सुप्रीम कोर्ट ने बाबा स्वामी ओम पर 10 लाख रुपए का आर्थिक जुर्माना लगाया है. बता दें कि स्वामी ओम ने दीपक मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस नियुक्त किए जाने का विरोध किया था.
चीफ जस्टिस जे. एस. खेहर और जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ वाली पीठ ने कहा कि स्वामी ओम और मुकेश जैन पर नजीर पेश करने वाला जुर्माना लगाना आवश्यक था, ताकि उनके जैसे अन्य लोगों तक संदेश पहुंचे और वह ऐसी याचिकाएं दायर करने से बचें.
याचिका दायर करने वालों ने अपनी याचिका में चीफ जस्टिस नियुक्त होने वाले व्यक्ति पर कोई आरोप नहीं लगाया था. उन्होंने भारत के चीफ जस्टिस और हाई कोर्ट के मुख्य जजों की नियुक्त पर संवैधानिक व्यवस्था का हवाला दिया था. इसमें कहा था कि निवर्तमान चीफ जस्टिस द्वारा उत्तराधिकारी की नियुक्ति की सिफारिश करने की प्रक्रिया संविधान की भावनाओं के विरुद्ध है.
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अनुच्छेद 124ए को संविधान पीठ पहले ही दरकिनार कर चुका है. राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्तियां आयोग अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 124ए में पहले ही संशोधन किया गया है.
संविधान के अनुच्छेद 124 में सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति का प्रावधान है, जबकि अनुच्छेद 124ए में बताया गया है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्तियां आयोग में कौन-कौन शामिल होगा. कोर्ट ने याचिका दायर करने वालों से कहा कि वह 25 अगस्त से एक महीने के भीतर जुर्माने की राशि जमा करवाएं और यह धन प्रधानमंत्री राहत कोष में जाएगा.
पीठ ने आदेश दिया कि यदि याचिका दायर करने वाले जुर्माना भरने में असफल रहते हैं तो, एक महीने बाद फिर से मामले की सुनवाई की तिथि तय की जाए.
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