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सरकारी जमीन पर जबरन मंदिर बनवा रहे हैं तेज प्रताप यादव

तेज प्रताप का सरकारी जमीन पर बन रहा ये मंदिर नीतीश कुमार के घर से कुछ ही कदम की दूरी पर है

Updated On: Oct 25, 2017 12:46 PM IST

Kanhaiya Bhelari Kanhaiya Bhelari
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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सरकारी जमीन पर जबरन मंदिर बनवा रहे हैं तेज प्रताप यादव

परम प्रतापी, शंख फूकन, पूर्व मंत्री और लालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव सुशासन को ठेंगा दिखाते हुए सरकारी जमीन को जबरन अपने कब्जे में लेकर शिव मंदिर बनवा रहे हैं. मंदिर के अंदर महादेव की मूर्ति की स्थापना दो महीने पहले ही की जा चुकी है.

परन्तु आश्चर्य की बात है कि आला अधिकारियों को पता ही नहीं है. सीएम नीतीश कुमार के आवास से मात्र 50 कदम की दूरी पर सड़क की घेराबंदी करके सरकारी जमीन पर जबरन इस शिव मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. वह भी चुपचाप नहीं बल्कि खुले आम. पास ही में  राजकीय अतिथिशाला और सीबीआई का आफिस भी है.

मूर्ति तेज प्रताप के खास पुजारी 30 हजार रुपए में बनारस से खरीद कर लाए हैं. पूर्व मंत्री के वहां उपस्थित पहरेदार बताते हैं कि मंदिर निर्माण पर अबतक लगभग 10 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं. ‘मंदिर निर्माण के बाद मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी उसके बाद ही हमारे कृष्णावतार तेज प्रताप जी इस सरकारी आवास से जाएंगे.’

सनद रहे कि भवन निर्माण विभाग महागठबंधन सरकार गिरने के बाद राजद और कांग्रेस कोटे से नामित सभी पूर्वमंत्रियों को आवास छोड़ने के लिए दो बार नोटिस जारी कर चुका है. कई पूर्व मंत्री सरकारी मकान खाली करके जा भी चुके हैं. तेज प्रताप यादव और उनके अनुज और नेता तेजस्वी प्रसाद यादव भव्य सरकारी मकान में अबतक डटे हुए हैं. हाई कोर्ट ने उन्हें कुछ दिन और रहने की इजाजत दे दी है.

Tej Pratap

स्थानीय लोगों में कहा जा रहा है कि पूजा-पाठ में ज्यादा ही विश्वास रखने वाले तेज प्रताप यादव को तांत्रिक ने सलाह दी है, मंदिर निर्माण शुरू हो जाने के बाद कोई भी जैविक या ईश्वरीय शक्ति तेजप्रताप को इस आवास से बाहर नहीं निकाल सकता है. तांत्रिक की सलाह पर ही तेज प्रताप यादव सरकारी आवास ने दक्षिणी प्रवेश द्वार बंद करवाकर उत्तर दिशा में करवाया था. जिसके चलते कई लोगों को जो 50 वषों से झोपड़ी बनाकर परिवार के साथ रह रहे थे, भागना पड़ा था. लेखक ने जब इन तांत्रिक की प्रतिक्रिया जानने के लिए उनके मोबाइल पर कॉल किया तो वो प्रतिक्रिया की जगह अपशब्द देने लगे.

उत्तरी दीवार तुड़वाकर नया गेट बनवाने में सरकार का लाखों का खर्च हुआ था. सरकार की किरकिरी भी हुई थी. सात महीने के बाद बाद घरेलू पुजारी और पिता के समझाने के बाद तेज प्रताप यादव दक्षिणी द्वार खोलने के लिए तैयार हो गये थे. तोड़ने और बनाने में दुबारा सरकार का लाखों रुपए खर्च हुए.

Tej ka Shiv Temple

निर्माणाधीन मंदिर की तस्वीर

आस-पास के कई लोगों ने बातचीत में बताया कि तेज प्रताप अपनी देख-रेख में मंदिर का निर्माण करा रहे हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक पड़ोसी ने कहा कि ‘उसने पथ निर्माण विभाग के एक बड़े अधिकारी को भी मंदिर बनाने वाले राज मिस्त्री को दिशा-निर्देश देते हुए देखा है’.  उसी ने बताया कि ज्यादातर काम पुलिस की देख-रेख में काम होता है.

एक स्थानीय आदमी जो मिस्त्री का काम करता है, ने बताया, ‘मैं लालू जी के पास अपनी शिकायत लेकर गया था लेकिन मेरे को उनसे पुलिसवालों ने मिलने ही नहीं दिया.’

एक आम चर्चा है कि चर्चित मिट्टी-मॉल घोटाले में नामित तेज प्रताप यादव बचपन से ही अपने को भगवान कृष्ण का अवतार मानते हैं. ललाट पर मोरपंख लगाकर बांसुरी बजाने के भी शौकीन हैं. वृंदावन जाकर महीनों तक रहकर अपने आप को ‘कृष्णमय’ कर लेते हैं. तेजप्रताप लालू यादव के न चाहने पर भी राजनीति में खूंटा गाड़े हुए हैं. मौका-बेमौका दावा भी करते हैं कि ‘गद्दी का उत्तराधिकारी तो मैं ही हूं’.

इस साल की होली के कुछ दिन पहले तेजप्रताप एकाएक महादेव के चेले बन गए. स्थानीय लोग बताते हैं कि दरअसल पूर्व मंत्री का मन नॉनवेज में रमने लगा. लेकिन कृष्ण भक्त होने के चलते खाने में समस्या थी. पुजारी ने सलाह दी कि भोलेनाथ के शिष्य बन जाइए और गर्दन तथा कलाई में रुद्राक्ष की माला लपेट लीजिए. इसके बाद मजे से नॉन वेज खा सकते हैं.

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