नए साल के मौके पर भारतीय रेल के यात्रियों के लिए एक अच्छी खबर निकली. भारतीय रेलवे ने अपने इंजन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो के उपग्रह से जोड़ दिया. इससे यात्रियों को अपने ट्रेन की रियल टाइम लोकेशन और आवागमन-प्रस्थान की सटीक जानकारी मिलेगी. वहीं चलती ट्रेन के वक्त दुर्घटनावश गेट से यात्रियों के गिरने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए भी भारतीय रेलवे ने एक पहल की. प्रयोग के तौर पर मुंबई की लोकल ट्रेनों के गेट पर नीले रंग का संकेतक लगाया है जिसका ट्रेन के इंजन के साथ कनेक्शन होगा. ट्रेन के चलने पर ये संकेतक प्लेटफॉर्म पर रोशनी की लकीर बनाएगा ताकि यात्रियों को ये आगाह किया जा सके कि अब चलती ट्रेन पकड़ने के लिए प्लैटफॉर्म पर दौड़ना खतरे से खाली नहीं है. हालांकि यहां ये यात्रियों पर निर्भर करता है कि वो इसके बावजूद दौड़ती ट्रेन को किसी भी कीमत पर पकड़ने के लिए जान जोखिम में डालने की मानवीय भूल करते हैं या नहीं?
एक तरफ यात्रियों की सुरक्षा के लिए भारतीय रेलवे आधुनिक तकनीक के लिहाज से बड़ी-बड़ी तैयारी कर रहा है तो दूसरी तरफ चलती ट्रेन में डकैतों की भीड़ के सामने यात्री बेबस नजर आ रहे हैं. साल 2019 की शुरुआत में ही चलती ट्रेन में डकैती की दो अलग-अलग खबरों ने यात्रियों के होश उड़ा दिए.
17 जनवरी को जम्मू से चलकर दिल्ली सराय रोहिल्ला आने वाली दुरंतों एक्सप्रेस में डकैतों ने जमकर लूटपाट की. तकरीबन रात साढ़े तीन बजे डकैत सिग्नल फेल कर ट्रेन में चढ़ने में कामयाब हो गए और उसके बाद उन्होंने यात्रियों से पर्स, मोबाइल, कैश,जूलरी वगैरह लूट ली.बड़ा सवाल ये है कि लुटेरे इत्मीनान से सिग्नल बदलकर ट्रेन में सवार भी हो गए लेकिन किसी कर्मचारी या सुरक्षाकर्मी को भनक तक नहीं लगी. लुटेरे एयरकंडीशन कोच में घुसे और लूटपाट करते रहे क्योंकि ट्रेन में रैपिड एक्शन फोर्स का कोई जवान मौजूद नहीं था. बड़ा सवाल है कि देश की तेज और वीआईपी ट्रेन माने जानी वाली दुरंतो एक्सप्रेस में आरपीएफ की तैनाती न करने के पीछे क्या वजह थी?
इसी तरह 9 जनवरी को नई दिल्ली से भागलपुर जा रही वीकली एक्सप्रेस में भी डकैतों ने तांडव मचाया था. डकैतों ने यात्रियों के मोबाइल, कैश, जूलरी वगैरह सहित करीब 30 लाख रुपये की लूट की. इस दौरान गोलियां भी चलाईं तो चाकू भी मारे.
दुरंतो एक्सप्रेस में चढ़ने से पहले लुटेरों ने सिग्नल फेल किया था. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब ट्रेन को सौ मील प्रतिघंटे की रफ्तार से अचानक रुकना पड़ा तो जांच के लिए रेलवे कर्मचारी या फिर जीआरपी और आरपीएफ का स्टॉफ कहां था?
रेल में सवार यात्रियों को उनकी मंजिल तक सुरक्षित पहुंचाने की भारतीय रेल की जिम्मेदारी है. सिर्फ हादसों से ही नहीं बल्कि चोरी-लूटपाट की वारदातों से भी यात्रियों की सुरक्षा करना रेलवे की जिम्मेदारी है. भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नंबर 182 जारी किया है ताकि 24 घंटे देश के किसी भी हिस्से में जरूरत पड़ने पर आरपीएफ और जीआरपी की मदद ली जा सके. लेकिन दुरंतो एक्सप्रैस में सुरक्षाकर्मी ही नहीं रखे गए. क्या सिर्फ रेल हादसों को रोकने के लिए ही सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देना ही रेलवे का लक्ष्य है?
हालांकि, साल 2018 को भारतीय रेलवे के लिए उपलब्धि भरा माना जा सकता है. भारत ने देश की सबसे तेज टी-18 ट्रेन की 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार का परीक्षण किया. रेल हादसों में भी कमी आई. हालांकि दशहरा के मौके पर अमृतसर रेल हादसे से रेलवे की साख पर जरूर सवाल उठे लेकिन इसके बावजूद पिछले साढ़े चार साल में भारतीय रेलवे में बड़े बदलाव हुए हैं.
यात्रियों की परेशानियां सिर्फ एक ट्वीट पर दूर करने के कई मामले देखे गए. रेलवे की सर्विस को लगातार आधुनिक बनाने की दिशा में तेजी से काम हुआ और हो भी रहा है. ऐसे में ट्रेनों में पड़ने वाली डकैती हैरान कर देती है क्योंकि ये उस दौर की याद दिलाती है जब कि सूचना-संपर्क का जरिया बेहद सीमित था. आज मोबाइल के दौर में ट्रेनों में डकैती पड़ रही है लेकिन सुरक्षाकर्मियों को इसकी खबर नहीं है तो लुटेरों को आरपीएफ और जीआरपी की गैरमौजूदगी की ठोस जानकारी है. ऐसे में तत्काल ही इस दिशा में बड़े कदम उठाने की जरूरत है ताकि रेल का सफर न सिर्फ सुरक्षित हो बल्कि भयमुक्त भी हो सके.
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