एक तरफ जहां वंदे मातरम नहीं गाने के कारण एक समुदाय विशेष को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है वहीं दूसरी तरफ उसी समुदाय के एक परिवार को इसे गाना भारी पड़ रहा है. मामला उत्तर प्रदेश के आगरा जिले का है. यहां एक मुस्लिम परिवार को वंदे मातरम प्रेम के कारण बहिष्कृत किया जा रहा है. परिवार का आरोप है कि उनके बच्चों को इसके कारण स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार आगरा के आजमपारा इलाके में रहने वाले गुलचमन शेरवानी ने बताया कि हमलोग तिरंगे की तरह के तीन रंगों वाले कपड़े पहनते हैं. हमारे बच्चे को स्कूल से सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि वे लोग वंदे मातरम गाते थे और उनके समुदाय ने इसका विरोध किया है.
गुलचमन शेरवानी के आरोपों पर स्कूल का कहना है कि उनकी बच्ची ने पिछले साल यहां एडमिशन लिया था. दूसरे अभिभावकों द्वारा उसको निकालने को लेकर दबाव बनाया गया. स्कूल की तरफ से बताया गया कि अगर वह ऐसा नहीं करते तो बाकी के लोग अपने बच्चों को यहां से लेकर चले जाते.
स्कूल प्रबंधक ने बताया कि उनके तिरंगे जैसा कपड़ा पहनने को लेकर भी मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया था. वंदे मातरम गाने के कारण उनके खिलाफ फतवा भी जारी हो चुका है लेकिन उन्होंने ये काम नहीं छोड़ा.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया था और उन्हें काफिर करार दिया था. उन्होंने बताया कि फतवा मिलने के बाद भी वंदे मातरम गाना नहीं छोड़ा.
गुलचमन ने बताया कि उनके दोनों बच्चों का जन्म भी 15 अगस्त और 26 जनवरी को हुआ है. इससे मेरा देश प्रेम भी जाहिर होता है. उन्होंने बताया कि उनकी शादी में भी सिर्फ वंदे मातरम ही बजवाया गया था और लोगों ने उसी पर डांस किया था.
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