देश का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान पिछले कुछ महीनों से बीमारियों की वजहों से भी सुर्खियों में है. 2018 में यहां जीका वायरस का कहर बरपा था. अमेरिका और यूरोपीय देशों ने तब एडवायजरी जारी कर अपने नागरिकों को राजस्थान जाने से परहेज करने को कहा था. जीका वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक साबित होता है.
2019 में अब जिस खतरे का सामना राजस्थान कर रहा है, उसका नाम है स्वाइन फ्लू. डॉक्टरी भाषा में ये वायरस जनित रोग है जिसके वायरस का नाम है H1N1. राजस्थान में इसके ख़तरे का अंदाज़ा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्टों से लगाया जा सकता है. इनके मुताबिक पूरे देश में स्वाइन फ्लू से हुई मौतों में से 42% अकेले राजस्थान में हुई हैं. पिछले कुछ साल में स्वाइन फ्लू कुल 226 मौतों की वजह बना था. लेकिन 2019 में 4 फरवरी तक ही 86 लोग दम तोड़ चुके हैं.स्वाइन फ्लू पर मौतें, चिकित्सा मंत्री बेपरवाह!
राजस्थान पर कहर बनकर टूटे स्वाइन फ्लू से 86 मौतों के अलावा अब तक करीब 2500 मरीज सामने आ चुके हैं. सर्दी की शुरुआत के साथ ही लोगों की परेशानी बढ़ गई थी, जो अब तक कंट्रोल नहीं हो पाई है. लेकिन राज्य के मौजूदा और पूर्व चिकित्सा मंत्रियों के बीच स्वाइन फ्लू के मुद्दे पर वाकयुद्ध के अलावा कुछ होता हुआ कम ही नजर आ रहा है.
बेकाबू होते स्वाइन फ्लू पर बीजेपी लगातार हमलावर है. बीजेपी ने चिकित्सा मंत्री से इस्तीफे की मांग कर दी है. दूसरी तरफ रघु शर्मा के बयान लापरवाहीपूर्ण ही कहे जा सकते हैं. जनवरी में वे कहते रहे कि अभी तो काम संभाला है. फिर कहने लगे कि मेरे इस्तीफे से मौतें रुक जाएं तो मैं तैयार हूं. इसके बाद अब फरवरी में बेकाबू स्वाइन फ्लू और लगातार मौतों पर उन्होने पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ को जिम्मेदार ठहरा दिया है.
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रघु शर्मा ने सराफ को चेतावनी देते हुए कहा कि आप तैयार रहें, हम जांच कराएंगे और आपकी कारगुजारियों को जनता के सामने लाएंगे. बेशर्मी भरा तर्क तो ये दिया जा रहा है कि बीजेपी के राज में स्वाइन फ्लू से 226 मौतें हुई थी. मंत्रीजी को बीमारी की गंभीरता समझना चाहिए क्योंकि नए साल के 40 दिन भी नहीं हुए हैं और 86 लोग दम तोड़ चुके हैं.
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि मॉनिटरिंग और कंट्रोलिंग में नाकाम रही सरकार अब जिम्मेदारी निभाने के बजाय जनता का ध्यान भटकाना चाहती है. आरोप लगाया गया है कि चिकित्सा मंत्री रामगढ़ विधानसभा में प्रचार करते रहे लेकिन स्वाइन फ्लू की महामारी पर उन्हे कोई फिक्र नहीं हुई. जांच के सवाल पर पूर्व चिकित्सा मंत्री सराफ ने कहा है कि जो जांच करानी हो कराएं लेकिन पहले महामारी बन चुकी स्वाइन फ्लू से तो लोगों को बचाएं.
बीजेपी राज में ज्यादा मौतें या कांग्रेस राज में?
कांग्रेस और बीजेपी लगातार एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं. कलह इस बात पर हो रही है कि किसके राज में ज्यादा लोगों की मौत हुई. हुक्मरानों के ऐसे रवैये पर हैरानी के साथ तरस भी आता है. स्वाइन फ्लू को नियंत्रित करने के बजाय नई सरकार या तो बीजेपी राज से कम मौतें होने का दावा कर रही है या फिर योजनाओं और इमारतों के नाम बदलने में बिज़ी है. ईश्वर जाने उन आम लोगों की परवाह ये कब करेंगे जिनकी सेवा करने के लिए चुने गए हैं.
महामारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे देश में जितने H1N1 पॉजीटिव रोगी हैं उनमें हर तीसरा मरीज राजस्थान से है. पिछले 3-4 साल से स्वाइन फ्लू से मौतों को सिलसिला जारी है. 2015 में 173 पॉजीटिव केस सामने आए. इनमें 43 मरीजों को नहीं बचाया जा सका. 2016 में 86 पॉजीटिव केस मिले. इनमें से 19 मरीजों की मौत हो गई. 2017 में एक मरीज की मौत हुई. 2018 में 705 पॉजीटिव केस मिले, जिनमें से 53 की मौत हो गई.
सरकार का दावा है कि स्वाइन फ्लू को नियंत्रित करने के उपाय किए जा रहे हैं. विशेष सचिव (चिकित्सा) डॉ समित शर्मा ने कहा है कि स्वाइन फ्लू के अर्ली डिटेक्शन के लिए कदम उठाए गए हैं. डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. टेस्ट्स के लिए 50 अतिरिक्त लैब की व्यवस्था की गई है.
स्वाइन फ्लू की बीमारी और बचाव
सरकारी पक्ष और विपक्ष का लापरवाही भरा रवैया देखकर बस और ट्रेन में लिखी चेतावनी याद आती है. वहां यात्रियों से अपने सामान की रक्षा खुद करने को कहा जाता है. यहां लग रहा है कि मरीज अपनी रक्षा स्वयं करें. वैसे, सरकारी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू का मुफ्त इलाज उपलब्ध है. मुख्यमंत्री दवा और जांच योजना के तहत स्वाइन फ्लू के लिए भी जांच और दवाइयां मुफ्त दी जाती हैं.
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स्वाइन फ्लू दरअसल, H1N1 नाम के वायरस से होता है. ये संक्रामक वायरस है जो वातावरण में मरीज की छींक, खांसी या उसकी चीजों के इस्तेमाल से फैलता है. शुरुआत में ये खतरनाक नहीं होता लेकिन मरीज और डॉक्टर भी अकसर इसके इलाज में लापरवाही बरतते हैं. यही मरीज को मौत की तरफ धकेल देता है. दरअसल, शुरुआत में इसे आम फ्लू समझ लिया जाता है.
जुकाम, बुखार, सिर, गले और जोड़ों में दर्द, थकान, बहती नाक और लाल आंखें स्वाइन फ्लू के लक्षण हैं. CMHO जयपुर, डॉ नरोत्तम शर्मा ने बताया है कि पिछले ट्रेंड्स के मुताबिक स्वाइन फ्लू का तापमान में उतार चढ़ाव से सीधा संबंध है. जुकाम-बुखार की तरह सर्दियों में स्वाइन फ्लू के मामले भी बढ़ जाते हैं. स्वाइन फ्लू से बचाव के तरीके आसान हैं. मॉल्स, बाजार या स्कूल्स जैसे सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग करें. छींकते समय मुंह पर रुमाल लगाएं. पीड़ित की चीजों के इस्तेमाल से बचें.
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