हाल ही में जारी किए गए विश्लेषण के मुताबिक भारत में 19,500 से ज्यादा भाषाएं या बोलियां मातृभाषा के तौर पर बोली जाती हैं. यह जानकारी इसी हफ्ते जारी किए गए जनगणना के ताजा विश्लेषण में दी गई है. इसी के साथ इस विश्लेषण में कहा गया है कि इन में 121 भाषाएं ऐसी भी हैं जो भारत में 10 हजार या उससे ज्यादा लोग बोलते हैं.
भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त ने बताया कि क्योंकि एक घर में अलग-अलग बोली बोलने वाले लोग हो सकते हैं. इसलिए हर व्यक्ति से उसकी मातृभाषा के बारे में पूछना बिल्कुल जरूरी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि परिवार में खून से संबंधित लोगों के अलावा भी रिश्तेदार होते हैं. इसी के मुताबिक अलग-अलग सदस्यों की अलग-अलग भाषा हो सकती है.
साल 2011 की जनगणना की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की मातृभाषाओं की कुल संख्या 19 हजार 569 है. लेकिन देश में 96.71 फीसदी आबादी की मातृभाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल में से एक है. भारत में 22 भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है.
इन भाषाओं में असमिया, उर्दू, ओड़िया, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, गुजराती, डोगरी, तमिल, तेलुगू, नेपाली, पंजाबी, बंगाली, बोड़ो, मणिपुरी, मराठी, मलयालम, मैथिली, संथाली, संस्कृत सिंधी और हिंदी शामिल हैं.
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