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भारत में सरोगेसी कानून लागू होने से क्या होंगे बदलाव, जानिए जरूरी बातें

भारत में सरोगेसी के नाम पर बहुत शोषण होता है, जिसके बाद सरोगेसी कानून को लाने की मांग बढ़ गई थी

Updated On: Dec 20, 2018 02:37 PM IST

FP Staff

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भारत में सरोगेसी कानून लागू होने से क्या होंगे बदलाव, जानिए जरूरी बातें

भारत कई सालों से दुनिया भर के लिए सरोगेसी का अरबों का बाजार बना हुआ है. लेकिन अब सरकार की ओर से इस पर कई नियम लगाए जा रहे हैं. बुधवार को लोकसभा में नए सरोगेसी बिल को पास कर दिया गया है.

इस बिल के जरिए अब भारत में कॉमर्शियल सरोगेसी को बैन कर दिया गया है. अब भारत में लोग सरोगेसी का इस्तेमाल बिजनेस की तरह नहीं कर पाएंगे. अब देश में व्यवसायिक सरोगेसी पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी. यह बिल सदन में 2016 से ही लंबित था. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक विधेयक है और इसे ‘कॉमर्शियल सरोगेसी’ पर रोक लगाने और परिवारों में नि:संतान दंपतियों की सुविधा को ध्यान में रखने के लिए लाया गया है.

जानिए सरोगेसी बिल से जुड़ी जरूरी बातें-

- इस बिल के मुताबिक, कोई भी पति-पत्नी कॉमर्शियल सरोगेसी का रास्ता नहीं चुन सकते. वो परिवार में ही किसी करीबी रिश्तेदार की मदद ले सकते हैं. लेकिन अगर उनका परिवार इतना बड़ा नहीं है कि उनका कोई करीबी रिश्तेदार इसके लिए उपलब्ध न हो, तो उनके लिए गोद लेना ही एक रास्ता होगा. वो सरोगेसी नहीं अपना सकते.

- द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें 23 से 50 साल और 26 से 55 साल की महिला और पुरूष बच्चे पैदा करने की क्षमता न रखने वाले भारतीय विवाहित दंपति नैतिक सरोगेसी अपना सकते हैं.

- सरोगेट माताओं के शोषण को रोकने के लिए उन्हें बस अल्ट्रुइस्टिक सरोगेसी यानी परोपकारी सरोगेसी से ही गुजरने की अनुमति दी गई है. मतलब उन्हें इसके बदले में कोई पैसा नहीं मिलेगा. वो अपनी मर्जी से इसमें शामिल होगी. उसे इसके लिए बस मेडिकल जरूरतों का खर्च और इंश्योरेंस कवर मिलेगा.

- अविवाहित और समलैंगिक जोड़े सरोगेसी के लिए अप्लाई नहीं कर सकते.

- इस बिल को कैबिनेट ने 24 अगस्त, 2017 को अप्रूवल मिल गया था. सदन में इसे नवंबर, 2016 में ही रखा गया था. बाद में इसे संसद की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की एक स्थायी समिति को भेज दिया गया था.

- जब ये बिल लागू होगा तब केंद्र एक नेशनल सरोगेसी बोर्ड का गठन करेगा. हालांकि राज्यों को भी सरोगेसी बोर्ड जैसी संस्था का गठन करना होगा. केंद्र इसके लिए सूचना जारी करेगा, जिसके तीन महीने के भीतर इन बोर्ड का गठन करना होगा.

- कोई भी व्यक्ति, संगठन, क्लिनिक, लैब या ऐसी कोई जगह किसी भी तरह की कॉमर्शियल सरोगेसी नहीं करवा सकते. इस बिल के लागू होने के बाद सरोगेसी का कोई विज्ञापन देना, सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे को छोड़ना, सरोगेट मदर का शोषण करना, भ्रूण बेचना या सरोगेसी के उद्देश्य से आयात करना गैरकानूनी होगा.

- बिल के मुताबिक, इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को 10 साल तक की जेल की सजा और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.

बता दें कि भारत के लॉ कमीशन ने अपनी 228वीं रिपोर्ट में कॉमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाने की सिफारिश की थी. भारत सरोगेसी का बड़ा बाजार बन चुका है और यहां सरोगेसी के नाम पर बहुत शोषण होता है, जिसके बाद सरोगेसी कानून को लाने की मांग बढ़ गई थी.

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