सूत्रों के मुताबिक आने वाले सप्ताह में इस बात को लेकर एनजीटी के पास एक प्रार्थना पत्र पेश किया जाएगा और उसके जरिए ये पूछा जाएगा कि 10 साल पुरानी डीजल कार और पंद्रह साल पुरानी पेट्रोल कार जो कि दिल्ली परिवहन विभाग में रजिस्टर्ड हैं, उनसे कैसे निपटा जाए.

परिवहन विभाग इस बात पर भी प्रकाश डालेगा कि जो लोग रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेकर आ गए हैं या फिर जिनकी गाड़ियां ऑफरोड हो चुकी हैं. उनकी गाड़ियों के साथ किस तरह पेश आया जाए. क्या सबको डिपार्टमेंट द्वारा नष्ट कर दिया जाए या ऑफरोड हो चुकी गाड़ियों को छोड़ दिया जाए! सरकार इस बात पर भी कोर्ट से साफ निर्देश चाहती है कि पुरानी गाड़ियों की स्क्रैपिंग सरकार करेगी या फिर ये जिम्मेदारी ओनर की होगी.

फिलहाल दिल्ली परिवहन विभाग 173 गाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जो कोर्ट के निर्देश के मुताबिक पुरानी पड़ चुकी हैं और उन्हें बैन कर दिया जाना चाहिए. इतना ही नहीं जिनके पास प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं पाया गया, उन्हें भी 1000 रुपए और 2000 रुपए का जुर्माना भरना पड़ा है. पिछले एक महीने में जुर्माना भर चुकी गाड़ियों की संख्या तकरीबन 21 हजार है. सरकार फिलहाल 40 लाख गाड़ियों को डिरजिस्टर घोषित कर उनके ऑनर को नोटिस भेज चुकी हैं. वहीं दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को भी उन तमाम गाड़ियों की सूची भेजी जा चुकी है जिनका डीरजिस्ट्रेशन किया जा चुका है.

यही हालत कमोबेश नोएडा और गाजियाबाद का भी है. गाजियाबाद में 3 एकड़ की जमीन भी खोजी जा रही है जहां 10 साल पुरानी डीजल गाड़ी और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को डंप किया जा सके. गाजियाबाद में पिछले सप्ताह तक आधा दर्जन से अधिक पुरानी गाड़ियों को सीज किया जा चुका है. वहीं नोएडा में ये संख्या 4 से ज्यादा बताई जा रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

ट्रांसपोर्ट विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गाजियाबाद में प्राइवेट गाड़ियां जो 10 और पंद्रह साल की समय सीमा को पार कर चुकी हैं उन चारपहियों प्राइवेट गाड़ियों की संख्या 18 हजार 1 सौ 74 है वहीं 2 व्हीलर की संख्या 98,272 है. नोएडा में 10 और 15 साल से ज्यादा पुरानी चारपहिया गाड़ियों की संख्या 20 हजार चौहत्तर है वहीं टू व्हीलर की संख्या 28,159 है. अगर कॉमर्शियल गाड़ियों को भी जोड़ा जाए तो 10 और पंद्र साल की अवधि को पार करने वाली गाड़ियों की कुल संख्या गाजियाबाद में 1,23,195 है जबकि नोएडा में कॉमर्शियल और प्राइवेट गाड़ी की संख्या जो डेडलाइन क्रॉस कर चुकी हैं उनकी संख्या 53 हजार 6 सौ 80 है. बुलंद शहर में ये संख्या 92,623 है वहीं हापुड़ में रजिस्टर्ड गाड़ियों की संख्या जो 10 और पंद्रह साल की सीमा पार कर चुकी हैं उनकी संख्या 1,329 है.

आंकड़ों के मुताबिक गाजियाबाद में 10 साल पुरानी डीजल चालित गाडियों में 176 का चालान काटा जा चुका है वहीं 164 को बंद किया गया है. इनमें 1493 गाड़ियों के पंजीयन चिह्न निरस्त किए जा चुके हैं जबकि 10 हजार 473 गाड़ियों को अन्य जनपद या प्रदेश के लिए अनापत्ति पत्र जारी किया जा चुका है ये सारी कवायद एनजीटी द्वारा आदेश पारित करने के बाद किया गया है.

वहीं गाजियाबाद में 15 साल पुरानी पेट्रौल की गाड़ियों की कुल संख्या में 8 बंद किए गए हैं जबकि 142 का पंजीयन चिह्न समाप्त किया गया है और 12 हजार 3 सौ 12 गाड़ियों को अनापत्ति प्रमाण पत्र देकर दूसरे जनपद या राज्यों में भेज दिया गया है.

नोएडा में फिलहाल तमाम समय सीमा पार कर चुकी गाड़ियों के मालिकों के लिए सूचना जारी की जा चुकी है. 3 महीने के भीतर ट्रांसपोर्ट विभाग को सूचित नहीं करने पर उनका आरसी पेपर कैंसिल कर दिया जाएगा और 6 महीने बीत जाने पर उनका पंजीयन भी रद्द कर दिया जाएगा.

ट्रांसपोर्ट विभाग ने लोगों से अपील की है कि वो लोग जिन्होंने अपनी गाड़ी नष्ट कर दी हो या दूसरे जनपद या प्रदेश भेज चुके हैं, वो ट्रांसपोर्ट विभाग को सूचित करें, जिससे गाड़ी का प्रॉपर रजिस्ट्रेशन और उसके सही पते की जानकारी विभाग को प्राप्त हो सके.

नोएडा के एआरटीओ ए.के. पांडे के मुताबिक सिटी मजिस्ट्रेट और विभाग के लोग सड़क पर एनजीटी के आदेश के तहत गाड़ियों की जांच पड़ताल कर रहे हैं. और इस बाबत हमने 4 गाड़ियों को सीज भी किया है.

ए.के. पांडे के मुताबिक बहुत सारी रजिस्टर्ड गाड़ियां जो 10 और पंद्रह साल की सीमा पार कर चुकी हैं वो ऑफ रोड हो चुकी हैं. उन्हें या तो नष्ट किया जा चुका है या दूसरे प्रदेश या जनपद में बेचा जा चुक है. इसलिए मोपेड, पुराने स्कूटर या जीप या एम्बेस्डर सड़क पर दिखाई नहीं पड़ती हैं. लेकिन एनओसी या नष्ट की गाड़ियों के बारे में सूचना नहीं देने की वजह से उचित रिकॉर्ड रख पाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल ट्रांसपोर्ट विभाग एनओसी के लिए आवेदन कर चुकी गाड़ियों के पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के बगैर एनओसी मंजूर करने में बिल्कुल सख्त हो चुका है.

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