सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक मुखिया घोषित करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के अगस्त 2016 के फैसले के खिलाफ अरिवंद केजरीवाल सरकार की अपील पर आज अहम फैसला सुना सकता है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ने पिछले साल दो नवंबर को इन अपीलों पर सुनवाई शुरू की थी जो छह दिसंबर, 2017 को पूरी हुई थी.
दिल्ली सरकार का क्या है तर्क
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं. आम आदमी पार्टी सरकार ने संविधान पीठ के सामने दलील दी थी कि उसके पास विधायी और कार्यपालिका दोनों के ही अधिकार हैं. उसने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री और कैबिनेट के पास कोई भी कानून बनाने की विधायी शक्ति है जबकि बनाए गए कानूनों को लागू करने के लिए उसके पास कार्यपालिका के अधिकार हैं.
यही नहीं, आप सरकार का यह भी तर्क था कि एलजी अनेक प्रशासनिक फैसले ले रहे हैं और ऐसी स्थिति में लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार के सांविधानिक जनादेश को पूरा करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 एए को स्पष्ट करना जरूरी है.
केंद्र सरकार की अलग दलील
दूसरी ओर, केंद्र सरकार की दलील थी कि दिल्ली सरकार पूरी तरह से प्रशासनिक अधिकार नहीं रख सकती क्योंकि यह राष्ट्रीय हितों के खिलाफ होगा. इसके साथ ही उसने 1989 की बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया जिसने दिल्ली को एक राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के कारणों पर विचार किया.
केंद्र का तर्क था कि दिल्ली सरकार ने अनेक ‘गैरकानूनी’ अधिसूचनाएं जारी कीं और इन्हें हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
केंद्र ने सुनवाई के दौरान संविधान, 1991 का दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार कानून और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कामकाज के नियमों का हवाला देकर यह बताने का प्रयास किया कि राष्ट्रपति, केंद्र सरकार और एलजी को राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासनिक मामले में प्राथमिकता प्राप्त है.
एलजी पर दिल्ली सरकार के आरोप
इसके विपरीत, दिल्ली सरकार ने एलजी पर लोकतंत्र को मखौल बनाने का आरोप लगाया और कहा कि वह या तो निर्वाचित सरकार फैसले ले रहे हैं या बगैर किसी अधिकार के उसके फैसलों को बदल रहे हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने चार अगस्त, 2016 को अपने फैसले में कहा था कि एलजी ही राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासनिक मुखिया हैं और आप सरकार के इस तर्क में कोई दम नहीं है कि वह कैबिनेट की सलाह से ही काम करने के लिए मजबूर हैं.
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Jul 4, 2018
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बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने केजरीवाल पर हमला बोलते हुए कहा कि केजरीवाल अपने तरीके से संविधान को परिभाषित करना का काम रहे हैं. केजरीवाल ने खुद कहा था कि वो अराजक हैं. आज जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अराजकता के लिए कोई स्थान नहीं है तो ऐसा मालूम होता दिख रहा है मानो उसके सामने केजरीवाल का चेहरा आया होगा.
दिल्ली बीजेपी ने कहा है कि अब आम आदमी पार्टी को पूर्ण राज्य की मांग करनी छोड़ देनी चाहिए.
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आप के सूत्रों ने कहा, आज या कल अफसरों के तबादले हो सकते हैं. आईएएस संगठन की अध्यक्ष मनीषा सक्सेना ने फर्स्टपोस्ट से कहा, नौकरशाह के तौर पर हम यही कह सकते हैं कि हमारी मर्यादा और सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए. सरकार किसी पार्टी की रहे, हम स्थायी कार्यकारी हैं और कानून-संविधान के तहत काम करते हैं.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने फर्स्टपोस्ट से कहा, लोकतंत्र में हमारा भरोसा बहाल हुआ है. अनुच्छेद 239एए के तहत एलजी अब स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते. अब हमारा अधिकार स्वास्थ्य और शिक्षण संस्थानों पर होगा. ऐसे संस्थान दिल्ली के विकास लिए अहम हैं.
बीजेपी नेता एन कोहली ने कहा, पता नहीं दिल्ली सरकार किस जीत की बात कर रही है. उन्हें जान लेना चाहिए कि कोर्ट ने एकसुर में कहा है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना मुमकिन नहीं.
बीजेपी नेता सुब्रह्मणियम स्वामी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने बिल्कुल ठीक कहा है कि एलजी को दिल्ली कैबिनेट के फैसले का सम्मान करना चाहिए लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा विरोध की सूरत में जैसा कि ये ऐसा करने में सक्षम हैं क्योंकि नक्सलाइट हैं, तो एलजी विरोध कर सकते हैं.
आप नेता राघव चड्ढा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था सरकार के तहत नहीं है. बाकी पर फैसले दिल्ली सरकार लेगी.
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 239एए को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है. अगर सरकार और एलजी मिलकर काम नहीं करेंगे तो दिल्ली मुश्किल में पड़ जाएगी.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, यह बहुत बड़ा फैसला है. अब दिल्ली सरकार एलजी के पास फाइलें नहीं भेजेगी. अब काम नहीं रुकेंगे. मैं सुप्रीम कोर्ट को इसके लिए धन्यवाद देता हूं.
पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला काफी अच्छा है. एलजी और दिल्ली सरकार को मिलकर काम करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एलजी सारे फैसले राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते.
एलजी का रोल राष्ट्रहित का ध्यान रखना है. दिल्ली सरकार के फैसले पर एलजी की सहमति की जरूरत नहीं-सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनी हुई सरकार की जवाबदेही ज्यादा है. मंत्रिमंडल के फैसले नहीं अटका सकते हैं एलजी. एलजी याद रखें कि चुनी हुई सरकार जनता की पसंद है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एलजी का रोल राष्ट्रहित का ध्यान रखना है.
अभी जस्टिस चंद्रचूड़ फैसला पढ़ रहे हैं.
जबतक संविधान न कहे, एलजी स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकता-सुप्रीम कोर्ट
एलजी सरकार की सलाह पर काम करें. चुनी सरकार के पास असली ताकत. असली सत्ता चुनी सरकार के पास-सुप्रीम कोर्ट
चीफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहा, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना मुमकिन नहीं है.
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में बातचीत जरूरी, लोकतांत्रिक संस्थाओं की नाकामी देश की नाकामी, संवैधानिक लड़ाई लोकतंत्र की परीक्षा-सुप्रीम कोर्ट