सरकार चौथी अखिल भारतीय बाघ गणना के लिए डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करेगी और इस काम के लिए 15 हजार से अधिक जगहों पर कैमरे लगाये जाने की संभावना है. अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी. भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) ने कहा कि पूर्वोत्तर में बाघों की संख्या की गिनती किए जाने के लिए सभी प्रयास किए जायेंगे.
भारत प्रत्येक चार वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर बाघों की गणना करता है और पिछली गणना वर्ष 2014 में पूरी हुई थी जिसमें देश में बाघों की संख्या 2,226 थीं. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में गणना के बारे में विस्तृत जानकारियों को साझा किया जिसके लिए केन्द्र सरकार लगभग 10.22 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
डब्ल्यूआईआई में एक वैज्ञानिक वाई वी झाला ने कहा, ‘ सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया पर काफी विश्वास दिखाया गया है और इस वर्ष काफी तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा. आकडों को इकट्टा करने का पहला चरण पहली बार मोबाइल एप्लीकेशन आधारित एंड्राइड मोबाइल के जरिये किया जायेगा.’
देहरादून आधारित डब्ल्यूआईआई एनटीसीए के निर्देश पर बाघों की गणना करता है और इसके लिए राज्य के वन विभाग और सामाजिक संस्थाओं का सहयोग लिया जाता है. एनटीसीए के अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2006 में बाघों की संख्या 1,411 थीं जबकि वर्ष 2010 में यह संख्या 1,706 थीं.
झाला ने पत्रकारों से कहा, ‘वर्ष 2014 में 9,700 स्थानों पर कैमरे लगाये गये थे लेकिन इस वर्ष 15,000 स्थानों पर ऐसा किए जाने की संभावना है. हम पूर्वोत्तर राज्यों में भी जा रहे है.’ एडीजी (प्रोजेक्ट टाइगर) देबब्रत स्वैन ने कहा, ‘ इस वर्ष गुजरात को भी राज्यों की सूची में शामिल किया गया है और हमने वहां अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया है.’
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