क्या आप सोच सकते हैं कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना कब तक कर सकते हैं? एक दिन की अवहेलना पर भी सजा का प्रावधान है. लेकिन गुजरात में एक चौंकानेवाला मामला सामने आया है. एमके बरोट नामक शख्स ने कोर्ट के आदेश को 52 सालों तक ठेंगा दिखाता रहा.
इस दौरान मकान मालिक बीएम पटेल निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक का चक्कर लगाते रहे. गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद उन्हें खुद के मकान को किराएदार के कब्जे से मुक्त कराने में 52 साल लग गए. सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बता इसकी कड़ी निंदा की है.
न्यूज 18 में छपी खबर के मुताबिक गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एके भूषण उस वक्त चौंक गए जब उनके सामने यह 52 साल पुराना मामला आया.
मकान मालिक बीएम पटेल के पक्ष में सन 1965 में ही गुजरात के एक अदालत ने फैसला दिया था. जिसमें कहा गया था कि किराएदार एमके बरोट को घर खाली कर, बीएम पटेल को सौंपना होगा.
एससी ने कहा किराएदार का सामान पुलिस की मदद से करा दें बाहर
लेकिन बरोट पांच दशक तक अदालत के आदेश को धता बताते रहे. सुनवाई के दौरान दोनों जजों ने बरोट के वकील से पूछा कि वह अब ये बताएं कि कितने दिनों में घर खाली कर सकते हैं.
इसपर उनके वकील ने कहा कि छह महीने लग जाएंगे खाली करने में. इस पर दोनों जजों के बेंच ने उनकी अपील को खारिज करते हुए उन्हें हर हाल में एक महीने में मकान खाली करने का आदेश दिया.
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर एक महीने में किराएदार मकान खाली नहीं करता है तो पुलिस की मदद से उनका सामान घर से बाहर फेंक दिया जाए. साथ ही इस दौरान मकान मालिक को जितना नुकसान हुआ, वह भी किराएदार को भुगतान करना होगा.
(न्यूज 18 के लिए उत्कर्ष आनंद की रिपोर्ट)
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