दिल्ली में सीलिंग को लेकर एक बार फिर बवाल हो सकता है. बीते मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि दिल्ली के व्यापारियों को अब सीलिंग से कोई राहत नहीं मिलने वाली है.
दिल्ली के मास्टर प्लान में प्रस्तावित संशोधनों पर सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद पूरी दिल्ली पर सीलिंग की तलवार लटकने लगी है. बुधवार को दिल्ली के तीनों नगर निगम क्षेत्रों में सीलिंग अभियान तेज कर दिए गए. सुप्रीम कोर्ट के नए रुख के बाद दिल्ली के तमाम बाजारों के साथ आवासीय क्षेत्रों में चलने वाली व्यावसायिक गतिविधियां भी अब सीलिंग के निशाने पर है. सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए के मास्टर प्लान 2021 में संशोधन करने की मांग को खारिज करते हुए आगे किसी भी तरह के संशोधन करने पर रोक लगा दी है.
केंद्र सरकार मास्टर प्लान 2021 में कुछ संशोधन कर दिल्ली के व्यापारियों को सीलिंग से राहत देने की तैयारी कर रही थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद दिल्ली में चल रही सीलिंग की कार्रवाई में अब और तेजी आ गई है.
डीडीए की अपील पर सुनवाई
गौरतलब है कि मंगलवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सीलिंग को लेकर सुनवाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ही डीडीए से पूछा कि क्या आपने मास्टर प्लान 2021 में संशोधन करने से पहले कोर्ट के पिछले आदेश का पालन किया?
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में डीडीए से कहा था कि वह मास्टर प्लान में संशोधन करने से पहले पर्यावरण प्रभाव, ट्रैफिक जाम और कुछ अन्य पहलुओं का मूल्यांकन कर कोर्ट को बताए. लेकिन, डीडीए ने ऐसा नहीं किया. कोर्ट ने डीडीए के इस रवैये पर उसे कड़ी फटकार लगाई.
जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, आप देश की सर्वोच्च अदालत की अनदेखी कर रहे हैं? हम वहीं करेंगे जो करना चाहते हैं. मैं आपको बता दूं कि यह अदालत की अवमानना से कम नहीं है. यह दादागिरी रोकनी होगी.’
कारोबारियों में रोष
दिल्ली में पिछले दो महीने से भी अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमिटी की देख-रेख में सीलिंग की कार्रवाई चल रही है. दिल्ली की कई आरडब्ल्यूए फेडरेशन ने सीलिंग की कार्रवाई को सही करार दिया है. इन लोगों का कहना है कि 1962 से पहले व्यावसायिक इलाकों को छोड़कर सभी पर कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन, दिल्ली के कारोबारी वर्ग में सीलिंग को लेकर काफी रोष है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमिटी पूरी दिल्ली में हो रही सीलिंग की कार्रवाई पर नजर रख रही है. नियमों का उल्लंघन करने वाले कारोबारियों की संपत्ति और व्यावसायिक संस्थानों को सील किए जा रहे हैं. मॉनिटरिंग कमिटी का कहना है कि हमलोग इस बात पर हैरान हो रहे हैं कि कई महिलाएं हमारे पास आईं और इस बात की सराहना भी की कि उनकी कॉलनी में हुक्का-बार सील किए जा रहे हैं.
इस बार सीलिंग को लेकर आम लोगों का मन भी बदला-बदला नजर आ रहा है. इस बार के सीलिंग की कार्रवाई को लेकर व्यापारी वर्ग में जहां रोष है वहीं आम लोगों को कोई विशेष रोष देखने को नहीं मिल रहा है.
कब शुरू हुई सीलिंग
साल 2006-07 में दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई शुरू हुई थी तो व्यापारियों के अलावा आम लोगों का भी विरोध देखने को मिला था. पिछली बार सीलिंग की कार्रवाई दिल्ली पुलिस की निगरानी में हुई थी. हालांकि इस बार मॉनिटरिंग कमिटी को आम लोगों का साथ मिल रहा है.
इतना तो तय है कि दिल्ली में चल रहे अवैध कारोबार ने आम लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. आम लोगों को न तो पार्किंग की सुविधा मिलती है और न ही टहलने और चलने के लिए जमीन. दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण ने भी आम लोगों की हालत को खराब कर रखा है. ऐसे में आम जनता के पास सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी को सपोर्ट करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है.
दूसरी तरफ सीलिंग को लेकर राजनीतिक पार्टियों के रवैये में कोई बदलाव नजर नहीं आया है. राजनीतिक पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद भी लोगों को राहत दिलाने की बात करते नहीं थकते.
बीजेपी सांसद और प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि व्यापारियों और नागरिकों को राहत दिलाने के लिए जल्द ही हमलोग सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रख कर दिल्ली की जनता को राहत दिलाएंगे. बीजेपी दिल्ली में सीलिंग के विरोध में है जबकि दिल्ली सरकार मूकदर्शक बन कर बैठी है. दिल्ली सरकार ने व्यापारियों के पक्ष में कोर्ट में कोई दलील पेश नहीं की. हमलोग कोर्ट की टिप्पणियों पर समीक्षा कर रहे हैं.
आम आदमी पार्टी को घेरने की तैयारी में बीजेपी
वहीं बीजेपी सीलिंग के बहाने आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश कर रही है. पार्टी नेता दिलीप पांडे मीडिया से बात करते हुए कहते हैं, मास्टर प्लान संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ‘आप’ की आशंका सही साबित हुई है. बीजेपी व्यापारियों को राहत नहीं दिलाना चाहती है.
दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन का कहना है कि केंद्र सरकार के प्रयास नाकाफी हैं. केंद्र सरकार दिल्ली की जनता को सीलिंग से राहत दिलाने को लेकर गंभीर नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा मास्टर प्लान में जो संशोधन किए जा रहे हैं वह करने की जरूरत नहीं है.
एक तरफ राजनीतिक दलों के नेता नफा-नुकसान देखते हुए बयानबाजी कर रहे हैं. दूसरी तरफ व्यापारिक संगठन इसकी शिकायत कर रहे हैं. संगठन का कहना है कि इस फैसले के बाद दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई में और तेजी आएगी. केंद्र सरकार को चाहिए कि एक विधेयक संसद सत्र में लाकर पारित करे. साथ ही दिल्ली सरकार को भी एक दिन का विशेष सत्र सीलिंग के मुद्दे पर बुलानी चाहिए.
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