500 और 1000 रुपए के करेंसी नोट को गैरकानूनी घोषित करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तीर से चार शिकार किए हैं. इस निर्णय के माध्यम से काले धन, फर्जी करेंसी, भ्रष्टाचार व आतंकवाद को निशाना बनाया गया है.
यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस निर्णय से उन लोगों की नींद उड़ा दी है, जो काले धन की समानांतर अर्थव्यवस्था चला रहे हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं .
पिछले कई दशकों से काले धन की अर्थव्यवस्था ने ईमानदारी से जीवनयापन करने वाले लोगों का जीना हराम कर रखा था.
आजादी के बाद किसी प्रधानमंत्री ने पहली बार काले धन की व्यवस्था को खत्म करने की दिशा में इतना बड़ा कदम उठाया है.
इस कदम का असर उन राजनीतिक दलों के कामकाज पर भी पड़ेगा, जो काला धन जुटाकर चुनाव लड़ते रहे हैं. सभी जानते हैं कि इस संदर्भ में कोई भी राजनीतिक दल अछूता नहीं है.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले साल के आरंभ में होनेवाले विधान सभा चुनावों में राजनीतिक दल धन किस तरह जुटाते हैं? मोदी ने राजनीतिक दलों की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा झटका दिया है.
अब अगला निर्णय यह होना चाहिए कि राजनीतिक दल भी चेक के माध्यम से चंदा जुटाए. फिलहाल लगभग सभी राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में 70 से 80 प्रतिशत हिस्सा नगद होता है, जो स्वाभाविक रूप से काला धन ही है.
प्रॉपर्टी के धंधे से जुड़े लोग ही बताते हैं कि इसमें होने वाली लेन-देन में 40 प्रतिशत हिस्सा काले धन का होता है. इसी तरह ज्वेलरी के बिजनेस में 80 प्रतिशत से अधिक काले धन का उपयोग होता है.
मोदी सरकार के इस निर्णय से प्रॉपर्टी और ज्वेलरी के व्यवसाय में काले धन के प्रयोग में काफी कटौती होने की संभावना है.
काले धन की विवशता की वजह से ईमानदार खरीदार और विक्रेता को जबरन इस गोरखधंधे का हिस्सा बनना पड़ता था. प्रधानमंत्री मोदी ने इस क्षेत्र में मौजूद कई लाख करोड़ रुपए की नगदी को रद्दी के कागज में तब्दील कर दिया है.
एक अनुमान के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था में 30-35 प्रतिशत हिस्सा कालेधन की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है. जिसमें देश और विदेश के स्तर पर हवाला कारोबारियों की भूमिगत बैंकिंग व्यवस्था भी चलती है.
आतंकवादियों को भी इन हवाला कारोबारियों के माध्यम से धन प्राप्त होता है. हवाला कारोबारी 500 और 1000 रुपये के नोट का ही इस्तेमाल करते हैं. मोदी ने हवाला कारोबारियों के तंत्र को तहस-नहस कर दिया है.
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई फर्जी करेंसी के माध्यम से भारत की अर्थव्यवस्था को भीतर से कमजोर करने की कोशिश कई सालों से कर रही है.
देश के सीमावर्ती इलाकों में फर्जी करेंसी को चलाने में आईएसआई एक हद तक सफल भी रही है. पाकिस्तान फर्जी करेंसी और मादक पदार्थों के जरिए भी भारत में आतंकवाद फैलाने की कोशिश कर रहा है.
500 और 1000 के नोट बंद होने से फर्जी करेंसी पर पूरी तरह रोक लगा पाना संभव होगा. उम्मीद है कि नए 500 व 2000 रुपए के नोट में ऐसे फीचर होंगे कि फर्जी नोट बना पाना संभव नहीं होगा.
नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय से उन राजनीतिक विरोधियों को भी चुप कर दिया है, जो काले धन के सवाल पर उन्हें कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करते रहे हैं.
देश के इतिहास में पहली बार करेंसी नोट को गैर-कानूनी घोषित किया गया है. इस कदम से काले धन की अर्थव्यवस्था को एक हद तक खत्म करना संभव होगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कैशलैस अर्थव्यवस्था की तरफ आगे बढ़ने का लक्ष्य निर्धारित किया था, मोदी ने एक झटके में इस लक्ष्य को पाना असान बना दिया है.
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