भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में 'किसान क्रांति पदयात्रा' दिल्ली के किसान घाट पहुंचने के बाद मंगलवार आधी रात के बाद खत्म हो गई. इससे पहले पुलिस ने किसानों को दिल्ली बॉर्डर पर रोक दिया था. इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच छड़प की घटनाएं भी हुईं. यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के डटे रहने के बाद प्रशासन ने उन्हें दिल्ली में एंट्री के लिए इजाजत दे दी, जिसके बाद वे किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की स्मृति स्थल किसान घाट पहुंच कर अपने पदयात्रा को खत्म कर दिया.
The 'Kisan Kranti Padyatra' that started on Sept 23 had to end at Delhi's Kisan Ghat. Since Delhi police didn't allow us to enter we protested. Our aim was to finish the yatra which has been done. Now we'll go back to our villages: Naresh Tikait, President, Bharatiya Kisan Union pic.twitter.com/P7xvF4YTFI
— ANI (@ANI) October 2, 2018
मंगलवार दिन में किसान जब दिल्ली सीमा में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे तब पुलिस ने उन पर बल प्रयोग भी किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े. इस दौरान कई किसान समेत पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं.
अपनी 9 मांगों के साथ किसान क्रांति पदयात्रा की शुरुआत किसानों ने 23 सितंबर को उत्तराखंड के हरिद्वार से की थी. यह यात्रा मंगलवार को किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की स्मृति स्थल किसान घाट पर पहुंच कर खत्म होने वाली थी लेकिन किसानों को दिल्ली में दाखिल होने की इजाजत नहीं मिली.
जिस समय किसान दिल्ली में प्रवेश करने की नाकाम कोशिश कर रहे थे, उस समय किसान नेताओं की गृहमंत्री के साथ बैठक चल रही थी. बैठक खत्म होने के बाद कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने घोषणा की कि अन्नदाताओं की 9 मांगों में से 7 को मान लिया गया है. लेकिन भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों की बातें मानने की नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार के साथ वार्ता नाकाम रही.
सरकार ने किसानों पर क्रूर पुलिसिया कार्रवाई की
प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में विपक्ष ने मोदी सरकार पर किसानों के खिलाफ ‘क्रूर पुलिस कार्रवाई’ का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि गांधी जयंती के अवसर पर किसान शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने के लिए राजघाट जाना चाहते थे. वहीं पुलिस का कहना है कि उन्होंने भीड़ को तितर-बितर करने और दिल्ली में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हल्का बल प्रयोग किया है.
मंगलवार को दिन में महिलाओं और बुजुर्गों सहित तमाम प्रदर्शनकारियों ने बार-बार सड़क पर लगे अवरोधकों को पार करने का प्रयास किया. इस वजह से पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. इसके बावजूद किसान डटे रहे और सरकार तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगाते रहे.
विपक्षी दलों का आरोप है कि प्रदर्शनकारियों को रोक कर सरकार ‘किसान विरोधी’ रुख अपना रही है, वहीं केंद्र सरकार इसका हल निकालने के लिए रास्ते तलाश रही है. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में इस संबंध में एक आपात बैठक भी हुई.
केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शोखवत प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिलने के लिए मौके पर पहुंचे. इस दौरान कुछ किसान समूहों ने कहा कि वे सरकार के आश्वासनों पर विचार करेंगे लेकिन कुछ समूहों ने सरकार के आश्वासनों पर भरोसा करने से साफ इनकार कर दिया.
बीकेयू सरकार के आश्वासन से संतुष्ट नहीं
किसान समूहों का कहना है कि वे संतुष्ट नहीं हैं और अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ऋण माफी, फसलों के लिए वाजिब मूल्य और ईंधन की बढ़ती कीमतों से किसानों का बचाव करने की मांग कर रहे हैं.
सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि वह जल्द ही 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी और आंदोलनरत किसानों को शांत करने और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए कई अन्य उपाय करेगी.
केंद्र सरकार ने किसानों को यह भी आश्वासन दिया कि वह गेहूं जैसी रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली) फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुना ज्यादा तय करेगी. वह देश में प्रचुर मात्रा में उत्पादित होने वाली कृषि वस्तुओं के आयात को प्रतिबंधित करने का भी प्रयास करेगी. सरकारी बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार कृषि संबंधी उत्पादों को पांच प्रतिशत के स्लैब में रखने के लिए जीएसटी परिषद से भी चर्चा करेगी.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि किसान सरकार के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘हम इस पर बातचीत करेंगे और फिर आगे के रुख पर फैसला करेंगे. मैं अकेले कोई फैसला नहीं ले सकता. हमारी समिति फैसला करेगी.’
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